Deutsch 26-Hesekiel 021(Schl2000)
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1 | Hesekiel 21,1 | Und das Wort des HERRN erging an mich folgendermaßen: | --- das ---- --- HERRN ------ -- mich ---------------- | --- --- Wort --- ----- ------ -- mich ---------------- | Hesekiel 21,1 |
2 | Hesekiel 21,2 | Menschensohn, richte dein Angesicht nach Süden und rede gegen Süden und weissage gegen den Wald der Gegend im Negev; | ------------- richte ---- --------- nach ------ --- rede ----- ------ und -------- ----- den ---- --- Gegend -- ------ | ------------- ------ dein --------- ---- ------ --- rede ----- ------ --- -------- gegen --- ---- --- ------ im ------ | Hesekiel 21,2 |
3 | Hesekiel 21,3 | und sage zu dem Wald des Negevs: Höre das Wort des HERRN! So spricht GOTT, der Herr: Siehe, ich will ein Feuer in dir anzünden, das wird alle grünen Bäume und alle dürren Bäume in dir verzehren; die lodernde Flamme wird nicht erlöschen, sondern alle Gesichter sollen durch sie verbrannt werden, vom Süden bis zum Norden, | --- sage -- --- Wald --- ------- Höre --- ---- des ------ -- spricht ----- --- Herr: ------ --- will --- ----- in --- ---------- das ---- ---- grünen ------ --- alle ------- ------ in --- ---------- die -------- ------ wird ----- ----------- sondern ---- --------- sollen ----- --- verbrannt ------- --- Süden --- --- Norden, | --- ---- zu --- ---- --- ------- Höre --- ---- --- ------ So ------- ----- --- ----- Siehe, --- ---- --- ----- in --- ---------- --- ---- alle ------- ------ --- ---- dürren ------ -- --- ---------- die -------- ------ ---- ----- erlöschen, ------- ---- --------- ------ durch --- --------- ------- --- Süden --- --- ------- | Hesekiel 21,3 |
4 | Hesekiel 21,4 | und alles Fleisch wird sehen, dass ich, der HERR, es angezündet habe; es soll nicht erlöschen! | --- alles ------- ---- sehen, ---- ---- der ----- -- angezündet ----- -- soll ----- ----------- | --- ----- Fleisch ---- ------ ---- ---- der ----- -- ----------- ----- es ---- ----- ----------- | Hesekiel 21,4 |
5 | Hesekiel 21,5 | Da sprach ich: Ach, Herr, HERR, sie werden von mir sagen: »Redet er nicht in Gleichnissen?« | -- sprach ---- ---- Herr, ----- --- werden --- --- sagen: ------- -- nicht -- --------------- | -- ------ ich: ---- ----- ----- --- werden --- --- ------ ------- er ----- -- --------------- | Hesekiel 21,5 |
6 | Hesekiel 21,6 | Und das Wort des HERRN erging an mich folgendermaßen: | --- das ---- --- HERRN ------ -- mich ---------------- | --- --- Wort --- ----- ------ -- mich ---------------- | Hesekiel 21,6 |
7 | Hesekiel 21,7 | Menschensohn, richte dein Angesicht gegen Jerusalem und rede gegen die Heiligtümer und weissage gegen das Land Israel. | ------------- richte ---- --------- gegen --------- --- rede ----- --- Heiligtümer --- -------- gegen --- ---- Israel. | ------------- ------ dein --------- ----- --------- --- rede ----- --- ------------ --- weissage ----- --- ---- ------- | Hesekiel 21,7 |
8 | Hesekiel 21,8 | Und sage zu dem Land Israel: So spricht der HERR: Siehe, ich komme über dich; ich will mein Schwert aus seiner Scheide ziehen; und ich will den Gerechten und den Gottlosen in dir ausrotten. | --- sage -- --- Land ------- -- spricht --- ----- Siehe, --- ----- über ----- --- will ---- ------- aus ------ ------- ziehen; --- --- will --- --------- und --- --------- in --- ---------- | --- ---- zu --- ---- ------- -- spricht --- ----- ------ --- komme ----- ----- --- ---- mein ------- --- ------ ------- ziehen; --- --- ---- --- Gerechten --- --- --------- -- dir ---------- | Hesekiel 21,8 |
