Deutsch 18-Hiob 015(Schl2000)
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1 | Hiob 15,1 | Da antwortete Eliphas, der Temaniter, und sprach: | -- antwortete -------- --- Temaniter, --- ------- | -- ---------- Eliphas, --- ---------- --- ------- | Hiob 15,1 |
2 | Hiob 15,2 | Soll ein Weiser mit windigem Wissen antworten und seinen Leib mit Ostwind füllen? | ---- ein ------ --- windigem ------ --------- und ------ ---- mit ------- -------- | ---- --- Weiser --- -------- ------ --------- und ------ ---- --- ------- füllen? | Hiob 15,2 |
3 | Hiob 15,3 | Soll er mit Worten streiten, die nichts taugen, oder mit Reden, durch die er nichts nützt? | ---- er --- ------ streiten, --- ------ taugen, ---- --- Reden, ----- --- er ------ ------- | ---- -- mit ------ --------- --- ------ taugen, ---- --- ------ ----- die -- ------ ------- | Hiob 15,3 |
4 | Hiob 15,4 | Ja, du machst die Gottesfurcht zunichte und schwächst die Andacht vor Gott! | --- du ------ --- Gottesfurcht -------- --- schwächst --- ------- vor ----- | --- -- machst --- ------------ -------- --- schwächst --- ------- --- ----- | Hiob 15,4 |
5 | Hiob 15,5 | Denn deine Missetat lehrt deinen Mund, und du wählst die Sprache der Listigen. | ---- deine -------- ----- deinen ----- --- du ------- --- Sprache --- --------- | ---- ----- Missetat ----- ------ ----- --- du ------- --- ------- --- Listigen. | Hiob 15,5 |
6 | Hiob 15,6 | Dein eigener Mund verurteilt dich und nicht ich; und deine Lippen zeugen gegen dich! | ---- eigener ---- ---------- dich --- ----- ich; --- ----- Lippen ------ ----- dich! | ---- ------- Mund ---------- ---- --- ----- ich; --- ----- ------ ------ gegen ----- | Hiob 15,6 |
7 | Hiob 15,7 | Bist du als erster der Menschen geboren, und bist du vor den Hügeln hervorgebracht worden? | ---- du --- ------ der -------- -------- und ---- -- vor --- ------- hervorgebracht ------- | ---- -- als ------ --- -------- -------- und ---- -- --- --- Hügeln -------------- ------- | Hiob 15,7 |
8 | Hiob 15,8 | Hast du Gottes Geheimnis belauscht und alle Weisheit an dich gerissen? | ---- du ------ --------- belauscht --- ---- Weisheit -- ---- gerissen? | ---- -- Gottes --------- --------- --- ---- Weisheit -- ---- --------- | Hiob 15,8 |
9 | Hiob 15,9 | Was weißt du, das wir nicht wüssten? Was verstehst du, das uns nicht bekannt wäre? | --- weißt --- --- wir ----- --------- Was --------- --- das --- ----- bekannt ------ | --- ------ du, --- --- ----- --------- Was --------- --- --- --- nicht ------- ------ | Hiob 15,9 |
10 | Hiob 15,10 | Auch unter uns sind ergraute Häupter, auch Greise, reicher an Tagen als dein Vater! | ---- unter --- ---- ergraute --------- ---- Greise, ------- -- Tagen --- ---- Vater! | ---- ----- uns ---- -------- --------- ---- Greise, ------- -- ----- --- dein ------ | Hiob 15,10 |
11 | Hiob 15,11 | Sind dir Gottes Tröstungen zu gering, und ein Wort, das sanft mit dir verfährt? | ---- dir ------ ----------- zu ------- --- ein ----- --- sanft --- --- verfährt? | ---- --- Gottes ----------- -- ------- --- ein ----- --- ----- --- dir ---------- | Hiob 15,11 |
12 | Hiob 15,12 | Was hat dir die Besinnung geraubt, und wie übermütig wirst du, | --- hat --- --- Besinnung -------- --- wie ----------- ----- du, | --- --- dir --- --------- -------- --- wie ----------- ----- --- | Hiob 15,12 |
13 | Hiob 15,13 | dass du dein Schnauben gegen Gott kehrst und solche Worte aus deinem Mund ausstößt? | ---- du ---- --------- gegen ---- ------ und ------ ----- aus ------ ---- ausstößt? | ---- -- dein --------- ----- ---- ------ und ------ ----- --- ------ Mund ----------- | Hiob 15,13 |
