Deutsch 18-Hiob 024(Schl2000)
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1 | Hiob 24,1 | Warum sind vom Allmächtigen nicht Zeiten [des Gerichts] aufbewahrt, und warum sehen die, welche ihn kennen, seine Tage nicht? | ----- sind --- ------------- nicht ------ ---- Gerichts] ----------- --- warum ----- ---- welche --- ------- seine ---- ------ | ----- ---- vom ------------- ----- ------ ---- Gerichts] ----------- --- ----- ----- die, ------ --- ------- ----- Tage ------ | Hiob 24,1 |
2 | Hiob 24,2 | Man verrückt die Grenzen; sie rauben die Herde und weiden sie. | --- verrückt --- -------- sie ------ --- Herde --- ------ sie. | --- --------- die -------- --- ------ --- Herde --- ------ ---- | Hiob 24,2 |
3 | Hiob 24,3 | Den Esel der Waisen treibt man fort und pfändet die Kuh der Witwe. | --- Esel --- ------ treibt --- ---- und -------- --- Kuh --- ------ | --- ---- der ------ ------ --- ---- und -------- --- --- --- Witwe. | Hiob 24,3 |
4 | Hiob 24,4 | Man jagt die Armen aus dem Weg, und die Elenden im Land müssen sich allesamt verbergen. | --- jagt --- ----- aus --- ---- und --- ------- im ---- ------- sich -------- ---------- | --- ---- die ----- --- --- ---- und --- ------- -- ---- müssen ---- -------- ---------- | Hiob 24,4 |
5 | Hiob 24,5 | Siehe, wie Wildesel in der Wüste ziehen sie zu ihrem Tagewerk aus, auf der Suche nach Nahrung; die Wildnis bietet ihnen Speise für die Kinder. | ------ wie -------- -- der ------ ------ sie -- ----- Tagewerk ---- --- der ----- ---- Nahrung; --- ------- bietet ----- ------ für --- ------- | ------ --- Wildesel -- --- ------ ------ sie -- ----- -------- ---- auf --- ----- ---- -------- die ------- ------ ----- ------ für --- ------- | Hiob 24,5 |
6 | Hiob 24,6 | Sie ernten das Futter auf dem Feld und halten Nachlese im Weinberg des Gottlosen. | --- ernten --- ------ auf --- ---- und ------ -------- im -------- --- Gottlosen. | --- ------ das ------ --- --- ---- und ------ -------- -- -------- des ---------- | Hiob 24,6 |
7 | Hiob 24,7 | Entblößt bringen sie die Nächte zu; sie haben kein Gewand, und wenn es kalt wird, keine Decke. | ---------- bringen --- --- Nächte --- --- haben ---- ------- und ---- -- kalt ----- ----- Decke. | ---------- ------- sie --- ------- --- --- haben ---- ------- --- ---- es ---- ----- ----- ------ | Hiob 24,7 |
8 | Hiob 24,8 | Vom Regen der Berge werden sie durchnässt, und weil sie keine Zuflucht haben, klammern sie sich an den Felsen. | --- Regen --- ----- werden --- ------------ und ---- --- keine -------- ------ klammern --- ---- an --- ------- | --- ----- der ----- ------ --- ------------ und ---- --- ----- -------- haben, -------- --- ---- -- den ------- | Hiob 24,8 |
9 | Hiob 24,9 | Man reißt das Waisenkind von der Brust, und was der Arme anhat, nimmt man als Pfand. | --- reißt --- ---------- von --- ------ und --- --- Arme ------ ----- man --- ------ | --- ------ das ---------- --- --- ------ und --- --- ---- ------ nimmt --- --- ------ | Hiob 24,9 |
10 | Hiob 24,10 | Entblößt gehen sie umher, ohne Gewand; sie müssen Garben tragen und hungern dabei. | ---------- gehen --- ------ ohne ------- --- müssen ------ ------ und ------- ------ | ---------- ----- sie ------ ---- ------- --- müssen ------ ------ --- ------- dabei. | Hiob 24,10 |
11 | Hiob 24,11 | Innerhalb der Mauern [der Reichen] pressen sie ö-l; sie treten die Kelter und müssen doch Durst leiden. | --------- der ------ ---- Reichen] ------- --- ö-l; --- ------ die ------ --- müssen ---- ----- leiden. | --------- --- Mauern ---- -------- ------- --- ö-l; --- ------ --- ------ und ------- ---- ----- ------- | Hiob 24,11 |
12 | Hiob 24,12 | Von der Stadt her ächzen Sterbende, und die Seele der Erschlagenen schreit; aber Gott achtet nicht auf das Unrecht. | --- der ----- --- ächzen ---------- --- die ----- --- Erschlagenen -------- ---- Gott ------ ----- auf --- -------- | --- --- Stadt --- ------- ---------- --- die ----- --- ------------ -------- aber ---- ------ ----- --- das -------- | Hiob 24,12 |
13 | Hiob 24,13 | Jene hassen das Licht, sie wollen seine Wege nicht kennen und bleiben nicht auf seinen Pfaden. | ---- hassen --- ------ sie ------ ----- Wege ----- ------ und ------- ----- auf ------ ------- | ---- ------ das ------ --- ------ ----- Wege ----- ------ --- ------- nicht --- ------ ------- | Hiob 24,13 |