9 | Hesekiel 21,9 | Weil ich nun den Gerechten und den Gottlosen in dir ausrotten will, so soll mein Schwert aus seiner Scheide fahren gegen alles Fleisch, vom Süden bis zum Norden. | ---- ich --- --- Gerechten --- --- Gottlosen -- --- ausrotten ----- -- soll ---- ------- aus ------ ------- fahren ----- ----- Fleisch, --- ------ bis --- ------- | ---- --- nun --- --------- --- --- Gottlosen -- --- --------- ----- so ---- ---- ------- --- seiner ------- ------ ----- ----- Fleisch, --- ------ --- --- Norden. | Hesekiel 21,9 |
10 | Hesekiel 21,10 | Und alles Fleisch soll erkennen, dass ich, der HERR, mein Schwert aus seiner Scheide gezogen habe; und es soll nicht mehr eingesteckt werden! | --- alles ------- ---- erkennen, ---- ---- der ----- ---- Schwert --- ------ Scheide ------- ----- und -- ---- nicht ---- ----------- werden! | --- ----- Fleisch ---- --------- ---- ---- der ----- ---- ------- --- seiner ------- ------- ----- --- es ---- ----- ---- ----------- werden! | Hesekiel 21,10 |
11 | Hesekiel 21,11 | Und du, Menschensohn, stöhne, als hättest du einen Lendenbruch, ja, stöhne bitterlich vor ihren Augen! | --- du, ------------- -------- als -------- -- einen ------------ --- stöhne ---------- --- ihren ------ | --- --- Menschensohn, -------- --- -------- -- einen ------------ --- ------- ---------- vor ----- ------ | Hesekiel 21,11 |
12 | Hesekiel 21,12 | Und wenn sie dich fragen werden: »Warum stöhnst du?« so sprich: öœber eine Botschaft! Wenn die eintrifft, so werden alle Herzen verzagen, alle Hände sinken, aller Mut schwinden und alle Knie wie Wasser vergehen. Siehe, es wird kommen und geschehen! spricht GOTT, der Herr. | --- wenn --- ---- fragen ------- ------- stöhnst ----- -- sprich: ------- ---- Botschaft! ---- --- eintrifft, -- ------ alle ------ --------- alle ------ ------- aller --- --------- und ---- ---- wie ------ --------- Siehe, -- ---- kommen --- ---------- spricht ----- --- Herr. | --- ---- sie ---- ------ ------- ------- stöhnst ----- -- ------- ------- eine ---------- ---- --- ---------- so ------ ---- ------ --------- alle ------ ------- ----- --- schwinden --- ---- ---- --- Wasser --------- ------ -- ---- kommen --- ---------- ------- ----- der ----- | Hesekiel 21,12 |
13 | Hesekiel 21,13 | Und das Wort des HERRN erging an mich folgendermaßen: | --- das ---- --- HERRN ------ -- mich ---------------- | --- --- Wort --- ----- ------ -- mich ---------------- | Hesekiel 21,13 |
14 | Hesekiel 21,14 | Menschensohn, weissage und sprich: So spricht der HERR: Sprich: Das Schwert, ja, das Schwert ist geschärft und geschliffen! | ------------- weissage --- ------- So ------- --- HERR: ------- --- Schwert, --- --- Schwert --- ---------- und ------------ | ------------- -------- und ------- -- ------- --- HERR: ------- --- -------- --- das ------- --- ---------- --- geschliffen! | Hesekiel 21,14 |
15 | Hesekiel 21,15 | Zu einer Metzelei ist es geschärft; damit es blinke und blitze, ist es geschliffen. Sollten wir uns da etwa freuen? Das Zepter meines Sohnes verachtet alles Holz. | -- einer -------- --- es ----------- ----- es ------ --- blitze, --- -- geschliffen. ------- --- uns -- ---- freuen? --- ------ meines ------ --------- alles ----- | -- ----- Metzelei --- -- ----------- ----- es ------ --- ------- --- es ------------ ------- --- --- da ---- ------- --- ------ meines ------ --------- ----- ----- | Hesekiel 21,15 |
16 | Hesekiel 21,16 | Er hat das Schwert zum Schleifen gegeben, um es in die Hand zu nehmen. Das Schwert ist geschärft und geschliffen, damit man es dem Würger in die Hand gebe. | -- hat --- ------- zum --------- -------- um -- -- die ---- -- nehmen. --- ------- ist ---------- --- geschliffen, ----- --- es --- ------- in --- ---- gebe. | -- --- das ------- --- --------- -------- um -- -- --- ---- zu ------- --- ------- --- geschärft --- ------------ ----- --- es --- ------- -- --- Hand ----- | Hesekiel 21,16 |