14 | Hiob 15,14 | Was ist der Sterbliche, dass er rein sein sollte, und wie kann der von einer Frau Geborene gerecht sein? | --- ist --- ----------- dass -- ---- sein ------- --- wie ---- --- von ----- ---- Geborene ------- ----- | --- --- der ----------- ---- -- ---- sein ------- --- --- ---- der --- ----- ---- -------- gerecht ----- | Hiob 15,14 |
15 | Hiob 15,15 | Siehe, seinen Heiligen traut Er nicht, die Himmel sind nicht rein in seinen Augen; | ------ seinen -------- ----- Er ------ --- Himmel ---- ----- rein -- ------ Augen; | ------ ------ Heiligen ----- -- ------ --- Himmel ---- ----- ---- -- seinen ------ | Hiob 15,15 |
16 | Hiob 15,16 | wieviel weniger der Abscheuliche und Verdorbene, der Mensch, der Unrecht wie Wasser säuft? | ------- weniger --- ------------ und ----------- --- Mensch, --- ------- wie ------ ------- | ------- ------- der ------------ --- ----------- --- Mensch, --- ------- --- ------ säuft? | Hiob 15,16 |
17 | Hiob 15,17 | Ich will's dir mitteilen, höre mir zu; und was ich gesehen habe, will ich erzählen, | --- will's --- ---------- höre --- --- und --- --- gesehen ----- ---- ich ---------- | --- ------ dir ---------- ----- --- --- und --- --- ------- ----- will --- ---------- | Hiob 15,17 |
18 | Hiob 15,18 | was Weise verkündeten und nicht verborgen haben von ihren Vätern her, | --- Weise ------------ --- nicht --------- ----- von ----- ------- her, | --- ----- verkündeten --- ----- --------- ----- von ----- ------- ---- | Hiob 15,18 |
19 | Hiob 15,19 | als ihnen das Land noch allein gehörte und noch kein Fremder in ihrer Mitte umherzog: | --- ihnen --- ---- noch ------ -------- und ---- ---- Fremder -- ----- Mitte --------- | --- ----- das ---- ---- ------ -------- und ---- ---- ------- -- ihrer ----- --------- | Hiob 15,19 |
20 | Hiob 15,20 | Der Gottlose quält sich mit Angst sein Leben lang; nur abgezählte Zeit ist dem Gewalttäter bestimmt; | --- Gottlose ------ ---- mit ----- ---- Leben ----- --- abgezählte ---- --- dem ------------ --------- | --- -------- quält ---- --- ----- ---- Leben ----- --- ----------- ---- ist --- ------------ --------- | Hiob 15,20 |
21 | Hiob 15,21 | Schreckensrufe sind in seinen Ohren, mitten im Frieden überfällt ihn der Verderber. | -------------- sind -- ------ Ohren, ------ -- Frieden ----------- --- der ---------- | -------------- ---- in ------ ------ ------ -- Frieden ----------- --- --- ---------- | Hiob 15,21 |
22 | Hiob 15,22 | Er soll nicht glauben, dass er aus der Finsternis je wiederkehrt; für das Schwert ist er ausersehen! | -- soll ----- -------- dass -- --- der ---------- -- wiederkehrt; ---- --- Schwert --- -- ausersehen! | -- ---- nicht -------- ---- -- --- der ---------- -- ------------ ---- das ------- --- -- ----------- | Hiob 15,22 |
23 | Hiob 15,23 | Er irrt umher nach Brot: wo [kann er's finden]? Er weiß, dass der Tag der Finsternis ihm bereitet ist. | -- irrt ----- ---- Brot: -- ----- er's -------- -- weiß, ---- --- Tag --- ---------- ihm -------- ---- | -- ---- umher ---- ----- -- ----- er's -------- -- ------ ---- der --- --- ---------- --- bereitet ---- | Hiob 15,23 |
24 | Hiob 15,24 | Not und Bedrängnis überfallen ihn; sie überwältigen ihn wie ein König, der zum Angriff gerüstet ist. | --- und ----------- ----------- ihn; --- -------------- ihn --- --- König, --- --- Angriff --------- ---- | --- --- Bedrängnis ----------- ---- --- -------------- ihn --- --- ------- --- zum ------- --------- ---- | Hiob 15,24 |