14 | Hiob 24,14 | Bei Tagesanbruch steht der Mörder auf, um den Elenden und Armen umzubringen; in der Nacht aber ist er wie ein Dieb. | --- Tagesanbruch ----- --- Mörder ---- -- den ------- --- Armen ------------ -- der ----- ---- ist -- --- ein ----- | --- ------------ steht --- ------- ---- -- den ------- --- ----- ------------ in --- ----- ---- --- er --- --- ----- | Hiob 24,14 |
15 | Hiob 24,15 | Das Auge des Ehebrechers wartet auf die Dämmerung; er spricht: »Kein Auge soll mich sehen!« und verhüllt sein Angesicht. | --- Auge --- ----------- wartet --- --- Dämmerung; -- -------- »Kein ---- ---- mich -------- --- verhüllt ---- ---------- | --- ---- des ----------- ------ --- --- Dämmerung; -- -------- ------ ---- soll ---- -------- --- --------- sein ---------- | Hiob 24,15 |
16 | Hiob 24,16 | In der Finsternis bricht man in die Häuser ein; bei Tag halten sie sich eingeschlossen; sie scheuen das Licht. | -- der ---------- ------ man -- --- Häuser ---- --- Tag ------ --- sich --------------- --- scheuen --- ------ | -- --- Finsternis ------ --- -- --- Häuser ---- --- --- ------ sie ---- --------------- --- ------- das ------ | Hiob 24,16 |
17 | Hiob 24,17 | Denn für sie alle ist der Morgen gleich wie Todesschatten; denn sie sind vertraut mit dem Schrecken des Todesschattens. | ---- für --- ---- ist --- ------ gleich --- -------------- denn --- ---- vertraut --- --- Schrecken --- --------------- | ---- ---- sie ---- --- --- ------ gleich --- -------------- ---- --- sind -------- --- --- --------- des --------------- | Hiob 24,17 |
18 | Hiob 24,18 | Schnell treibt er auf der Oberfläche des Wassers dahin. Verflucht ist sein Erbteil auf Erden; sein Weg führt nicht durch Weingärten. | ------- treibt -- --- der ----------- --- Wassers ------ --------- ist ---- ------- auf ------ ---- Weg ------ ----- durch ------------ | ------- ------ er --- --- ----------- --- Wassers ------ --------- --- ---- Erbteil --- ------ ---- --- führt ----- ----- ------------ | Hiob 24,18 |
19 | Hiob 24,19 | Wie Hitze und Sonnenglut die Schneewasser wegraffen, so das Totenreich die, welche gesündigt haben. | --- Hitze --- ---------- die ------------ ---------- so --- ---------- die, ------ ---------- haben. | --- ----- und ---------- --- ------------ ---------- so --- ---------- ---- ------ gesündigt ------ | Hiob 24,19 |
20 | Hiob 24,20 | Der Mutterschoß wird ihn vergessen, Würmer laben sich an ihm; nie mehr wird an ihn gedacht, und wie ein Baum wird [sein] öœbermut gebrochen, | --- Mutterschoß ---- --- vergessen, ------- ----- sich -- ---- nie ---- ---- an --- -------- und --- --- Baum ---- ------ öœbermut ---------- | --- ------------ wird --- ---------- ------- ----- sich -- ---- --- ---- wird -- --- -------- --- wie --- ---- ---- ------ öœbermut ---------- | Hiob 24,20 |
21 | Hiob 24,21 | der die Unfruchtbare beraubte, die nicht gebar, und der Witwe nichts Gutes tat. | --- die ------------ --------- die ----- ------ und --- ----- nichts ----- ---- | --- --- Unfruchtbare --------- --- ----- ------ und --- ----- ------ ----- tat. | Hiob 24,21 |
22 | Hiob 24,22 | Und Mächtige rafft er dahin durch seine Kraft; steht er auf, so ist man seines Lebens nicht mehr sicher. | --- Mächtige ----- -- dahin ----- ----- Kraft; ----- -- auf, -- --- man ------ ------ nicht ---- ------- | --- --------- rafft -- ----- ----- ----- Kraft; ----- -- ---- -- ist --- ------ ------ ----- mehr ------- | Hiob 24,22 |
23 | Hiob 24,23 | Er gibt ihm Sicherheit, und jener verlässt sich darauf; und seine Augen [wachen] über ihre Wege. | -- gibt --- ----------- und ----- --------- sich ------- --- seine ----- -------- über ---- ----- | -- ---- ihm ----------- --- ----- --------- sich ------- --- ----- ----- [wachen] ----- ---- ----- | Hiob 24,23 |
24 | Hiob 24,24 | Sie kommen hoch; aber wenig braucht's, so sind sie dahin; sie sinken hin und werden zusammengerafft, wie alle anderen auch, und wie die ö"hrenspitze werden sie abgeschnitten. | --- kommen ----- ---- wenig ---------- -- sind --- ------ sie ------ --- und ------ ---------------- wie ---- ------- auch, --- --- die ------------- ------ sie -------------- | --- ------ hoch; ---- ----- ---------- -- sind --- ------ --- ------ hin --- ------ ---------------- --- alle ------- ----- --- --- die ------------- ------ --- -------------- | Hiob 24,24 |
25 | Hiob 24,25 | Oder ist's nicht so? Wer will mich Lügen strafen und meine Rede zunichte machen? | ---- ist's ----- --- Wer ---- ---- Lügen ------- --- meine ---- -------- machen? | ---- ----- nicht --- --- ---- ---- Lügen ------- --- ----- ---- zunichte ------- | Hiob 24,25 |