Deutsch 31-Obadja 001(Schl2000)
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1 | Obadja 1,1 | Dies ist die Offenbarung an Obadja: So spricht GOTT, der Herr, über Edom: Wir haben eine Botschaft gehört vom HERRN, und ein Bote wurde damit an die Völker entsandt: »Auf, lasst uns aufbrechen zum Krieg gegen sie!« | ---- ist --- ----------- an ------- -- spricht ----- --- Herr, ----- ----- Wir ----- ---- Botschaft ------- --- HERRN, --- --- Bote ----- ----- an --- ------- entsandt: ------ ----- uns ---------- --- Krieg ----- ------ | ---- --- die ----------- -- ------- -- spricht ----- --- ----- ----- Edom: --- ----- ---- --------- gehört --- ------ --- --- Bote ----- ----- -- --- Völker --------- ------ ----- --- aufbrechen --- ----- ----- ------ | Obadja 1,1 |
2 | Obadja 1,2 | Siehe, ich habe dich klein gemacht unter den Völkern; sehr verachtet bist du. | ------ ich ---- ---- klein ------- ----- den --------- ---- verachtet ---- --- | ------ --- habe ---- ----- ------- ----- den --------- ---- --------- ---- du. | Obadja 1,2 |
3 | Obadja 1,3 | Der Hochmut deines Herzens hat dich verführt, weil du an Felshängen wohnst, in der Höhe thronst und in deinem Herzen sprichst: »Wer wird mich zur Erde hinunterstoßen?« | --- Hochmut ------ ------- hat ---- ---------- weil -- -- Felshängen ------- -- der ----- ------- und -- ------ Herzen --------- ----- wird ---- --- Erde ------------------ | --- ------- deines ------- --- ---- ---------- weil -- -- ----------- ------- in --- ----- ------- --- in ------ ------ --------- ----- wird ---- --- ---- ------------------ | Obadja 1,3 |
4 | Obadja 1,4 | Wenn du aber auch dein Nest in der Höhe bautest wie der Adler und es zwischen den Sternen anlegtest, so werde ich dich doch von dort hinunterstürzen! spricht der HERR. | ---- du ---- ---- dein ---- -- der ----- ------- wie --- ----- und -- -------- den ------- ---------- so ----- --- dich ---- --- dort ----------------- ------- der ----- | ---- -- aber ---- ---- ---- -- der ----- ------- --- --- Adler --- -- -------- --- Sternen ---------- -- ----- --- dich ---- --- ---- ----------------- spricht --- ----- | Obadja 1,4 |
5 | Obadja 1,5 | Wenn Diebe zu dir kämen, nächtliche Räuber - wie bist du untergegangen! -, würden sie nicht nur so viel stehlen, bis sie genug haben? Wenn Winzer zu dir kämen, würden sie nicht eine Nachlese übrig lassen? | ---- Diebe -- --- kämen, ----------- ------- - --- ---- du -------------- -- würden --- ----- nur -- ---- stehlen, --- --- genug ------ ---- Winzer -- --- kämen, ------- --- nicht ---- -------- übrig ------- | ---- ----- zu --- ------- ----------- ------- - --- ---- -- -------------- -, ------- --- ----- --- so ---- -------- --- --- genug ------ ---- ------ -- dir ------- ------- --- ----- eine -------- ------ ------- | Obadja 1,5 |
6 | Obadja 1,6 | Wie ist [aber] Esau durchsucht, wie sind seine verborgenen Schätze ausfindig gemacht worden! | --- ist ------ ---- durchsucht, --- ---- seine ----------- -------- ausfindig ------- ------- | --- --- [aber] ---- ----------- --- ---- seine ----------- -------- --------- ------- worden! | Obadja 1,6 |
7 | Obadja 1,7 | Alle deine Bundesgenossen haben dich an die Grenze zurückgeschickt; getäuscht, überwältigt haben dich die Männer, mit denen du Frieden hieltest; die dein Brot aßen, haben dir Schlingen gelegt: »Es ist keine Einsicht in ihm!« | ---- deine -------------- ----- dich -- --- Grenze ----------------- ----------- überwältigt ----- ---- die -------- --- denen -- ------- hieltest; --- ---- Brot ------ ----- dir --------- ------- »Es --- ----- Einsicht -- ------ | ---- ----- Bundesgenossen ----- ---- -- --- Grenze ----------------- ----------- ------------- ----- dich --- -------- --- ----- du ------- --------- --- ---- Brot ------ ----- --- --------- gelegt: ---- --- ----- -------- in ------ | Obadja 1,7 |
