Deutsch 18-Hiob 019(Schl2000)
Anweisung: die Maus von links nach rechts bewegen um die Informationen zu erhalten. Gehe mit der Maus auf den zwischenräume um zu lernen ohne sehen.
Home
1 | Hiob 19,1 | Und Hiob antwortete und sprach: | --- Hiob ---------- --- sprach: | --- ---- antwortete --- ------- | Hiob 19,1 |
2 | Hiob 19,2 | Wie lange wollt ihr meine Seele plagen und mich mit Worten niederdrücken? | --- lange ----- --- meine ----- ------ und ---- --- Worten --------------- | --- ----- wollt --- ----- ----- ------ und ---- --- ------ --------------- | Hiob 19,2 |
3 | Hiob 19,3 | Zehnmal schon habt ihr mich geschmäht; schämt ihr euch nicht, mich zu misshandeln? | ------- schon ---- --- mich ----------- ------- ihr ---- ------ mich -- ------------ | ------- ----- habt --- ---- ----------- ------- ihr ---- ------ ---- -- misshandeln? | Hiob 19,3 |
4 | Hiob 19,4 | Habe ich mich aber wahrhaftig verfehlt, so trifft doch meine Verfehlung mich selbst! | ---- ich ---- ---- wahrhaftig --------- -- trifft ---- ----- Verfehlung ---- ------- | ---- --- mich ---- ---------- --------- -- trifft ---- ----- ---------- ---- selbst! | Hiob 19,4 |
5 | Hiob 19,5 | Wenn ihr in Wahrheit gegen mich großtun und mir meine Schmach vorwerfen wollt, | ---- ihr -- -------- gegen ---- -------- und --- ----- Schmach --------- ------ | ---- --- in -------- ----- ---- -------- und --- ----- ------- --------- wollt, | Hiob 19,5 |
6 | Hiob 19,6 | so erkennt doch, dass Gott mein Recht gebeugt und sein Netz über mich geworfen hat. | -- erkennt ----- ---- Gott ---- ----- gebeugt --- ---- Netz ----- ---- geworfen ---- | -- ------- doch, ---- ---- ---- ----- gebeugt --- ---- ---- ----- mich -------- ---- | Hiob 19,6 |
7 | Hiob 19,7 | Siehe, wenn ich schreie »Gewalttat!«, so erhalte ich keine Antwort, und rufe ich um Hilfe, so finde ich kein Recht. | ------ wenn --- ------- »Gewalttat!«, -- ------- ich ----- -------- und ---- --- um ------ -- finde --- ---- Recht. | ------ ---- ich ------- --------------- -- ------- ich ----- -------- --- ---- ich -- ------ -- ----- ich ---- ------ | Hiob 19,7 |
8 | Hiob 19,8 | Er hat mir den Weg versperrt, so dass ich nicht weiterkomme, und über meine Pfade hat er Finsternis gebreitet. | -- hat --- --- Weg ---------- -- dass --- ----- weiterkomme, --- ----- meine ----- --- er ---------- ---------- | -- --- mir --- --- ---------- -- dass --- ----- ------------ --- über ----- ----- --- -- Finsternis ---------- | Hiob 19,8 |
9 | Hiob 19,9 | Er hat mich meiner Ehre entkleidet und mir die Krone meines Hauptes weggenommen. | -- hat ---- ------ Ehre ---------- --- mir --- ----- meines ------- ------------ | -- --- mich ------ ---- ---------- --- mir --- ----- ------ ------- weggenommen. | Hiob 19,9 |
10 | Hiob 19,10 | Er hat mich gänzlich niedergerissen, so dass ich vergehe, und hat meine Hoffnung entwurzelt wie einen Baum. | -- hat ---- --------- niedergerissen, -- ---- ich -------- --- hat ----- -------- entwurzelt --- ----- Baum. | -- --- mich --------- --------------- -- ---- ich -------- --- --- ----- Hoffnung ---------- --- ----- ----- | Hiob 19,10 |
