Deutsch 18-Hiob 028(Schl2000)
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1 | Hiob 28,1 | Denn für das Silber gibt es einen Fundort und für das Gold einen Platz, wo man es läutert. | ---- für --- ------ gibt -- ----- Fundort --- ---- das ---- ----- Platz, -- --- es --------- | ---- ---- das ------ ---- -- ----- Fundort --- ---- --- ---- einen ------ -- --- -- läutert. | Hiob 28,1 |
2 | Hiob 28,2 | Eisen wird aus dem Erdenstaub gewonnen, und Gestein schmilzt man zu Kupfer. | ----- wird --- --- Erdenstaub --------- --- Gestein -------- --- zu ------- | ----- ---- aus --- ---------- --------- --- Gestein -------- --- -- ------- | Hiob 28,2 |
3 | Hiob 28,3 | Man macht der Finsternis ein Ende und forscht alles vollkommen aus; selbst das Gestein, das in Finsternis und Dunkelheit liegt. | --- macht --- ---------- ein ---- --- forscht ----- ---------- aus; ------ --- Gestein, --- -- Finsternis --- ---------- liegt. | --- ----- der ---------- --- ---- --- forscht ----- ---------- ---- ------ das -------- --- -- ---------- und ---------- ------ | Hiob 28,3 |
4 | Hiob 28,4 | Einen Schacht bricht man auf von da aus, wo man wohnt; wie vergessen, ohne ihren Fuß aufzusetzen, baumeln und schwanken sie, weit weg von den Menschen. | ----- Schacht ------ --- auf --- -- aus, -- --- wohnt; --- ---------- ohne ----- ---- aufzusetzen, ------- --- schwanken ---- ---- weg --- --- Menschen. | ----- ------- bricht --- --- --- -- aus, -- --- ------ --- vergessen, ---- ----- ---- ------------ baumeln --- --------- ---- ---- weg --- --- --------- | Hiob 28,4 |
5 | Hiob 28,5 | Aus der Erde kommt zwar Speise hervor, aber unter ihr ist's wie vom Feuer durchwühlt. | --- der ---- ----- zwar ------ ------- aber ----- --- ist's --- --- Feuer ------------ | --- --- Erde ----- ---- ------ ------- aber ----- --- ----- --- vom ----- ------------ | Hiob 28,5 |
6 | Hiob 28,6 | Ihr Gestein ist der Fundort des Saphirs, und Goldstaub ist in ihr. | --- Gestein --- --- Fundort --- -------- und --------- --- in ---- | --- ------- ist --- ------- --- -------- und --------- --- -- ---- | Hiob 28,6 |
7 | Hiob 28,7 | Ein Pfad [ist's], den kein Raubvogel kennt, und den auch das Auge des Habichts nicht erspäht, | --- Pfad -------- --- kein --------- ------ und --- ---- das ---- --- Habichts ----- --------- | --- ---- [ist's], --- ---- --------- ------ und --- ---- --- ---- des -------- ----- --------- | Hiob 28,7 |
8 | Hiob 28,8 | den auch das stolze [Wild] nicht betreten hat, auf dem der Löwe nicht geschritten ist. | --- auch --- ------ [Wild] ----- -------- hat, --- --- der ----- ----- geschritten ---- | --- ---- das ------ ------ ----- -------- hat, --- --- --- ----- nicht ----------- ---- | Hiob 28,8 |
9 | Hiob 28,9 | [Der Mensch] streckt seine Hand nach dem Felsgestein aus, wühlt die Berge um von Grund auf. | ---- Mensch] ------- ----- Hand ---- --- Felsgestein ---- ------ die ----- -- von ----- ---- | ---- ------- streckt ----- ---- ---- --- Felsgestein ---- ------ --- ----- um --- ----- ---- | Hiob 28,9 |
10 | Hiob 28,10 | Er treibt Stollen in die Felsen, und sein Auge erfasst alles, was kostbar ist. | -- treibt ------- -- die ------- --- sein ---- ------- alles, --- ------- ist. | -- ------ Stollen -- --- ------- --- sein ---- ------- ------ --- kostbar ---- | Hiob 28,10 |
11 | Hiob 28,11 | Die Ströme hat er eingedämmt, damit sie nicht durchsickern, und er bringt das Verborgene hervor ans Licht. | --- Ströme --- -- eingedämmt, ----- --- nicht ------------- --- er ------ --- Verborgene ------ --- Licht. | --- ------- hat -- ------------ ----- --- nicht ------------- --- -- ------ das ---------- ------ --- ------ | Hiob 28,11 |
12 | Hiob 28,12 | Aber die Weisheit, wo wird sie gefunden, und wo ist der Fundort der Einsicht? | ---- die --------- -- wird --- --------- und -- --- der ------- --- Einsicht? | ---- --- Weisheit, -- ---- --- --------- und -- --- --- ------- der --------- | Hiob 28,12 |
13 | Hiob 28,13 | Der Sterbliche kennt ihren Wert nicht, und im Land der Lebendigen wird sie nicht gefunden. | --- Sterbliche ----- ----- Wert ------ --- im ---- --- Lebendigen ---- --- nicht --------- | --- ---------- kennt ----- ---- ------ --- im ---- --- ---------- ---- sie ----- --------- | Hiob 28,13 |
