Deutsch 18-Hiob 006(Schl2000)
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1 | Hiob 6,1 | Da antwortete Hiob und sprach: | -- antwortete ---- --- sprach: | -- ---------- Hiob --- ------- | Hiob 6,1 |
2 | Hiob 6,2 | O dass man meinen Unmut wiegen könnte, und mein Unglück auf die andere Waagschale legte! | - dass --- ------ Unmut ------ -------- und ---- -------- auf --- ------ Waagschale ------ | - ---- man ------ ----- ------ -------- und ---- -------- --- --- andere ---------- ------ | Hiob 6,2 |
3 | Hiob 6,3 | Denn nun ist es schwerer als der Sand der Meere; darum sind meine Worte so ungestüm. | ---- nun --- -- schwerer --- --- Sand --- ------ darum ---- ----- Worte -- ---------- | ---- --- ist -- -------- --- --- Sand --- ------ ----- ---- meine ----- -- ---------- | Hiob 6,3 |
4 | Hiob 6,4 | Denn die Pfeile des Allmächtigen stecken in mir, mein Geist trinkt ihr Gift; die Schrecken Gottes bestürmen mich. | ---- die ------ --- Allmächtigen ------- -- mir, ---- ----- trinkt --- ----- die --------- ------ bestürmen ----- | ---- --- Pfeile --- ------------- ------- -- mir, ---- ----- ------ --- Gift; --- --------- ------ ---------- mich. | Hiob 6,4 |
5 | Hiob 6,5 | Schreit auch ein Wildesel auf der Grasweide, oder brüllt ein Stier, wenn er Futter hat? | ------- auch --- -------- auf --- ---------- oder ------- --- Stier, ---- -- Futter ---- | ------- ---- ein -------- --- --- ---------- oder ------- --- ------ ---- er ------ ---- | Hiob 6,5 |
6 | Hiob 6,6 | Lässt sich etwa Fades ohne Salz essen? Oder findet man am Eiweiß irgendwelchen Geschmack? | ------ sich ---- ----- ohne ---- ------ Oder ------ --- am ------- ------------- Geschmack? | ------ ---- etwa ----- ---- ---- ------ Oder ------ --- -- ------- irgendwelchen ---------- | Hiob 6,6 |
7 | Hiob 6,7 | Was meine Seele zu berühren verschmähte, das ist jetzt mein tägliches Brot, mir zum Ekel! | --- meine ----- -- berühren ------------- --- ist ----- ---- tägliches ----- --- zum ----- | --- ----- Seele -- --------- ------------- --- ist ----- ---- ---------- ----- mir --- ----- | Hiob 6,7 |
8 | Hiob 6,8 | O dass doch meine Bitte in Erfüllung ginge, und Gott mein Verlangen gewährte: | - dass ---- ----- Bitte -- ---------- ginge, --- ---- mein --------- ---------- | - ---- doch ----- ----- -- ---------- ginge, --- ---- ---- --------- gewährte: | Hiob 6,8 |
9 | Hiob 6,9 | dass doch Gott sich entschlösse, mich zu zermalmen, seine Hand ausstreckte, um mich abzuschneiden! | ---- doch ---- ---- entschlösse, ---- -- zermalmen, ----- ---- ausstreckte, -- ---- abzuschneiden! | ---- ---- Gott ---- ------------- ---- -- zermalmen, ----- ---- ------------ -- mich -------------- | Hiob 6,9 |
10 | Hiob 6,10 | So bliebe mir noch der Trost - und ich frohlockte darüber im schonungslosen Schmerz -, dass ich die Worte des Heiligen nicht verleugnet habe! | -- bliebe --- ---- der ----- - und --- ---------- darüber -- -------------- Schmerz -- ---- ich --- ----- des -------- ----- verleugnet ----- | -- ------ mir ---- --- ----- - und --- ---------- -------- -- schonungslosen ------- -- ---- --- die ----- --- -------- ----- verleugnet ----- | Hiob 6,10 |
11 | Hiob 6,11 | Wie groß ist denn meine Kraft, dass ich noch ausharren, und wann kommt mein Ende, dass meine Seele sich gedulden soll? | --- groß --- ---- meine ------ ---- ich ---- ---------- und ---- ----- mein ----- ---- meine ----- ---- gedulden ----- | --- ----- ist ---- ----- ------ ---- ich ---- ---------- --- ---- kommt ---- ----- ---- ----- Seele ---- -------- ----- | Hiob 6,11 |
12 | Hiob 6,12 | Ist mir denn die Kraft der Steine gegeben? Ist mein Fleisch denn aus Erz? | --- mir ---- --- Kraft --- ------ gegeben? --- ---- Fleisch ---- --- Erz? | --- --- denn --- ----- --- ------ gegeben? --- ---- ------- ---- aus ---- | Hiob 6,12 |
13 | Hiob 6,13 | Bin ich denn nicht hilflos und jeder Stütze beraubt? | --- ich ---- ----- hilflos --- ----- Stütze -------- | --- --- denn ----- ------- --- ----- Stütze -------- | Hiob 6,13 |
14 | Hiob 6,14 | Dem Verzagten gebührt Mitleid von seinem Freund, sonst wird er die Furcht des Allmächtigen verlassen. | --- Verzagten -------- ------- von ------ ------- sonst ---- -- die ------ --- Allmächtigen ---------- | --- --------- gebührt ------- --- ------ ------- sonst ---- -- --- ------ des ------------- ---------- | Hiob 6,14 |
15 | Hiob 6,15 | Meine Brüder haben sich trügerisch erwiesen wie ein Wildbach, wie das Bett der Wildbäche, die vergehen, | ----- Brüder ----- ---- trügerisch -------- --- ein --------- --- das ---- --- Wildbäche, --- --------- | ----- ------- haben ---- ----------- -------- --- ein --------- --- --- ---- der ----------- --- --------- | Hiob 6,15 |