11 | Hiob 19,11 | Sein Zorn ist gegen mich entbrannt, und er sieht mich an wie einen seiner Feinde. | ---- Zorn --- ----- mich ---------- --- er ----- ---- an --- ----- seiner ------- | ---- ---- ist ----- ---- ---------- --- er ----- ---- -- --- einen ------ ------- | Hiob 19,11 |
12 | Hiob 19,12 | Seine Scharen rücken geschlossen an und bahnen sich einen Weg gegen mich und lagern sich um mein Zelt her. | ----- Scharen ------- ----------- an --- ------ sich ----- --- gegen ---- --- lagern ---- -- mein ---- ---- | ----- ------- rücken ----------- -- --- ------ sich ----- --- ----- ---- und ------ ---- -- ---- Zelt ---- | Hiob 19,12 |
13 | Hiob 19,13 | Meine Brüder hat er von mir verscheucht, und die mich kennen, sind mir ganz entfremdet. | ----- Brüder --- -- von --- ------------ und --- ---- kennen, ---- --- ganz ----------- | ----- ------- hat -- --- --- ------------ und --- ---- ------- ---- mir ---- ----------- | Hiob 19,13 |
14 | Hiob 19,14 | Meine Verwandten bleiben aus, und meine Vertrauten verlassen mich. | ----- Verwandten ------- ---- und ----- ---------- verlassen ----- | ----- ---------- bleiben ---- --- ----- ---------- verlassen ----- | Hiob 19,14 |
15 | Hiob 19,15 | Meine Hausgenossen und meine Mägde halten mich für einen Fremden; sie sehen mich als einen Unbekannten an. | ----- Hausgenossen --- ----- Mägde ------ ---- für ----- -------- sie ----- ---- als ----- ----------- an. | ----- ------------ und ----- ------ ------ ---- für ----- -------- --- ----- mich --- ----- ----------- --- | Hiob 19,15 |
16 | Hiob 19,16 | Rufe ich meinen Knecht, so antwortet er mir nicht; ich muss ihn anflehen mit meinem Mund. | ---- ich ------ ------- so --------- -- mir ------ --- muss --- -------- mit ------ ----- | ---- --- meinen ------- -- --------- -- mir ------ --- ---- --- anflehen --- ------ ----- | Hiob 19,16 |
17 | Hiob 19,17 | Mein Atem ist meiner Frau zuwider und mein Gestank den Söhnen meiner Mutter. | ---- Atem --- ------ Frau ------- --- mein ------- --- Söhnen ------ ------- | ---- ---- ist ------ ---- ------- --- mein ------- --- ------- ------ Mutter. | Hiob 19,17 |
18 | Hiob 19,18 | Sogar Buben verachten mich; stehe ich auf, so reden sie gegen mich. | ----- Buben --------- ----- stehe --- ---- so ----- --- gegen ----- | ----- ----- verachten ----- ----- --- ---- so ----- --- ----- ----- | Hiob 19,18 |
19 | Hiob 19,19 | Alle meine Vertrauten verabscheuen mich, und die ich liebte, haben sich gegen mich gewandt. | ---- meine ---------- ------------ mich, --- --- ich ------- ----- sich ----- ---- gewandt. | ---- ----- Vertrauten ------------ ----- --- --- ich ------- ----- ---- ----- mich -------- | Hiob 19,19 |
20 | Hiob 19,20 | An meiner Haut und meinem Fleisch klebt mein Gebein, und ich habe kaum noch Haut, um meine Zähne zu behalten. | -- meiner ---- --- meinem ------- ----- mein ------- --- ich ---- ---- noch ----- -- meine ------ -- behalten. | -- ------ Haut --- ------ ------- ----- mein ------- --- --- ---- kaum ---- ----- -- ----- Zähne -- --------- | Hiob 19,20 |
