Deutsch 20-Spruche 019(Schl2000)
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1 | Spruche 19,1 | Besser ein Armer [sein], der in seiner Lauterkeit wandelt, als ein Verkehrter, der verdrehte Lippen hat. | ------ ein ----- ------- der -- ------ Lauterkeit -------- --- ein ----------- --- verdrehte ------ ---- | ------ --- Armer ------- --- -- ------ Lauterkeit -------- --- --- ----------- der --------- ------ ---- | Spruche 19,1 |
2 | Spruche 19,2 | Schon Mangel an Erkenntnis ist nicht gut für die Seele, und wer zu schnell läuft, geht leicht fehl. | ----- Mangel -- ---------- ist ----- --- für --- ------ und --- -- schnell ------- ---- leicht ----- | ----- ------ an ---------- --- ----- --- für --- ------ --- --- zu ------- ------- ---- ------ fehl. | Spruche 19,2 |
3 | Spruche 19,3 | Die Torheit des Menschen verdirbt seinen Weg, und dann zürnt sein Herz gegen den HERRN. | --- Torheit --- -------- verdirbt ------ ---- und ---- ------ sein ---- ----- den ------ | --- ------- des -------- -------- ------ ---- und ---- ------ ---- ---- gegen --- ------ | Spruche 19,3 |
4 | Spruche 19,4 | Reichtum macht viele Freunde, der Arme aber wird von seinem Freund verlassen. | -------- macht ----- -------- der ---- ---- wird --- ------ Freund ---------- | -------- ----- viele -------- --- ---- ---- wird --- ------ ------ ---------- | Spruche 19,4 |
5 | Spruche 19,5 | Ein falscher Zeuge bleibt nicht ungestraft, und wer Lügen ausspricht, wird nicht entfliehen. | --- falscher ----- ------ nicht ----------- --- wer ------ ----------- wird ----- ----------- | --- -------- Zeuge ------ ----- ----------- --- wer ------ ----------- ---- ----- entfliehen. | Spruche 19,5 |
6 | Spruche 19,6 | Viele schmeicheln dem Vornehmen, und jeder will ein Freund dessen sein, der Geschenke gibt. | ----- schmeicheln --- ---------- und ----- ---- ein ------ ------ sein, --- --------- gibt. | ----- ----------- dem ---------- --- ----- ---- ein ------ ------ ----- --- Geschenke ----- | Spruche 19,6 |
7 | Spruche 19,7 | Den Armen hassen alle seine Brüder, erst recht ziehen sich seine Freunde von ihm zurück; jagt er ihren Worten nach, so sind sie nichts! | --- Armen ------ ---- seine -------- ---- recht ------ ---- seine ------- --- ihm -------- ---- er ----- ------ nach, -- ---- sie ------- | --- ----- hassen ---- ----- -------- ---- recht ------ ---- ----- ------- von --- -------- ---- -- ihren ------ ----- -- ---- sie ------- | Spruche 19,7 |
8 | Spruche 19,8 | Wer Verstand erwirbt, liebt seine Seele; wer Einsicht bewahrt, findet Gutes. | --- Verstand -------- ----- seine ------ --- Einsicht -------- ------ Gutes. | --- -------- erwirbt, ----- ----- ------ --- Einsicht -------- ------ ------ | Spruche 19,8 |
9 | Spruche 19,9 | Ein falscher Zeuge bleibt nicht ungestraft, und wer Lügen ausspricht, geht zugrunde. | --- falscher ----- ------ nicht ----------- --- wer ------ ----------- geht --------- | --- -------- Zeuge ------ ----- ----------- --- wer ------ ----------- ---- --------- | Spruche 19,9 |
10 | Spruche 19,10 | Einem Toren steht Wohlleben nicht an, geschweige denn einem Knecht, über Fürsten zu herrschen. | ----- Toren ----- --------- nicht --- ---------- denn ----- ------- über -------- -- herrschen. | ----- ----- steht --------- ----- --- ---------- denn ----- ------- ----- -------- zu ---------- | Spruche 19,10 |
