Deutsch 18-Hiob 021(Schl2000)
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1 | Hiob 21,1 | Darauf antwortete Hiob und sprach: | ------ antwortete ---- --- sprach: | ------ ---------- Hiob --- ------- | Hiob 21,1 |
2 | Hiob 21,2 | Hört, o hört doch an, was ich zu sagen habe; das soll der Trost sein, den ihr mir gewährt! | ------ o ----- ---- an, --- --- zu ----- ----- das ---- --- Trost ----- --- ihr --- --------- | ------ - hört ---- --- --- --- zu ----- ----- --- ---- der ----- ----- --- --- mir --------- | Hiob 21,2 |
3 | Hiob 21,3 | Erlaubt mir, dass ich rede; und nachdem ich gesprochen habe, magst du spotten! | ------- mir, ---- --- rede; --- ------- ich ---------- ----- magst -- -------- | ------- ---- dass --- ----- --- ------- ich ---------- ----- ----- -- spotten! | Hiob 21,3 |
4 | Hiob 21,4 | Richte ich etwa meine Klage an einen Menschen? Und warum sollte ich nicht ungeduldig sein? | ------ ich ---- ----- Klage -- ----- Menschen? --- ----- sollte --- ----- ungeduldig ----- | ------ --- etwa ----- ----- -- ----- Menschen? --- ----- ------ --- nicht ---------- ----- | Hiob 21,4 |
5 | Hiob 21,5 | Wendet euch zu mir und staunt, und legt die Hand auf den Mund! | ------ euch -- --- und ------- --- legt --- ---- auf --- ----- | ------ ---- zu --- --- ------- --- legt --- ---- --- --- Mund! | Hiob 21,5 |
6 | Hiob 21,6 | Ja, wenn ich daran denke, so erschrecke ich, und Zittern erfasst meinen Leib. | --- wenn --- ----- denke, -- ---------- ich, --- ------- erfasst ------ ----- | --- ---- ich ----- ------ -- ---------- ich, --- ------- ------- ------ Leib. | Hiob 21,6 |
7 | Hiob 21,7 | Warum leben denn die Gottlosen, werden alt, groß und stark? | ----- leben ---- --- Gottlosen, ------ ---- groß --- ------ | ----- ----- denn --- ---------- ------ ---- groß --- ------ | Hiob 21,7 |
8 | Hiob 21,8 | Ihr Same gedeiht vor ihrem Angesicht, um sie her, und ihre Sprösslinge sind vor ihren Augen. | --- Same ------- --- ihrem ---------- -- sie ---- --- ihre ------------ ---- vor ----- ------ | --- ---- gedeiht --- ----- ---------- -- sie ---- --- ---- ------------ sind --- ----- ------ | Hiob 21,8 |
9 | Hiob 21,9 | Ihre Häuser haben Frieden, keine Furcht; die Rute Gottes schlägt sie nicht. | ---- Häuser ----- -------- keine ------- --- Rute ------ -------- sie ------ | ---- ------- haben -------- ----- ------- --- Rute ------ -------- --- ------ | Hiob 21,9 |
10 | Hiob 21,10 | Sein Stier bespringt, und nicht umsonst; seine Kuh kalbt ohne Fehlgeburt. | ---- Stier ---------- --- nicht -------- ----- Kuh ----- ---- Fehlgeburt. | ---- ----- bespringt, --- ----- -------- ----- Kuh ----- ---- ----------- | Hiob 21,10 |
11 | Hiob 21,11 | Ihre Jungen lassen sie ausziehen wie eine Schafherde, und ihre Kinder hüpfen herum. | ---- Jungen ------ --- ausziehen --- ---- Schafherde, --- ---- Kinder ------- ------ | ---- ------ lassen --- --------- --- ---- Schafherde, --- ---- ------ ------- herum. | Hiob 21,11 |
12 | Hiob 21,12 | Sie singen laut zur Pauke und Laute und sind fröhlich beim Klang der Schalmei. | --- singen ---- --- Pauke --- ----- und ---- --------- beim ----- --- Schalmei. | --- ------ laut --- ----- --- ----- und ---- --------- ---- ----- der --------- | Hiob 21,12 |