17 | Hesekiel 21,17 | Schreie und heule, Menschensohn! Denn es richtet sich gegen mein Volk, es richtet sich gegen alle Fürsten Israels; mit meinem Volk sind sie dem Schwert verfallen! Darum schlage dich auf die Hüfte! | ------- und ------ ------------- Denn -- ------- sich ----- ---- Volk, -- ------- sich ----- ---- Fürsten -------- --- meinem ---- ---- sie --- ------- verfallen! ----- ------- dich --- --- Hüfte! | ------- --- heule, ------------- ---- -- ------- sich ----- ---- ----- -- richtet ---- ----- ---- -------- Israels; --- ------ ---- ---- sie --- ------- ---------- ----- schlage ---- --- --- ------- | Hesekiel 21,17 |
18 | Hesekiel 21,18 | Denn es ist eine Prüfung; und wie ginge es, wenn das Zepter, das verachtet, nicht wäre? spricht GOTT, der Herr. | ---- es --- ---- Prüfung; --- --- ginge --- ---- das ------- --- verachtet, ----- ------ spricht ----- --- Herr. | ---- -- ist ---- --------- --- --- ginge --- ---- --- ------- das ---------- ----- ------ ------- GOTT, --- ----- | Hesekiel 21,18 |
19 | Hesekiel 21,19 | Und du, Menschensohn, weissage und schlage die Hände zusammen! Denn das Schwert wird dreimal einen Doppelschlag ausführen! Ein Abschlachtungsschwert ist es, das Abschlachtungsschwert eines Großen, das sie umkreist. | --- du, ------------- -------- und ------- --- Hände --------- ---- das ------- ---- dreimal ----- ------------ ausführen! --- --------------------- ist --- --- Abschlachtungsschwert ----- -------- das --- --------- | --- --- Menschensohn, -------- --- ------- --- Hände --------- ---- --- ------- wird ------- ----- ------------ ----------- Ein --------------------- --- --- --- Abschlachtungsschwert ----- -------- --- --- umkreist. | Hesekiel 21,19 |
20 | Hesekiel 21,20 | Damit die Herzen verzagen und die Gefallenen zahlreich werden, habe ich das schlachtende Schwert an allen ihren Toren gezogen. Wehe, zum Blitzen ist es gemacht, zur Schlachtung geschärft! | ----- die ------ -------- und --- ---------- zahlreich ------- ---- ich --- ------------ Schwert -- ----- ihren ----- -------- Wehe, --- ------- ist -- -------- zur ----------- ----------- | ----- --- Herzen -------- --- --- ---------- zahlreich ------- ---- --- --- schlachtende ------- -- ----- ----- Toren -------- ----- --- ------- ist -- -------- --- ----------- geschärft! | Hesekiel 21,20 |
21 | Hesekiel 21,21 | Vereine deine [Kraft] zur Rechten hin, wende dich zur Linken hin, wohin deine Schneide bestellt ist! | ------- deine ------- --- Rechten ---- ----- dich --- ------ hin, ----- ----- Schneide -------- ---- | ------- ----- [Kraft] --- ------- ---- ----- dich --- ------ ---- ----- deine -------- -------- ---- | Hesekiel 21,21 |
22 | Hesekiel 21,22 | So will ich auch meine Hände zusammenschlagen und meinen Grimm stillen! Ich, der HERR, habe es gesagt. | -- will --- ---- meine ------ ---------------- und ------ ----- stillen! ---- --- HERR, ---- -- gesagt. | -- ---- ich ---- ----- ------ ---------------- und ------ ----- -------- ---- der ----- ---- -- ------- | Hesekiel 21,22 |
23 | Hesekiel 21,23 | Und das Wort des HERRN erging folgendermaßen an mich: | --- das ---- --- HERRN ------ --------------- an ----- | --- --- Wort --- ----- ------ --------------- an ----- | Hesekiel 21,23 |
24 | Hesekiel 21,24 | Du aber, Menschensohn, mache dir zwei Wege, auf denen das Schwert des Königs von Babel kommen soll! Von einem Land sollen sie beide ausgehen; und zeichne einen Wegweiser am Anfang des Weges zur Stadt. | -- aber, ------------- ----- dir ---- ----- auf ----- --- Schwert --- ------- von ----- ------ soll! --- ----- Land ------ --- beide --------- --- zeichne ----- --------- am ------ --- Weges --- ------ | -- ----- Menschensohn, ----- --- ---- ----- auf ----- --- ------- --- Königs --- ----- ------ ----- Von ----- ---- ------ --- beide --------- --- ------- ----- Wegweiser -- ------ --- ----- zur ------ | Hesekiel 21,24 |