16 | Hiob 6,16 | die trübe werden vom Eis, wenn der Schnee sich darin birgt, | --- trübe ------ --- Eis, ---- --- Schnee ---- ----- birgt, | --- ------ werden --- ---- ---- --- Schnee ---- ----- ------ | Hiob 6,16 |
17 | Hiob 6,17 | die aber versiegen zur Zeit der Sommerhitze und von ihrem Ort verschwinden, wenn es heiß wird. | --- aber --------- --- Zeit --- ----------- und --- ----- Ort ------------- ---- es ----- ----- | --- ---- versiegen --- ---- --- ----------- und --- ----- --- ------------- wenn -- ----- ----- | Hiob 6,17 |
18 | Hiob 6,18 | Die Karawanen biegen ab von ihrem Weg, sie ziehen in die Wüste und verirren sich; | --- Karawanen ------ -- von ----- ---- sie ------ -- die ------ --- verirren ----- | --- --------- biegen -- --- ----- ---- sie ------ -- --- ------ und -------- ----- | Hiob 6,18 |
19 | Hiob 6,19 | die Karawanen Temas halten Ausschau, die Reisegesellschaften von Saba hoffen auf sie. | --- Karawanen ----- ------ Ausschau, --- ------------------- von ---- ------ auf ---- | --- --------- Temas ------ --------- --- ------------------- von ---- ------ --- ---- | Hiob 6,19 |
20 | Hiob 6,20 | Aber sie werden in ihrer Hoffnung betrogen; sie kommen dorthin und werden enttäuscht. | ---- sie ------ -- ihrer -------- --------- sie ------ ------- und ------ ------------ | ---- --- werden -- ----- -------- --------- sie ------ ------- --- ------ enttäuscht. | Hiob 6,20 |
21 | Hiob 6,21 | So seid auch ihr jetzt ein Nichts geworden; ihr seht Schreckliches und fürchtet euch davor! | -- seid ---- --- jetzt --- ------ geworden; --- ---- Schreckliches --- --------- euch ------ | -- ---- auch --- ----- --- ------ geworden; --- ---- ------------- --- fürchtet ---- ------ | Hiob 6,21 |
22 | Hiob 6,22 | Habe ich etwa gesagt: »Gebt mir etwas!« oder »Macht mir ein Geschenk von eurem Vermögen!« | ---- ich ---- ------- »Gebt --- -------- oder ------- --- ein -------- --- eurem ------------ | ---- --- etwa ------- ------ --- -------- oder ------- --- --- -------- von ----- ------------ | Hiob 6,22 |
23 | Hiob 6,23 | oder »Rettet mich aus der Hand des Bedrängers und erlöst mich aus der Hand des Tyrannen!«? | ---- »Rettet ---- --- der ---- --- Bedrängers --- ------- mich --- --- Hand --- ------------ | ---- -------- mich --- --- ---- --- Bedrängers --- ------- ---- --- der ---- --- ------------ | Hiob 6,23 |
24 | Hiob 6,24 | Belehrt mich doch, und ich will schweigen, weist mir nach, worin ich geirrt habe! | ------- mich ----- --- ich ---- ---------- weist --- ----- worin --- ------ habe! | ------- ---- doch, --- --- ---- ---------- weist --- ----- ----- --- geirrt ----- | Hiob 6,24 |
25 | Hiob 6,25 | Wie eindringlich sind Worte der Wahrheit! Aber was bringen eure Zurechtweisungen schon zurecht? | --- eindringlich ---- ----- der --------- ---- was ------- ---- Zurechtweisungen ----- -------- | --- ------------ sind ----- --- --------- ---- was ------- ---- ---------------- ----- zurecht? | Hiob 6,25 |
26 | Hiob 6,26 | Gedenkt ihr Worte zu bekritteln und haltet die Reden eines Verzweifelten für Wind? | ------- ihr ----- -- bekritteln --- ------ die ----- ----- Verzweifelten ---- ----- | ------- --- Worte -- ---------- --- ------ die ----- ----- ------------- ---- Wind? | Hiob 6,26 |
27 | Hiob 6,27 | Ja, ihr würdet selbst über eine Waise das Los werfen und euren Freund verschachern! | --- ihr ------- ------ über ---- ----- das --- ------ und ----- ------ verschachern! | --- --- würdet ------ ----- ---- ----- das --- ------ --- ----- Freund ------------- | Hiob 6,27 |
28 | Hiob 6,28 | Und nun tut mir den Gefallen und schaut mich an; ich werde euch doch wahrhaftig nicht ins Angesicht belügen! | --- nun --- --- den -------- --- schaut ---- --- ich ----- ---- doch ---------- ----- ins --------- --------- | --- --- tut --- --- -------- --- schaut ---- --- --- ----- euch ---- ---------- ----- --- Angesicht --------- | Hiob 6,28 |
29 | Hiob 6,29 | Kehrt doch um, tut nicht Unrecht! Ja, kehrt um! Noch bin ich hier im Recht! | ----- doch --- --- nicht -------- --- kehrt --- ---- bin --- ---- im ------ | ----- ---- um, --- ----- -------- --- kehrt --- ---- --- --- hier -- ------ | Hiob 6,29 |
30 | Hiob 6,30 | Ist denn Unrecht auf meiner Zunge, oder unterscheidet mein Gaumen nicht, was verderblich ist? | --- denn ------- --- meiner ------ ---- unterscheidet ---- ------ nicht, --- ----------- ist? | --- ---- Unrecht --- ------ ------ ---- unterscheidet ---- ------ ------ --- verderblich ---- | Hiob 6,30 |