13 | Hiob 21,13 | Sie verbringen ihre Tage in Wohlleben und fahren in einem Augenblick in das Totenreich hinab. | --- verbringen ---- ---- in --------- --- fahren -- ----- Augenblick -- --- Totenreich ------ | --- ---------- ihre ---- -- --------- --- fahren -- ----- ---------- -- das ---------- ------ | Hiob 21,13 |
14 | Hiob 21,14 | Und doch sprechen sie zu Gott: »Weiche von uns; nach der Erkenntnis deiner Wege fragen wir nicht! | --- doch -------- --- zu ----- -------- von ---- ---- der ---------- ------ Wege ------ --- nicht! | --- ---- sprechen --- -- ----- -------- von ---- ---- --- ---------- deiner ---- ------ --- ------ | Hiob 21,14 |
15 | Hiob 21,15 | Was ist schon der Allmächtige, dass wir ihm dienen sollten, und was nützt es uns, ihn anzurufen?« | --- ist ----- --- Allmächtige, ---- --- ihm ------ -------- und --- ------ es ---- --- anzurufen?« | --- --- schon --- ------------- ---- --- ihm ------ -------- --- --- nützt -- ---- --- ------------ | Hiob 21,15 |
16 | Hiob 21,16 | - Doch siehe, ihr Glück liegt nicht in ihrer Hand; [darum] sei der Rat der Gottlosen fern von mir! †| - Doch ------ --- Glück ----- ----- in ----- ----- [darum] --- --- Rat --- --------- fern --- ---- †| - ---- siehe, --- ------ ----- ----- in ----- ----- ------- --- der --- --- --------- ---- von ---- ----- | Hiob 21,16 |
17 | Hiob 21,17 | Wie oft erlischt die Leuchte der Gottlosen und ereilt sie ihr Unglück, teilt Er ihnen Verderben zu in seinem Zorn, | --- oft -------- --- Leuchte --- --------- und ------ --- ihr --------- ----- Er ----- --------- zu -- ------ Zorn, | --- --- erlischt --- ------- --- --------- und ------ --- --- --------- teilt -- ----- --------- -- in ------ ----- | Hiob 21,17 |
18 | Hiob 21,18 | werden sie wie Stroh vor dem Wind und wie Spreu, die der Sturm entführt? | ------ sie --- ----- vor --- ---- und --- ------ die --- ----- entführt? | ------ --- wie ----- --- --- ---- und --- ------ --- --- Sturm ---------- | Hiob 21,18 |
19 | Hiob 21,19 | Spart Gott das Unglück [des Gottlosen] für seine Kinder auf? - Ihm selbst sollte er vergelten, so dass er es weiß! | ----- Gott --- -------- [des ---------- ---- seine ------ ---- - --- ------ sollte -- ---------- so ---- -- es ------ | ----- ---- das -------- ---- ---------- ---- seine ------ ---- - --- selbst ------ -- ---------- -- dass -- -- ------ | Hiob 21,19 |
20 | Hiob 21,20 | Seine eigenen Augen sollen sein Verderben sehen, und den Zorn des Allmächtigen soll er selbst trinken! | ----- eigenen ----- ------ sein --------- ------ und --- ---- des ------------- ---- er ------ -------- | ----- ------- Augen ------ ---- --------- ------ und --- ---- --- ------------- soll -- ------ -------- | Hiob 21,20 |
21 | Hiob 21,21 | Denn was liegt ihm an seinem Haus nach seinem Tod, wenn die Zahl seiner Monate abgerissen ist? | ---- was ----- --- an ------ ---- nach ------ ---- wenn --- ---- seiner ------ ---------- ist? | ---- --- liegt --- -- ------ ---- nach ------ ---- ---- --- Zahl ------ ------ ---------- ---- | Hiob 21,21 |
22 | Hiob 21,22 | Kann man Gott Erkenntnis lehren, da er es doch ist, der die Hohen richtet? | ---- man ---- ---------- lehren, -- -- es ---- ---- der --- ----- richtet? | ---- --- Gott ---------- ------- -- -- es ---- ---- --- --- Hohen -------- | Hiob 21,22 |
23 | Hiob 21,23 | Der eine stirbt im Vollbesitz seiner Kraft, vollkommen ruhig und sorglos; | --- eine ------ -- Vollbesitz ------ ------ vollkommen ----- --- sorglos; | --- ---- stirbt -- ---------- ------ ------ vollkommen ----- --- -------- | Hiob 21,23 |