25 | Hesekiel 21,25 | Mache den Weg so, dass das Schwert sowohl nach Rabba, [der Stadt] der Ammoniter, als auch nach Judäa und zur Festung Jerusalem kommen kann. | ----- den --- --- dass --- ------- sowohl ---- ------ [der ------ --- Ammoniter, --- ---- nach ------ --- zur ------- --------- kommen ----- | ----- --- Weg --- ---- --- ------- sowohl ---- ------ ---- ------ der ---------- --- ---- ---- Judäa --- --- ------- --------- kommen ----- | Hesekiel 21,25 |
26 | Hesekiel 21,26 | Denn der König von Babel steht an der Weggabelung, am Anfang der beiden Wege, um das Wahrsageorakel zu befragen; er lost mit den Pfeilen, befragt die Teraphim und beschaut die Leber. | ---- der ------ --- Babel ----- -- der ------------ -- Anfang --- ------ Wege, -- --- Wahrsageorakel -- --------- er ---- --- den -------- ------- die -------- --- beschaut --- ------ | ---- --- König --- ----- ----- -- der ------------ -- ------ --- beiden ----- -- --- -------------- zu --------- -- ---- --- den -------- ------- --- -------- und -------- --- ------ | Hesekiel 21,26 |
27 | Hesekiel 21,27 | In seine Rechte fällt das Wahrsagelos »Jerusalem«, dass er Sturmböcke heranführen lassen und den Befehl zum Angriff geben soll, dass man ein Kriegsgeschrei erheben, Sturmböcke gegen die Tore aufstellen, einen Wall aufwerfen und Belagerungstürme bauen soll. | -- seine ------ ------ das ----------- -------------- dass -- ----------- heranführen ------ --- den ------ --- Angriff ----- ----- dass --- --- Kriegsgeschrei -------- ----------- gegen --- ---- aufstellen, ----- ---- aufwerfen --- ----------------- bauen ----- | -- ----- Rechte ------ --- ----------- -------------- dass -- ----------- ------------ ------ und --- ------ --- ------- geben ----- ---- --- --- Kriegsgeschrei -------- ----------- ----- --- Tore ----------- ----- ---- --------- und ----------------- ----- ----- | Hesekiel 21,27 |
28 | Hesekiel 21,28 | Aber sie werden es für eine falsche Wahrsagung halten, wegen der feierlichen Eide, die geschworen wurden; jener aber bringt ihre Missetat in Erinnerung, damit sie gefangen werden. | ---- sie ------ -- für ---- ------- Wahrsagung ------- ----- der ----------- ----- die ---------- ------- jener ---- ------ ihre -------- -- Erinnerung, ----- --- gefangen ------- | ---- --- werden -- ---- ---- ------- Wahrsagung ------- ----- --- ----------- Eide, --- ---------- ------- ----- aber ------ ---- -------- -- Erinnerung, ----- --- -------- ------- | Hesekiel 21,28 |
29 | Hesekiel 21,29 | Darum, so spricht GOTT, der Herr: Weil ihr eure Missetat in Erinnerung bringt, indem ihr eure öœbertretungen aufdeckt, so dass eure Sünden in allen euren Taten offenbar werden; weil ihr euch in Erinnerung bringt, so sollt ihr mit Gewalt gefangen genommen werden! | ------ so ------- ----- der ----- ---- ihr ---- -------- in ---------- ------- indem --- ---- öœbertretungen --------- -- dass ---- ------- in ----- ----- Taten -------- ------- weil --- ---- in ---------- ------- so ----- --- mit ------ -------- genommen ------- | ------ -- spricht ----- --- ----- ---- ihr ---- -------- -- ---------- bringt, ----- --- ---- ---------------- aufdeckt, -- ---- ---- ------- in ----- ----- ----- -------- werden; ---- --- ---- -- Erinnerung ------- -- ----- --- mit ------ -------- -------- ------- | Hesekiel 21,29 |
30 | Hesekiel 21,30 | Was aber dich betrifft, du entweihter Gesetzloser, du Fürst Israels, dessen Tag kommt zur Zeit der Sünde des Endes, | --- aber ---- --------- du ---------- ------------ du ------ -------- dessen --- ----- zur ---- --- Sünde --- ------ | --- ---- dich --------- -- ---------- ------------ du ------ -------- ------ --- kommt --- ---- --- ------ des ------ | Hesekiel 21,30 |
