Deutsch 18-Hiob 027(Schl2000)
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1 | Hiob 27,1 | Und Hiob setzte seine Rede fort und sprach: | --- Hiob ------ ----- Rede ---- --- sprach: | --- ---- setzte ----- ---- ---- --- sprach: | Hiob 27,1 |
2 | Hiob 27,2 | So wahr Gott lebt, der mir mein Recht entzogen, und der Allmächtige, der meine Seele verbittert hat: | -- wahr ---- ----- der --- ---- Recht --------- --- der ------------- --- meine ----- ---------- hat: | -- ---- Gott ----- --- --- ---- Recht --------- --- --- ------------- der ----- ----- ---------- ---- | Hiob 27,2 |
3 | Hiob 27,3 | Ja, solange noch mein Odem in mir ist und der Hauch Gottes in meiner Nase, | --- solange ---- ---- Odem -- --- ist --- --- Hauch ------ -- meiner ----- | --- ------- noch ---- ---- -- --- ist --- --- ----- ------ in ------ ----- | Hiob 27,3 |
4 | Hiob 27,4 | sollen meine Lippen nichts Verkehrtes reden und meine Zunge keine Lüge aussprechen! | ------ meine ------ ------ Verkehrtes ----- --- meine ----- ----- Lüge ------------ | ------ ----- Lippen ------ ---------- ----- --- meine ----- ----- ----- ------------ | Hiob 27,4 |
5 | Hiob 27,5 | Fern sei es von mir, dass ich euch Recht gebe; ich werde mir meine Unschuld nicht nehmen lassen bis an mein Ende! | ---- sei -- --- mir, ---- --- euch ----- ----- ich ----- --- meine -------- ----- nehmen ------ --- an ---- ----- | ---- --- es --- ---- ---- --- euch ----- ----- --- ----- mir ----- -------- ----- ------ lassen --- -- ---- ----- | Hiob 27,5 |
6 | Hiob 27,6 | Ich halte an meiner Gerechtigkeit fest und werde sie nicht loslassen; mein Gewissen straft mich über keinen meiner Tage! | --- halte -- ------ Gerechtigkeit ---- --- werde --- ----- loslassen; ---- -------- straft ---- ----- keinen ------ ----- | --- ----- an ------ ------------- ---- --- werde --- ----- ---------- ---- Gewissen ------ ---- ----- ------ meiner ----- | Hiob 27,6 |
7 | Hiob 27,7 | Meinem Feind aber ergehe es wie dem Gottlosen, und meinem Widersacher wie dem öœbeltäter! | ------ Feind ---- ------ es --- --- Gottlosen, --- ------ Widersacher --- --- öœbeltäter! | ------ ----- aber ------ -- --- --- Gottlosen, --- ------ ----------- --- dem -------------- | Hiob 27,7 |
8 | Hiob 27,8 | Denn was für eine Hoffnung hat der Frevler, wenn Gott [ihn] abschneidet, wenn Er ihm seine Seele entzieht? | ---- was ---- ---- Hoffnung --- --- Frevler, ---- ---- [ihn] ------------ ---- Er --- ----- Seele --------- | ---- --- für ---- -------- --- --- Frevler, ---- ---- ----- ------------ wenn -- --- ----- ----- entzieht? | Hiob 27,8 |
9 | Hiob 27,9 | Wird Gott sein Geschrei erhören, wenn Not über ihn kommt? | ---- Gott ---- -------- erhören, ---- --- über --- ------ | ---- ---- sein -------- --------- ---- --- über --- ------ | Hiob 27,9 |
10 | Hiob 27,10 | Wird er an dem Allmächtigen seine Lust haben, wird er Gott anrufen zu jeder Zeit? | ---- er -- --- Allmächtigen ----- ---- haben, ---- -- Gott ------- -- jeder ----- | ---- -- an --- ------------- ----- ---- haben, ---- -- ---- ------- zu ----- ----- | Hiob 27,10 |
11 | Hiob 27,11 | Ich will euch über die Hand Gottes belehren und euch nicht verhehlen, was bei dem Allmächtigen gilt. | --- will ---- ----- die ---- ------ belehren --- ---- nicht ---------- --- bei --- ------------- gilt. | --- ---- euch ----- --- ---- ------ belehren --- ---- ----- ---------- was --- --- ------------- ----- | Hiob 27,11 |
12 | Hiob 27,12 | Siehe, ihr selbst habt es alle gesehen - warum schwatzt ihr dann nichtiges Zeug? | ------ ihr ------ ---- es ---- ------- - ----- -------- ihr ---- --------- Zeug? | ------ --- selbst ---- -- ---- ------- - ----- -------- --- ---- nichtiges ----- | Hiob 27,12 |