24 | Hiob 21,24 | seine Tröge fließen über von Milch, und das Mark seiner Gebeine ist getränkt. | ----- Tröge -------- ----- von ------ --- das ---- ------ Gebeine --- ---------- | ----- ------ fließen ----- --- ------ --- das ---- ------ ------- --- getränkt. | Hiob 21,24 |
25 | Hiob 21,25 | Der andere aber stirbt mit betrübter Seele und hat nie Gutes geschmeckt: | --- andere ---- ------ mit ---------- ----- und --- --- Gutes ----------- | --- ------ aber ------ --- ---------- ----- und --- --- ----- ----------- | Hiob 21,25 |
26 | Hiob 21,26 | Gemeinsam liegen sie im Staub, und Gewürm bedeckt sie beide. | --------- liegen --- -- Staub, --- ------- bedeckt --- ------ | --------- ------ sie -- ------ --- ------- bedeckt --- ------ | Hiob 21,26 |
27 | Hiob 21,27 | Seht, ich kenne eure öœberlegungen und die listigen Pläne, mit denen ihr mir Unrecht tun wollt! | ----- ich ----- ---- öœberlegungen --- --- listigen ------- --- denen --- --- Unrecht --- ------ | ----- --- kenne ---- --------------- --- --- listigen ------- --- ----- --- mir ------- --- ------ | Hiob 21,27 |
28 | Hiob 21,28 | Denn ihr denkt: »Wo ist das Haus des Fürsten hingekommen? Und wo ist das Zelt, in dem die Gottlosen wohnten?« | ---- ihr ------ ---- ist --- ---- des -------- ------------ Und -- --- das ----- -- dem --- --------- wohnten?« | ---- --- denkt: ---- --- --- ---- des -------- ------------ --- -- ist --- ----- -- --- die --------- ---------- | Hiob 21,28 |
29 | Hiob 21,29 | Habt ihr nicht die befragt, die auf dem Weg vorüberzogen? Und habt ihr ihre Hinweise nicht beachtet, | ---- ihr ----- --- befragt, --- --- dem --- -------------- Und ---- --- ihre -------- ----- beachtet, | ---- --- nicht --- -------- --- --- dem --- -------------- --- ---- ihr ---- -------- ----- --------- | Hiob 21,29 |
30 | Hiob 21,30 | dass der Böse verschont wird am Tag des Unglücks und dem Tag des Zorns entgeht? | ---- der ----- --------- wird -- --- des --------- --- dem --- --- Zorns -------- | ---- --- Böse --------- ---- -- --- des --------- --- --- --- des ----- -------- | Hiob 21,30 |
31 | Hiob 21,31 | Wer kann ihm ins Gesicht seinen Wandel vorhalten, und sein Tun, wer vergilt es ihm? | --- kann --- --- Gesicht ------ ------ vorhalten, --- ---- Tun, --- ------- es ---- | --- ---- ihm --- ------- ------ ------ vorhalten, --- ---- ---- --- vergilt -- ---- | Hiob 21,31 |
32 | Hiob 21,32 | Doch er wird [feierlich] zu Grabe getragen, und über seinem Grabhügel hält man Wache. | ---- er ---- ----------- zu ----- --------- und ----- ------ Grabhügel ----- --- Wache. | ---- -- wird ----------- -- ----- --------- und ----- ------ ---------- ----- man ------ | Hiob 21,32 |
33 | Hiob 21,33 | Angenehm sind ihm die Schollen des Tales; hinter ihm her zieht jedermann, und vor ihm her eine unzählbare Schar. | -------- sind --- --- Schollen --- ------ hinter --- --- zieht ---------- --- vor --- --- eine ----------- ------ | -------- ---- ihm --- -------- --- ------ hinter --- --- ----- ---------- und --- --- --- ---- unzählbare ------ | Hiob 21,33 |
34 | Hiob 21,34 | Was tröstet ihr mich da mit Nichtigkeiten? Eure Antworten sind nichts als Trug! | --- tröstet --- ---- da --- -------------- Eure --------- ---- nichts --- ----- | --- -------- ihr ---- -- --- -------------- Eure --------- ---- ------ --- Trug! | Hiob 21,34 |