31 | Hesekiel 21,31 | so spricht GOTT, der Herr: Fort mit dem Kopfbund, herunter mit der Krone! So soll's sein und nicht anders: Das Niedrige soll erhöht, und das Hohe soll erniedrigt werden! | -- spricht ----- --- Herr: ---- --- dem --------- -------- mit --- ------ So ------ ---- und ----- ------- Das -------- ---- erhöht, --- --- Hohe ---- ---------- werden! | -- ------- GOTT, --- ----- ---- --- dem --------- -------- --- --- Krone! -- ------ ---- --- nicht ------- --- -------- ---- erhöht, --- --- ---- ---- erniedrigt ------- | Hesekiel 21,31 |
32 | Hesekiel 21,32 | Zunichte, zunichte, zunichte will ich sie machen; auch dies wird nicht mehr sein, bis der kommt, dem das Anrecht zusteht, dem werde ich sie geben! | --------- zunichte, -------- ---- ich --- ------- auch ---- ---- nicht ---- ----- bis --- ------ dem --- ------- zusteht, --- ----- ich --- ------ | --------- --------- zunichte ---- --- --- ------- auch ---- ---- ----- ---- sein, --- --- ------ --- das ------- -------- --- ----- ich --- ------ | Hesekiel 21,32 |
33 | Hesekiel 21,33 | Und du, Menschensohn, weissage und sprich: So spricht GOTT, der Herr, über die Ammoniter und ihre Schmähung, nämlich: Das Schwert, ja, das Schwert ist schon gezückt zur Schlachtung und geschliffen zum Vertilgen, dass es blitze †| --- du, ------------- -------- und ------- -- spricht ----- --- Herr, ----- --- Ammoniter --- ---- Schmähung, --------- --- Schwert, --- --- Schwert --- ----- gezückt --- ----------- und ----------- --- Vertilgen, ---- -- blitze ----- | --- --- Menschensohn, -------- --- ------- -- spricht ----- --- ----- ----- die --------- --- ---- ----------- nämlich: --- -------- --- --- Schwert --- ----- -------- --- Schlachtung --- ----------- --- ---------- dass -- ------ ----- | Hesekiel 21,33 |
34 | Hesekiel 21,34 | während man dich durch Weissagung täuscht, dir Lügen wahrsagt -, um dich zu den enthaupteten Leichen der erschlagenen Gesetzlosen zu legen, deren Tag gekommen ist zur Zeit der Sünde des Endes. | -------- man ---- ----- Weissagung --------- --- Lügen -------- -- um ---- -- den ------------ ------- der ------------ ----------- zu ------ ----- Tag -------- --- zur ---- --- Sünde --- ------ | -------- --- dich ----- ---------- --------- --- Lügen -------- -- -- ---- zu --- ------------ ------- --- erschlagenen ----------- -- ------ ----- Tag -------- --- --- ---- der ------ --- ------ | Hesekiel 21,34 |
35 | Hesekiel 21,35 | Stecke es wieder in die Scheide! An dem Ort, wo du erschaffen wurdest, im Land deines Ursprungs will ich dich richten. | ------ es ------ -- die -------- -- dem ---- -- du ---------- -------- im ---- ------ Ursprungs ---- --- dich -------- | ------ -- wieder -- --- -------- -- dem ---- -- -- ---------- wurdest, -- ---- ------ --------- will --- ---- -------- | Hesekiel 21,35 |
36 | Hesekiel 21,36 | Und ich will meinen Grimm über dich ausschütten und das Feuer meines Zornes gegen dich anfachen und dich rohen Leuten ausliefern, die Verderben schmieden. | --- ich ---- ------ Grimm ----- ---- ausschütten --- --- Feuer ------ ------ gegen ---- -------- und ---- ----- Leuten ----------- --- Verderben ---------- | --- --- will ------ ----- ----- ---- ausschütten --- --- ----- ------ Zornes ----- ---- -------- --- dich ----- ------ ----------- --- Verderben ---------- | Hesekiel 21,36 |
37 | Hesekiel 21,37 | Du sollst dem Feuer zum Fraß dienen; dein Blut soll mitten im Land [vergossen werden]; man wird nicht an dich gedenken; ja, ich, der HERR, habe es gesagt! | -- sollst --- ----- zum ----- ------- dein ---- ---- mitten -- ---- [vergossen -------- --- wird ----- -- dich --------- --- ich, --- ----- habe -- ------- | -- ------ dem ----- --- ----- ------- dein ---- ---- ------ -- Land ---------- -------- --- ---- nicht -- ---- --------- --- ich, --- ----- ---- -- gesagt! | Hesekiel 21,37 |