8 | Obadja 1,8 | Werde ich, spricht der HERR, an jenem Tag nicht die Weisen aus Edom vertilgen und die Einsicht vom Gebirge Esaus? | ----- ich, ------- --- HERR, -- ----- Tag ----- --- Weisen --- ---- vertilgen --- --- Einsicht --- ------- Esaus? | ----- ---- spricht --- ----- -- ----- Tag ----- --- ------ --- Edom --------- --- --- -------- vom ------- ------ | Obadja 1,8 |
9 | Obadja 1,9 | Und deine Helden, Teman, sollen den Mut verlieren, damit jedermann ausgerottet wird bei dem Gemetzel auf dem Gebirge Esaus. | --- deine ------- ------ sollen --- --- verlieren, ----- --------- ausgerottet ---- --- dem -------- --- dem ------- ------ | --- ----- Helden, ------ ------ --- --- verlieren, ----- --------- ----------- ---- bei --- -------- --- --- Gebirge ------ | Obadja 1,9 |
10 | Obadja 1,10 | Wegen der Grausamkeit gegen deinen Bruder Jakob soll dich Schande bedecken, und du sollst auf ewig ausgerottet werden! | ----- der ----------- ----- deinen ------ ----- soll ---- ------- bedecken, --- -- sollst --- ---- ausgerottet ------- | ----- --- Grausamkeit ----- ------ ------ ----- soll ---- ------- --------- --- du ------ --- ---- ----------- werden! | Obadja 1,10 |
11 | Obadja 1,11 | An jenem Tag, als du dabeistandest, an dem Tag, da Fremde sein Hab und Gut wegführten und Ausländer zu seinen Toren einzogen und das Los über Jerusalem warfen, da warst du auch wie einer von ihnen! | -- jenem ---- --- du -------------- -- dem ---- -- Fremde ---- --- und --- ----------- und ---------- -- seinen ----- -------- und --- --- über --------- ------- da ----- -- auch --- ----- von ------ | -- ----- Tag, --- -- -------------- -- dem ---- -- ------ ---- Hab --- --- ----------- --- Ausländer -- ------ ----- -------- und --- --- ----- --------- warfen, -- ----- -- ---- wie ----- --- ------ | Obadja 1,11 |
12 | Obadja 1,12 | Du sollst aber deine Lust nicht sehen am Tag deines Bruders, am Tag seines Unheils, und sollst dich nicht freuen über die Kinder Judas am Tag ihres Untergangs und nicht dein Maul aufreißen am Tag der Drangsal. | -- sollst ---- ----- Lust ----- ----- am --- ------ Bruders, -- --- seines -------- --- sollst ---- ----- freuen ----- --- Kinder ----- -- Tag ----- ---------- und ----- ---- Maul ---------- -- Tag --- --------- | -- ------ aber ----- ---- ----- ----- am --- ------ -------- -- Tag ------ -------- --- ------ dich ----- ------ ----- --- Kinder ----- -- --- ----- Untergangs --- ----- ---- ---- aufreißen -- --- --- --------- | Obadja 1,12 |
13 | Obadja 1,13 | Du sollst auch nicht zum Tor meines Volkes einziehen am Tag ihres Unglücks und auch nicht dich weiden an seinem Unheil an seinem Schicksalstag, noch deine Hand ausstrecken nach seinem Hab und Gut am Tag seines Unglücks. | -- sollst ---- ----- zum --- ------ Volkes --------- -- Tag ----- --------- und ---- ----- dich ------ -- seinem ------ -- seinem -------------- ---- deine ---- ----------- nach ------ --- und --- -- Tag ------ ---------- | -- ------ auch ----- --- --- ------ Volkes --------- -- --- ----- Unglücks --- ---- ----- ---- weiden -- ------ ------ -- seinem -------------- ---- ----- ---- ausstrecken ---- ------ --- --- Gut -- --- ------ ---------- | Obadja 1,13 |
14 | Obadja 1,14 | Du sollst dich auch nicht beim Scheideweg aufstellen, um seine Flüchtlinge niederzumachen, und sollst seine Entkommenen nicht ausliefern am Tag der Drangsal! | -- sollst ---- ---- nicht ---- ---------- aufstellen, -- ----- Flüchtlinge --------------- --- sollst ----- ----------- nicht ---------- -- Tag --- --------- | -- ------ dich ---- ----- ---- ---------- aufstellen, -- ----- ------------ --------------- und ------ ----- ----------- ----- ausliefern -- --- --- --------- | Obadja 1,14 |
15 | Obadja 1,15 | Denn nahe ist der Tag des HERRN über alle Heidenvölker; wie du gehandelt hast, so wird man dir gegenüber handeln; dein Tun fällt auf deinen Kopf zurück! | ---- nahe --- --- Tag --- ----- über ---- -------------- wie -- --------- hast, -- ---- man --- ---------- handeln; ---- --- fällt --- ------ Kopf -------- | ---- ---- ist --- --- --- ----- über ---- -------------- --- -- gehandelt ----- -- ---- --- dir ---------- -------- ---- --- fällt --- ------ ---- -------- | Obadja 1,15 |