14 | Hiob 28,14 | Die Tiefe spricht: »Sie ist nicht in mir!«, und das Meer: »Sie ist nicht bei mir!« | --- Tiefe -------- ----- ist ----- -- mir!«, --- --- Meer: ----- --- nicht --- ------ | --- ----- spricht: ----- --- ----- -- mir!«, --- --- ----- ----- ist ----- --- ------ | Hiob 28,14 |
15 | Hiob 28,15 | Mit Feingold kann man sie nicht bezahlen, und Silber kann nicht als ihr Kaufpreis abgewogen werden. | --- Feingold ---- --- sie ----- --------- und ------ ---- nicht --- --- Kaufpreis --------- ------- | --- -------- kann --- --- ----- --------- und ------ ---- ----- --- ihr --------- --------- ------- | Hiob 28,15 |
16 | Hiob 28,16 | Um Gold von Ophir ist sie nicht zu haben, auch nicht um köstlichen Onyxstein und Saphir. | -- Gold --- ----- ist --- ----- zu ------ ---- nicht -- ----------- Onyxstein --- ------- | -- ---- von ----- --- --- ----- zu ------ ---- ----- -- köstlichen --------- --- ------- | Hiob 28,16 |
17 | Hiob 28,17 | Gold und Glas kommt ihr nicht gleich, noch kann man sie eintauschen gegen ein goldenes Gerät. | ---- und ---- ----- ihr ----- ------- noch ---- --- sie ----------- ----- ein -------- ------- | ---- --- Glas ----- --- ----- ------- noch ---- --- --- ----------- gegen --- -------- ------- | Hiob 28,17 |
18 | Hiob 28,18 | Korallen und Kristall gelten nichts gegen sie, und der Besitz der Weisheit geht über Perlen. | -------- und -------- ------ nichts ----- ---- und --- ------ der -------- ---- über ------- | -------- --- Kristall ------ ------ ----- ---- und --- ------ --- -------- geht ----- ------- | Hiob 28,18 |
19 | Hiob 28,19 | Der Topas aus Kusch ist ihr nicht zu vergleichen; mit reinem Gold wird sie nicht aufgewogen. | --- Topas --- ----- ist --- ----- zu ------------ --- reinem ---- ---- sie ----- ----------- | --- ----- aus ----- --- --- ----- zu ------------ --- ------ ---- wird --- ----- ----------- | Hiob 28,19 |
20 | Hiob 28,20 | Woher kommt denn nun die Weisheit, und wo ist die Fundstätte der Einsicht? | ----- kommt ---- --- die --------- --- wo --- --- Fundstätte --- --------- | ----- ----- denn --- --- --------- --- wo --- --- ----------- --- Einsicht? | Hiob 28,20 |
21 | Hiob 28,21 | Sie ist verborgen vor den Augen alles Lebendigen und vor den Vögeln des Himmels versteckt. | --- ist --------- --- den ----- ----- Lebendigen --- --- den ------- --- Himmels ---------- | --- --- verborgen --- --- ----- ----- Lebendigen --- --- --- ------- des ------- ---------- | Hiob 28,21 |
22 | Hiob 28,22 | Der Abgrund und der Tod sprechen: »Wir haben mit unseren Ohren ein Gerücht von ihr gehört!« | --- Abgrund --- --- Tod --------- ----- haben --- ------- Ohren --- -------- von --- ---------- | --- ------- und --- --- --------- ----- haben --- ------- ----- --- Gerücht --- --- ---------- | Hiob 28,22 |
23 | Hiob 28,23 | Gott hat Einsicht in ihren Weg, und er kennt ihre Fundstätte. | ---- hat -------- -- ihren ---- --- er ----- ---- Fundstätte. | ---- --- Einsicht -- ----- ---- --- er ----- ---- ------------ | Hiob 28,23 |
24 | Hiob 28,24 | Denn Er schaut bis zu den Enden der Erde und sieht alles, was unter dem Himmel ist. | ---- Er ------ --- zu --- ----- der ---- --- sieht ------ --- unter --- ------ ist. | ---- -- schaut --- -- --- ----- der ---- --- ----- ------ was ----- --- ------ ---- | Hiob 28,24 |
25 | Hiob 28,25 | Als er dem Wind sein Gewicht gab und die Wasser abwog mit einem Maß, | --- er --- ---- sein ------- --- und --- ------ abwog --- ----- Maß, | --- -- dem ---- ---- ------- --- und --- ------ ----- --- einem ----- | Hiob 28,25 |
26 | Hiob 28,26 | als er dem Regen sein Gesetz bestimmte und dem donnernden Unwetter seinen Weg: | --- er --- ----- sein ------ --------- und --- ---------- Unwetter ------ ---- | --- -- dem ----- ---- ------ --------- und --- ---------- -------- ------ Weg: | Hiob 28,26 |
27 | Hiob 28,27 | da hat er sie gesehen und verkündigt, sie bestätigt und ergründet, | -- hat -- --- gesehen --- ------------ sie ---------- --- ergründet, | -- --- er --- ------- --- ------------ sie ---------- --- ----------- | Hiob 28,27 |
28 | Hiob 28,28 | und er sprach zum Menschen: »Siehe, die Furcht des Herrn, das ist Weisheit, und vom Bösen weichen, das ist Einsicht!« | --- er ------ --- Menschen: -------- --- Furcht --- ------ das --- --------- und --- ------ weichen, --- --- Einsicht!« | --- -- sprach --- --------- -------- --- Furcht --- ------ --- --- Weisheit, --- --- ------ -------- das --- ----------- | Hiob 28,28 |