25 | Hiob 15,25 | Denn er hat seine Hand gegen Gott ausgestreckt und sich gegen den Allmächtigen aufgelehnt; | ---- er --- ----- Hand ----- ---- ausgestreckt --- ---- gegen --- ------------- aufgelehnt; | ---- -- hat ----- ---- ----- ---- ausgestreckt --- ---- ----- --- Allmächtigen ----------- | Hiob 15,25 |
26 | Hiob 15,26 | er ist hartnäckig gegen ihn angelaufen, unter dem dicken Buckel seiner Schilde; | -- ist ----------- ----- ihn ----------- ----- dem ------ ------ seiner -------- | -- --- hartnäckig ----- --- ----------- ----- dem ------ ------ ------ -------- | Hiob 15,26 |
27 | Hiob 15,27 | denn sein Angesicht hat er mit Fett gepolstert, und Speck hat er an seinen Lenden angesetzt. | ---- sein --------- --- er --- ---- gepolstert, --- ----- hat -- -- seinen ------ ---------- | ---- ---- Angesicht --- -- --- ---- gepolstert, --- ----- --- -- an ------ ------ ---------- | Hiob 15,27 |
28 | Hiob 15,28 | Und er hat seine Wohnung in zerstörten Städten aufgeschlagen, in Häusern, die unbewohnt bleiben sollten, zu Trümmerhaufen bestimmt. | --- er --- ----- Wohnung -- ----------- Städten -------------- -- Häusern, --- --------- bleiben -------- -- Trümmerhaufen --------- | --- -- hat ----- ------- -- ----------- Städten -------------- -- --------- --- unbewohnt ------- -------- -- -------------- bestimmt. | Hiob 15,28 |
29 | Hiob 15,29 | Er wird nicht reich, sein Vermögen hat keinen Bestand, und sein Besitz breitet sich nicht aus im Land. | -- wird ----- ------ sein --------- --- keinen -------- --- sein ------ ------- sich ----- --- im ----- | -- ---- nicht ------ ---- --------- --- keinen -------- --- ---- ------ breitet ---- ----- --- -- Land. | Hiob 15,29 |
30 | Hiob 15,30 | Der Finsternis entgeht er nicht, die Flamme versengt seine Sprösslinge; vor dem Hauch Seines Mundes flieht er dahin. | --- Finsternis ------- -- nicht, --- ------ versengt ----- ------------- vor --- ----- Seines ------ ------ er ------ | --- ---------- entgeht -- ------ --- ------ versengt ----- ------------- --- --- Hauch ------ ------ ------ -- dahin. | Hiob 15,30 |
31 | Hiob 15,31 | Er verlasse sich nicht auf Betrug, sonst wird er irregeführt; und Betrug wird seine Vergeltung sein. | -- verlasse ---- ----- auf ------- ----- wird -- ------------- und ------ ---- seine ---------- ----- | -- -------- sich ----- --- ------- ----- wird -- ------------- --- ------ wird ----- ---------- ----- | Hiob 15,31 |
32 | Hiob 15,32 | Ehe sein Tag kommt, so erfüllt sich [sein Geschick]; sein Zweig grünt nicht mehr. | --- sein --- ------ so -------- ---- [sein ---------- ---- Zweig ------ ----- mehr. | --- ---- Tag ------ -- -------- ---- [sein ---------- ---- ----- ------ nicht ----- | Hiob 15,32 |
33 | Hiob 15,33 | Wie ein Weinstock, der seine unreifen Trauben abstößt, und wie ein ö-lbaum [ist er], der seine Blüten abwirft. | --- ein ---------- --- seine -------- ------- abstößt, --- --- ein -------- ---- er], --- ----- Blüten -------- | --- --- Weinstock, --- ----- -------- ------- abstößt, --- --- --- -------- [ist ---- --- ----- ------- abwirft. | Hiob 15,33 |
34 | Hiob 15,34 | Denn die Rotte der Ruchlosen ist unfruchtbar, und Feuer verzehrt die Zelte der Bestechung. | ---- die ----- --- Ruchlosen --- ------------ und ----- -------- die ----- --- Bestechung. | ---- --- Rotte --- --------- --- ------------ und ----- -------- --- ----- der ----------- | Hiob 15,34 |
35 | Hiob 15,35 | Mit Mühsal gehen sie schwanger und gebären Unheil, und ihr Schoß bereitet ihnen Enttäuschung! | --- Mühsal ----- --- schwanger --- -------- Unheil, --- --- Schoß -------- ----- Enttäuschung! | --- ------- gehen --- --------- --- -------- Unheil, --- --- ------ -------- ihnen -------------- | Hiob 15,35 |