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Deutsch 20-Spruche 026(Schl2000)

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1

Spruche 26,1

Wie der Schnee zum Sommer und der Regen zur Ernte, so wenig passt Ehre für den Narren.

--- der ------ --- Sommer --- --- Regen --- ------ so ----- ----- Ehre ---- --- Narren.

--- --- Schnee --- ------ --- --- Regen --- ------ -- ----- passt ---- ---- --- -------

Spruche 26,1


2

Spruche 26,2

Wie ein Sperling davonflattert und eine Schwalbe wegfliegt, so ist ein unverdienter Fluch: er trifft nicht ein.

--- ein -------- ------------- und ---- -------- wegfliegt, -- --- ein ------------ ------ er ------ ----- ein.

--- --- Sperling ------------- --- ---- -------- wegfliegt, -- --- --- ------------ Fluch: -- ------ ----- ----

Spruche 26,2


3

Spruche 26,3

Dem Pferd eine Geißel, dem Esel einen Zaum, und den Narren eine Rute auf den Rücken!

--- Pferd ---- -------- dem ---- ----- Zaum, --- --- Narren ---- ---- auf --- --------

--- ----- eine -------- --- ---- ----- Zaum, --- --- ------ ---- Rute --- --- --------

Spruche 26,3


4

Spruche 26,4

Antworte dem Narren nicht nach seiner Narrheit, damit nicht auch du ihm gleich wirst;

-------- dem ------ ----- nach ------ --------- damit ----- ---- du --- ------ wirst;

-------- --- Narren ----- ---- ------ --------- damit ----- ---- -- --- gleich ------

Spruche 26,4


5

Spruche 26,5

antworte aber dem Narren nach seiner Narrheit, damit er sich nicht für weise hält.

-------- aber --- ------ nach ------ --------- damit -- ---- nicht ---- ----- hält.

-------- ---- dem ------ ---- ------ --------- damit -- ---- ----- ---- weise ------

Spruche 26,5


6

Spruche 26,6

Es haut sich die Füße ab und muss ö"rger schlucken, wer seine Angelegenheiten durch einen Narren besorgen lässt.

-- haut ---- --- Füße -- --- muss ------- ---------- wer ----- --------------- durch ----- ------ besorgen -------

-- ---- sich --- ------ -- --- muss ------- ---------- --- ----- Angelegenheiten ----- ----- ------ -------- lässt.

Spruche 26,6


7

Spruche 26,7

Die Beine des Lahmen hängen schlaff herunter: so ist ein weiser Spruch im Mund der Toren.

--- Beine --- ------ hängen ------- --------- so --- --- weiser ------ -- Mund --- ------

--- ----- des ------ ------- ------- --------- so --- --- ------ ------ im ---- --- ------

Spruche 26,7


8

Spruche 26,8

Wie wenn man einen Stein in der Schleuder festbindet, so ist's, wenn man einem Toren Ehre erweist.

--- wenn --- ----- Stein -- --- Schleuder ----------- -- ist's, ---- --- einem ----- ---- erweist.

--- ---- man ----- ----- -- --- Schleuder ----------- -- ------ ---- man ----- ----- ---- --------

Spruche 26,8


9

Spruche 26,9

Ein Dorn geriet in die Hand eines Trunkenen und ein Spruch in den Mund der Toren!

--- Dorn ------ -- die ---- ----- Trunkenen --- --- Spruch -- --- Mund --- ------

--- ---- geriet -- --- ---- ----- Trunkenen --- --- ------ -- den ---- --- ------

Spruche 26,9


10

Spruche 26,10

Ein Schütze, der alle verwundet, so ist, wer einen Toren und Dahergelaufene in Lohn nimmt.

--- Schütze, --- ---- verwundet, -- ---- wer ----- ----- und -------------- -- Lohn ------

--- --------- der ---- ---------- -- ---- wer ----- ----- --- -------------- in ---- ------

Spruche 26,10


11

Spruche 26,11

Wie ein Hund, der zu seinem Gespei zurückkehrt, so ist ein Narr, der seine Dummheit wiederholt.

--- ein ----- --- zu ------ ------ zurückkehrt, -- --- ein ----- --- seine -------- -----------

--- --- Hund, --- -- ------ ------ zurückkehrt, -- --- --- ----- der ----- -------- -----------

Spruche 26,11


12

Spruche 26,12

Siehst du einen Mann, der sich selbst für weise hält, so kannst du für einen Toren mehr Hoffnung haben als für ihn!

------ du ----- ----- der ---- ------ für ----- ------ so ------ -- für ----- ----- mehr -------- ----- als ---- ----

------ -- einen ----- --- ---- ------ für ----- ------ -- ------ du ---- ----- ----- ---- Hoffnung ----- --- ---- ----

Spruche 26,12


13

Spruche 26,13

Der Faule spricht: »Ein Junglöwe ist auf dem Weg, ein Löwe ist mitten auf der Straße!«

--- Faule -------- ----- Junglöwe --- --- dem ---- --- Löwe --- ------ auf --- ----------

--- ----- spricht: ----- --------- --- --- dem ---- --- ----- --- mitten --- --- ----------

Spruche 26,13


14

Spruche 26,14

Die Tür dreht sich in der Angel und der Faule in seinem Bett.

--- Tür ----- ---- in --- ----- und --- ----- in ------ -----

--- ---- dreht ---- -- --- ----- und --- ----- -- ------ Bett.