21 | Hiob 19,21 | Erbarmt euch, erbarmt euch doch über mich, ihr, meine Freunde, denn die Hand Gottes hat mich getroffen! | ------- euch, ------- ---- doch ----- ----- ihr, ----- -------- denn --- ---- Gottes --- ---- getroffen! | ------- ----- erbarmt ---- ---- ----- ----- ihr, ----- -------- ---- --- Hand ------ --- ---- ---------- | Hiob 19,21 |
22 | Hiob 19,22 | Warum verfolgt ihr mich ebenso wie Gott, und werdet nicht satt, mich zu zerfleischen? | ----- verfolgt --- ---- ebenso --- ----- und ------ ----- satt, ---- -- zerfleischen? | ----- -------- ihr ---- ------ --- ----- und ------ ----- ----- ---- zu ------------- | Hiob 19,22 |
23 | Hiob 19,23 | O dass doch meine Worte aufgeschrieben, o dass sie doch in ein Buch eingetragen würden, | - dass ---- ----- Worte --------------- - dass --- ---- in --- ---- eingetragen -------- | - ---- doch ----- ----- --------------- - dass --- ---- -- --- Buch ----------- -------- | Hiob 19,23 |
24 | Hiob 19,24 | dass sie mit eisernem Griffel und Blei für immer in den Felsen gehauen würden: | ---- sie --- -------- Griffel --- ---- für ----- -- den ------ ------- würden: | ---- --- mit -------- ------- --- ---- für ----- -- --- ------ gehauen -------- | Hiob 19,24 |
25 | Hiob 19,25 | Ich weiß, dass mein Erlöser lebt, und zuletzt wird er sich über den Staub erheben. | --- weiß, ---- ---- Erlöser ----- --- zuletzt ---- -- sich ----- --- Staub -------- | --- ------ dass ---- -------- ----- --- zuletzt ---- -- ---- ----- den ----- -------- | Hiob 19,25 |
26 | Hiob 19,26 | Und nachdem diese meine Hülle zerbrochen ist, dann werde ich, von meinem Fleisch los, Gott schauen; | --- nachdem ----- ----- Hülle ---------- ---- dann ----- ---- von ------ ------- los, ---- -------- | --- ------- diese ----- ------ ---------- ---- dann ----- ---- --- ------ Fleisch ---- ---- -------- | Hiob 19,26 |
27 | Hiob 19,27 | ja, ich selbst werde ihn schauen, und meine Augen werden ihn sehen, ohne [ihm] fremd zu sein. Danach sehnt sich mein Herz in mir! | --- ich ------ ----- ihn -------- --- meine ----- ------ ihn ------ ---- [ihm] ----- -- sein. ------ ----- sich ---- ---- in ---- | --- --- selbst ----- --- -------- --- meine ----- ------ --- ------ ohne ----- ----- -- ----- Danach ----- ---- ---- ---- in ---- | Hiob 19,27 |
28 | Hiob 19,28 | Wenn ihr sprecht: »Wie wollen wir ihn zur Strecke bringen?« und [meint,] die Wurzel der Sache sei in mir zu finden, | ---- ihr -------- ----- wollen --- --- zur ------- ---------- und -------- --- Wurzel --- ----- sei -- --- zu ------- | ---- --- sprecht: ----- ------ --- --- zur ------- ---------- --- -------- die ------ --- ----- --- in --- -- ------- | Hiob 19,28 |
29 | Hiob 19,29 | so fürchtet euch selbst vor dem Schwert! Denn das Schwert wird die Sünden rächen, damit ihr wisst, dass es ein Gericht gibt! | -- fürchtet ---- ------ vor --- -------- Denn --- ------- wird --- ------- rächen, ----- --- wisst, ---- -- ein ------- ----- | -- --------- euch ------ --- --- -------- Denn --- ------- ---- --- Sünden -------- ----- --- ------ dass -- --- ------- ----- | Hiob 19,29 |