13 | Hiob 27,13 | Das ist das Teil des gottlosen Menschen von Gott, und dies das Erbe, das die Gewalttätigen empfangen von dem Allmächtigen: | --- ist --- ---- des --------- -------- von ----- --- dies --- ----- das --- -------------- empfangen --- --- Allmächtigen: | --- --- das ---- --- --------- -------- von ----- --- ---- --- Erbe, --- --- -------------- --------- von --- -------------- | Hiob 27,13 |
14 | Hiob 27,14 | Wenn seine Kinder sich mehren, so ist's für das Schwert, und seine Sprösslinge können sich nicht am Brot sättigen. | ---- seine ------ ---- mehren, -- ----- für --- -------- und ----- ------------ können ---- ----- am ---- ---------- | ---- ----- Kinder ---- ------- -- ----- für --- -------- --- ----- Sprösslinge ------- ---- ----- -- Brot ---------- | Hiob 27,14 |
15 | Hiob 27,15 | Die ihm noch übrig bleiben, sinken durch die Pest ins Grab, und ihre Witwen beweinen sie nicht. | --- ihm ---- ------ bleiben, ------ ----- die ---- --- Grab, --- ---- Witwen -------- --- nicht. | --- --- noch ------ -------- ------ ----- die ---- --- ----- --- ihre ------ -------- --- ------ | Hiob 27,15 |
16 | Hiob 27,16 | Wenn er auch Geld zusammenscharrt wie Staub und Kleider aufhäuft wie Straßendreck | ---- er ---- ---- zusammenscharrt --- ----- und ------- --------- wie ------------- | ---- -- auch ---- --------------- --- ----- und ------- --------- --- ------------- | Hiob 27,16 |
17 | Hiob 27,17 | - er bringt sie zwar zusammen, aber der Gerechte wird sie anziehen, und das Geld wird der Unschuldige erben. | - er ------ --- zwar --------- ---- der -------- ---- sie --------- --- das ---- ---- der ----------- ------ | - -- bringt --- ---- --------- ---- der -------- ---- --- --------- und --- ---- ---- --- Unschuldige ------ | Hiob 27,17 |
18 | Hiob 27,18 | Er baut sein Haus wie die Motte, und wie die Laubhütte, die sich der Wächter macht. | -- baut ---- ---- wie --- ------ und --- --- Laubhütte, --- ---- der -------- ------ | -- ---- sein ---- --- --- ------ und --- --- ----------- --- sich --- -------- ------ | Hiob 27,18 |
19 | Hiob 27,19 | Reich legt er sich hin, und noch ist ihm nichts weggenommen; er schlägt die Augen auf, und nichts ist mehr da! | ----- legt -- ---- hin, --- ---- ist --- ------ weggenommen; -- -------- die ----- ---- und ------ --- mehr --- | ----- ---- er ---- ---- --- ---- ist --- ------ ------------ -- schlägt --- ----- ---- --- nichts --- ---- --- | Hiob 27,19 |
20 | Hiob 27,20 | Schrecken ergreift ihn wie eine Wasserflut, der Sturmwind führt ihn über Nacht davon. | --------- ergreift --- --- eine ----------- --- Sturmwind ------ --- über ----- ------ | --------- -------- ihn --- ---- ----------- --- Sturmwind ------ --- ----- ----- davon. | Hiob 27,20 |
21 | Hiob 27,21 | Ein Ostwind hebt ihn empor, und er fährt dahin; er rafft ihn von seiner Stätte hinweg. | --- Ostwind ---- --- empor, --- -- fährt ------ -- rafft --- --- seiner ------- ------- | --- ------- hebt --- ------ --- -- fährt ------ -- ----- --- von ------ ------- ------- | Hiob 27,21 |
22 | Hiob 27,22 | Schonungslos schleudert Er [Geschosse] nach ihm, eiligst muss er fliehen vor seiner Hand. | ------------ schleudert -- ----------- nach ---- ------- muss -- ------- vor ------ ----- | ------------ ---------- Er ----------- ---- ---- ------- muss -- ------- --- ------ Hand. | Hiob 27,22 |
23 | Hiob 27,23 | Man klatscht über ihn in die Hände und zischt ihn aus von seinem Wohnort her. | --- klatscht ----- --- in --- ------ und ------ --- aus --- ------ Wohnort ---- | --- -------- über --- -- --- ------ und ------ --- --- --- seinem ------- ---- | Hiob 27,23 |