Spruche 26,14


15

Spruche 26,15

Hat der Faule seine Hand in die Schüssel gesteckt, so wird's ihm zu schwer, sie zum Mund zurückzubringen!

--- der ----- ----- Hand -- --- Schüssel --------- -- wird's --- -- schwer, --- --- Mund -----------------

--- --- Faule ----- ---- -- --- Schüssel --------- -- ------ --- zu ------- --- --- ---- zurückzubringen!

Spruche 26,15


16

Spruche 26,16

Ein Fauler hält sich für weiser als sieben, die verständige Antworten geben.

--- Fauler ----- ---- für ------ --- sieben, --- ------------ Antworten ------

--- ------ hält ---- ---- ------ --- sieben, --- ------------ --------- ------

Spruche 26,16


17

Spruche 26,17

Es packt einen Hund bei den Ohren, wer sich im Vorbeigehen in einen Streit mischt, der ihn nichts angeht.

-- packt ----- ---- bei --- ------ wer ---- -- Vorbeigehen -- ----- Streit ------- --- ihn ------ -------

-- ----- einen ---- --- --- ------ wer ---- -- ----------- -- einen ------ ------- --- --- nichts -------

Spruche 26,17


18

Spruche 26,18

Wie ein Wahnsinniger, der feurige und todbringende Pfeile abschießt,

--- ein ------------- --- feurige --- ------------ Pfeile -----------

--- --- Wahnsinniger, --- ------- --- ------------ Pfeile -----------

Spruche 26,18


19

Spruche 26,19

so ist ein Mensch, der seinen Nächsten betrügt und dann spricht: »Ich habe nur gescherzt!«

-- ist --- ------- der ------ --------- betrügt --- ---- spricht: ----- ---- nur ------------

-- --- ein ------- --- ------ --------- betrügt --- ---- -------- ----- habe --- ------------

Spruche 26,19


20

Spruche 26,20

Wo kein Holz mehr ist, erlischt das Feuer, und wenn der Verleumder fort ist, hört der Streit auf.

-- kein ---- ---- ist, -------- --- Feuer, --- ---- der ---------- ---- ist, ----- --- Streit ----

-- ---- Holz ---- ---- -------- --- Feuer, --- ---- --- ---------- fort ---- ----- --- ------ auf.

Spruche 26,20


21

Spruche 26,21

Zur Glut braucht es Kohlen und zum Feuer Holz, und um Streit anzufangen, einen zänkischen Mann.

--- Glut ------- -- Kohlen --- --- Feuer ----- --- um ------ ----------- einen ----------- -----

--- ---- braucht -- ------ --- --- Feuer ----- --- -- ------ anzufangen, ----- ----------- -----

Spruche 26,21


22

Spruche 26,22

Die Worte des Verleumders sind wie Leckerbissen; sie dringen ins Innerste des Leibes.

--- Worte --- ----------- sind --- ------------- sie ------- --- Innerste --- -------

--- ----- des ----------- ---- --- ------------- sie ------- --- -------- --- Leibes.

Spruche 26,22


23

Spruche 26,23

Silberglasur über ein irdenes Gefäß gezogen, so sind feurige Lippen und ein böses Herz.

------------ über --- ------- Gefäß -------- -- sind ------- ------ und --- ------ Herz.

------------ ----- ein ------- ------- -------- -- sind ------- ------ --- --- böses -----

Spruche 26,23


24

Spruche 26,24

Mit seinen Lippen verstellt sich der Hasser, und in seinem Herzen nimmt er sich Betrügereien vor.

--- seinen ------ --------- sich --- ------- und -- ------ Herzen ----- -- sich ------------- ----

--- ------ Lippen --------- ---- --- ------- und -- ------ ------ ----- er ---- ------------- ----

Spruche 26,24


25

Spruche 26,25

Wenn er schöne Worte macht, so traue ihm nicht, denn es sind sieben Gräuel in seinem Herzen.

---- er ------- ----- macht, -- ----- ihm ------ ---- es ---- ------ Gräuel -- ------ Herzen.

---- -- schöne ----- ------ -- ----- ihm ------ ---- -- ---- sieben ------- -- ------ -------

Spruche 26,25


26

Spruche 26,26

Hüllt sich der Hass in Täuschung, so wird seine Bosheit doch offenbar in der Gemeinde.

------ sich --- ---- in ----------- -- wird ----- ------- doch -------- -- der ---------

------ ---- der ---- -- ----------- -- wird ----- ------- ---- -------- in --- ---------

Spruche 26,26


27

Spruche 26,27

Wer [anderen] eine Grube gräbt, fällt selbst hinein; und wer einen Stein [auf andere] wälzt, zu dem kehrt er zurück.

--- [anderen] ---- ----- gräbt, ------ ------ hinein; --- --- einen ----- ---- andere] ------- -- dem ----- -- zurück.

--- --------- eine ----- ------- ------ ------ hinein; --- --- ----- ----- [auf ------- ------- -- --- kehrt -- --------

Spruche 26,27


28

Spruche 26,28

Eine Lügenzunge hasst die von ihr Zermalmten, und ein glatter Mund richtet Verderben an.

---- Lügenzunge ----- --- von --- ----------- und --- ------- Mund ------- --------- an.

---- ----------- hasst --- --- --- ----------- und --- ------- ---- ------- Verderben ---

Spruche 26,28