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Deutsch 18-Hiob 023(Schl2000)

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1

Hiob 23,1

Da antwortete Hiob und sprach:

-- antwortete ---- --- sprach:

-- ---------- Hiob --- -------

Hiob 23,1


2

Hiob 23,2

Auch heute noch ist meine Klage bitter; die Hand, die mich trifft, presst mir schwere Seufzer aus!

---- heute ---- --- meine ----- ------- die ----- --- mich ------- ------ mir ------- ------- aus!

---- ----- noch --- ----- ----- ------- die ----- --- ---- ------- presst --- ------- ------- ----

Hiob 23,2


3

Hiob 23,3

O dass ich wüsste, wo ich ihn fände, dass ich bis zu seinem Thron gelangen könnte!

- dass --- -------- wo --- --- fände, ---- --- bis -- ------ Thron -------- --------

- ---- ich -------- -- --- --- fände, ---- --- --- -- seinem ----- -------- --------

Hiob 23,3


4

Hiob 23,4

Ich würde ihm [meine] Rechtssache vorlegen und meinen Mund mit Beweisen füllen.

--- würde --- ------- Rechtssache -------- --- meinen ---- --- Beweisen --------

--- ------ ihm ------- ----------- -------- --- meinen ---- --- -------- --------

Hiob 23,4


5

Hiob 23,5

Ich möchte wissen, was er mir antworten, und erfahren, was er zu mir sagen würde.

--- möchte ------- --- er --- ---------- und --------- --- er -- --- sagen -------

--- ------- wissen, --- -- --- ---------- und --------- --- -- -- mir ----- -------

Hiob 23,5


6

Hiob 23,6

Würde er in seiner Machtfülle mit mir streiten? Nein, er würde mich gewiss anhören.

------ er -- ------ Machtfülle --- --- streiten? ----- -- würde ---- ------ anhören.

------ -- in ------ ----------- --- --- streiten? ----- -- ------ ---- gewiss ---------

Hiob 23,6


7

Hiob 23,7

Da würde ein Redlicher bei ihm vorsprechen, und ich würde auf ewig frei ausgehen von meinem Richter.

-- würde --- --------- bei --- ------------ und --- ------ auf ---- ---- ausgehen --- ------ Richter.

-- ------ ein --------- --- --- ------------ und --- ------ --- ---- frei -------- --- ------ --------

Hiob 23,7


8

Hiob 23,8

Wenn ich aber nach Osten gehe, so ist er nirgends; wende ich mich nach Westen, so bemerke ich ihn nicht;

---- ich ---- ---- Osten ----- -- ist -- --------- wende --- ---- nach ------- -- bemerke --- --- nicht;

---- --- aber ---- ----- ----- -- ist -- --------- ----- --- mich ---- ------- -- ------- ich --- ------

Hiob 23,8


9

Hiob 23,9

wirkt er im Norden, so erblicke ich ihn nicht; verbirgt er sich im Süden, so kann ich ihn nicht sehen.

----- er -- ------- so -------- --- ihn ------ -------- er ---- -- Süden, -- ---- ich --- ----- sehen.

----- -- im ------- -- -------- --- ihn ------ -------- -- ---- im ------- -- ---- --- ihn ----- ------

Hiob 23,9


10

Hiob 23,10

Ja, er kennt meinen Weg; wenn er mich prüft, so werde ich wie Gold hervorgehen!

--- er ----- ------ Weg; ---- -- mich ------- -- werde --- --- Gold ------------

--- -- kennt ------ ---- ---- -- mich ------- -- ----- --- wie ---- ------------

Hiob 23,10


11

Hiob 23,11

Mein Fuß ist seinen Tritten gefolgt; seinen Weg habe ich bewahrt und bin nicht davon abgewichen;

---- Fuß --- ------ Tritten -------- ------ Weg ---- --- bewahrt --- --- nicht ----- -----------

---- ---- ist ------ ------- -------- ------ Weg ---- --- ------- --- bin ----- ----- -----------

Hiob 23,11


12

Hiob 23,12

vom Gebot seiner Lippen habe ich mich nicht entfernt; die Worte seines Mundes bewahrte ich mehr als meine Grundsätze.

--- Gebot ------ ------ habe --- ---- nicht --------- --- Worte ------ ------ bewahrte --- ---- als ----- ------------

--- ----- seiner ------ ---- --- ---- nicht --------- --- ----- ------ Mundes -------- --- ---- --- meine ------------

Hiob 23,12


13

Hiob 23,13

Doch Er bleibt sich gleich, und wer will ihm wehren? Was er will, das tut er.

---- Er ------ ---- gleich, --- --- will --- ------- Was -- ----- das --- ---

---- -- bleibt ---- ------- --- --- will --- ------- --- -- will, --- --- ---

Hiob 23,13


14

Hiob 23,14

Ja, Er wird vollenden, was mir bestimmt ist, und dergleichen hat er [noch] vieles im Sinn.

--- Er ---- ---------- was --- -------- ist, --- ----------- hat -- ------ vieles -- -----

--- -- wird ---------- --- --- -------- ist, --- ----------- --- -- [noch] ------ -- -----

Hiob 23,14


15

Hiob 23,15

Darum schrecke ich zurück vor seinem Angesicht, und wenn ich daran denke, so fürchte ich mich vor ihm.

----- schrecke --- ------- vor ------ ---------- und ---- --- daran ------ -- fürchte --- ---- vor ----

----- -------- ich ------- --- ------ ---------- und ---- --- ----- ------ so -------- --- ---- --- ihm.

Hiob 23,15


16

Hiob 23,16

Ja, Gott hat mein Herz verzagt gemacht, und der Allmächtige hat mich erschreckt.

--- Gott --- ---- Herz ------- -------- und --- ------------ hat ---- -----------

--- ---- hat ---- ---- ------- -------- und --- ------------ --- ---- erschreckt.

Hiob 23,16


17

Hiob 23,17

Damit ich [aber] nicht vergehe vor dem Anblick der Finsternis, hat er vor meinem Angesicht das Dunkel verdeckt.

----- ich ------ ----- vergehe --- --- Anblick --- ----------- hat -- --- meinem --------- --- Dunkel ---------

----- --- [aber] ----- ------- --- --- Anblick --- ----------- --- -- vor ------ --------- --- ------ verdeckt.

Hiob 23,17