11 | Spruche 19,11 | Einsicht macht einen Menschen langsam zum Zorn, und es ist ihm eine Ehre, Vergehungen zu übersehen. | -------- macht ----- -------- langsam --- ----- und -- --- ihm ---- ----- Vergehungen -- ----------- | -------- ----- einen -------- ------- --- ----- und -- --- --- ---- Ehre, ----------- -- ----------- | Spruche 19,11 |
12 | Spruche 19,12 | Wie das Brüllen des Löwen ist der Zorn des Königs, und seine Gunst wie der Tau auf grünem Gras. | --- das -------- --- Löwen --- --- Zorn --- -------- und ----- ----- wie --- --- auf ------- ----- | --- --- Brüllen --- ------ --- --- Zorn --- -------- --- ----- Gunst --- --- --- --- grünem ----- | Spruche 19,12 |
13 | Spruche 19,13 | Ein törichter Sohn ist das Unglück seines Vaters, und wie beständiges Tropfen durchs Dach ist die Zänkerei einer Frau. | --- törichter ---- --- das -------- ------ Vaters, --- --- beständiges ------- ------ Dach --- --- Zänkerei ----- ----- | --- ---------- Sohn --- --- -------- ------ Vaters, --- --- ------------ ------- durchs ---- --- --- --------- einer ----- | Spruche 19,13 |
14 | Spruche 19,14 | Haus und Besitz erbt man von den Vätern, aber eine verständige Ehefrau kommt von dem HERRN. | ---- und ------ ---- man --- --- Vätern, ---- ---- verständige ------- ----- von --- ------ | ---- --- Besitz ---- --- --- --- Vätern, ---- ---- ------------ ------- kommt --- --- ------ | Spruche 19,14 |
15 | Spruche 19,15 | Faulheit versenkt in tiefen Schlaf, und eine träge Seele muss hungern. | -------- versenkt -- ------ Schlaf, --- ---- träge ----- ---- hungern. | -------- -------- in ------ ------- --- ---- träge ----- ---- -------- | Spruche 19,15 |
16 | Spruche 19,16 | Wer das Gebot bewahrt, der bewahrt seine Seele, wer aber auf seine Wege nicht achtet, der muss sterben. | --- das ----- -------- der ------- ----- Seele, --- ---- auf ----- ---- nicht ------- --- muss -------- | --- --- Gebot -------- --- ------- ----- Seele, --- ---- --- ----- Wege ----- ------- --- ---- sterben. | Spruche 19,16 |
17 | Spruche 19,17 | Wer sich über den Armen erbarmt, der leiht dem HERRN, und Er wird ihm seine Wohltat vergelten. | --- sich ----- --- Armen -------- --- leiht --- ------ und -- ---- ihm ----- ------- vergelten. | --- ---- über --- ----- -------- --- leiht --- ------ --- -- wird --- ----- ------- ---------- | Spruche 19,17 |
18 | Spruche 19,18 | Züchtige deinen Sohn, solange noch Hoffnung vorhanden ist, und lass dir nicht in den Sinn kommen, ihn dem Tod preiszugeben! | --------- deinen ----- ------- noch -------- --------- ist, --- ---- dir ----- -- den ---- ------- ihn --- --- preiszugeben! | --------- ------ Sohn, ------- ---- -------- --------- ist, --- ---- --- ----- in --- ---- ------- --- dem --- ------------- | Spruche 19,18 |
19 | Spruche 19,19 | Wer jähzornig ist, muss die Strafe dafür bezahlen, denn wenn du ihn davon befreien willst, so machst du's nur noch schlimmer. | --- jähzornig ---- ---- die ------ ------ bezahlen, ---- ---- du --- ----- befreien ------- -- machst ---- --- noch ---------- | --- ---------- ist, ---- --- ------ ------ bezahlen, ---- ---- -- --- davon -------- ------- -- ------ du's --- ---- ---------- | Spruche 19,19 |
20 | Spruche 19,20 | Gehorche dem Rat und nimm die Zurechtweisung an, damit du künftig weise bist! | -------- dem --- --- nimm --- -------------- an, ----- -- künftig ----- ----- | -------- --- Rat --- ---- --- -------------- an, ----- -- -------- ----- bist! | Spruche 19,20 |
21 | Spruche 19,21 | Ein Mensch macht vielerlei Pläne in seinem Herzen, aber der Ratschluss des HERRN hat Bestand. | --- Mensch ----- --------- Pläne -- ------ Herzen, ---- --- Ratschluss --- ----- hat -------- | --- ------ macht --------- ------ -- ------ Herzen, ---- --- ---------- --- HERRN --- -------- | Spruche 19,21 |
22 | Spruche 19,22 | Die Zierde des Menschen ist seine Güte, und ein Armer ist besser als ein Mann, der betrügt. | --- Zierde --- -------- ist ----- ------ und --- ----- ist ------ --- ein ----- --- betrügt. | --- ------ des -------- --- ----- ------ und --- ----- --- ------ als --- ----- --- --------- | Spruche 19,22 |
23 | Spruche 19,23 | Die Furcht des HERRN dient zum Leben; wer daran reich ist, der wird über Nacht von keinem Unglück heimgesucht. | --- Furcht --- ----- dient --- ------ wer ----- ----- ist, --- ---- über ----- --- keinem -------- ------------ | --- ------ des ----- ----- --- ------ wer ----- ----- ---- --- wird ----- ----- --- ------ Unglück ------------ | Spruche 19,23 |
24 | Spruche 19,24 | Hat der Faule seine Hand in die Schüssel gesteckt, so will er sie nicht wieder zum Mund zurückbringen. | --- der ----- ----- Hand -- --- Schüssel --------- -- will -- --- nicht ------ --- Mund --------------- | --- --- Faule ----- ---- -- --- Schüssel --------- -- ---- -- sie ----- ------ --- ---- zurückbringen. | Spruche 19,24 |
25 | Spruche 19,25 | Schlage den Spötter, so wird der Unverständige klug; weise den Verständigen zurecht, so lässt er sich's zur Lehre dienen! | ------- den --------- -- wird --- -------------- klug; ----- --- Verständigen -------- -- lässt -- ------ zur ----- ------- | ------- --- Spötter, -- ---- --- -------------- klug; ----- --- ------------- -------- so ------ -- ------ --- Lehre ------- | Spruche 19,25 |
26 | Spruche 19,26 | Wer den Vater misshandelt und die Mutter verjagt, der ist ein Sohn, der Schande und Schmach bereitet. | --- den ----- ----------- und --- ------ verjagt, --- --- ein ----- --- Schande --- ------- bereitet. | --- --- Vater ----------- --- --- ------ verjagt, --- --- --- ----- der ------- --- ------- --------- | Spruche 19,26 |
27 | Spruche 19,27 | Lass ab davon, auf Unterweisung zu hören, mein Sohn, wenn du von den Worten der Erkenntnis doch abweichen willst! | ---- ab ------ --- Unterweisung -- ------- mein ----- ---- du --- --- Worten --- ---------- doch --------- ------- | ---- -- davon, --- ------------ -- ------- mein ----- ---- -- --- den ------ --- ---------- ---- abweichen ------- | Spruche 19,27 |
28 | Spruche 19,28 | Ein nichtsnutziger Zeuge verhöhnt das Gericht, und der Mund der Gottlosen verschlingt Lügen. | --- nichtsnutziger ----- --------- das -------- --- der ---- --- Gottlosen ----------- ------- | --- -------------- Zeuge --------- --- -------- --- der ---- --- --------- ----------- Lügen. | Spruche 19,28 |
29 | Spruche 19,29 | Für die Spötter sind Strafgerichte bereit und Schläge für den Rücken der Toren. | ---- die -------- ---- Strafgerichte ------ --- Schläge ---- --- Rücken --- ------ | ---- --- Spötter ---- ------------- ------ --- Schläge ---- --- ------- --- Toren. | Spruche 19,29 |