16 | Obadja 1,16 | Denn gleichwie ihr auf meinem heiligen Berg getrunken habt, so sollen alle Heidenvölker beständig trinken; sie sollen trinken und schlürfen und sein, als wären sie nie gewesen. | ---- gleichwie --- --- meinem -------- ---- getrunken ----- -- sollen ---- ------------- beständig -------- --- sollen ------- --- schlürfen --- ----- als ------ --- nie -------- | ---- --------- ihr --- ------ -------- ---- getrunken ----- -- ------ ---- Heidenvölker ---------- -------- --- ------ trinken --- ---------- --- ----- als ------ --- --- -------- | Obadja 1,16 |
17 | Obadja 1,17 | Aber auf dem Berg Zion wird Errettung sein, und er wird heilig sein; und die vom Haus Jakob werden ihre Besitzungen wieder einnehmen. | ---- auf --- ---- Zion ---- --------- sein, --- -- wird ------ ----- und --- --- Haus ----- ------ ihre ----------- ------ einnehmen. | ---- --- dem ---- ---- ---- --------- sein, --- -- ---- ------ sein; --- --- --- ---- Jakob ------ ---- ----------- ------ einnehmen. | Obadja 1,17 |
18 | Obadja 1,18 | Und das Haus Jakob wird ein Feuer sein und das Haus Joseph eine Flamme; aber das Haus Esau wird zu Stoppeln werden; und jene werden sie anzünden und verzehren, so dass dem Haus Esau kein öœberlebender übrig bleibt; denn der HERR hat es gesagt! | --- das ---- ----- wird --- ----- sein --- --- Haus ------ ---- Flamme; ---- --- Haus ---- ---- zu -------- ------- und ---- ------ sie --------- --- verzehren, -- ---- dem ---- ---- kein --------------- ------ bleibt; ---- --- HERR --- -- gesagt! | --- --- Haus ----- ---- --- ----- sein --- --- ---- ------ eine ------- ---- --- ---- Esau ---- -- -------- ------- und ---- ------ --- --------- und ---------- -- ---- --- Haus ---- ---- --------------- ------ bleibt; ---- --- ---- --- es ------- | Obadja 1,18 |
19 | Obadja 1,19 | Und die im Negev werden das Gebirge Esaus in Besitz nehmen und die in der Schephela das Philisterland; auch werden sie das Gebiet von Ephraim und das Gebiet von Samaria in Besitz nehmen, und Benjamin [das Gebiet von] Gilead. | --- die -- ----- werden --- ------- Esaus -- ------ nehmen --- --- in --- --------- das -------------- ---- werden --- --- Gebiet --- ------- und --- ------ von ------- -- Besitz ------- --- Benjamin ---- ------ von] ------- | --- --- im ----- ------ --- ------- Esaus -- ------ ------ --- die -- --- --------- --- Philisterland; ---- ------ --- --- Gebiet --- ------- --- --- Gebiet --- ------- -- ------ nehmen, --- -------- ---- ------ von] ------- | Obadja 1,19 |
20 | Obadja 1,20 | Und die Weggeführten werden diesen Befestigungswall für die Kinder Israels [in Besitz nehmen]: nämlich was den Kanaanitern gehört bis nach Zarpat hin, und die Weggeführten Jerusalems, die in Sepharad sind, die Städte des Negev. | --- die ------------- ------ diesen ---------------- ---- die ------ ------- [in ------ -------- nämlich --- --- Kanaanitern ------- --- nach ------ ---- und --- ------------- Jerusalems, --- -- Sepharad ----- --- Städte --- ------ | --- --- Weggeführten ------ ------ ---------------- ---- die ------ ------- --- ------ nehmen]: -------- --- --- ----------- gehört --- ---- ------ ---- und --- ------------- ----------- --- in -------- ----- --- ------- des ------ | Obadja 1,20 |
21 | Obadja 1,21 | Und es werden Befreier auf den Berg Zion hinaufziehen, um das Gebirge Esaus zu richten. Und die Königsherrschaft wird dem HERRN gehören! | --- es ------ -------- auf --- ---- Zion ------------- -- das ------- ----- zu -------- --- die ----------------- ---- dem ----- --------- | --- -- werden -------- --- --- ---- Zion ------------- -- --- ------- Esaus -- -------- --- --- Königsherrschaft ---- --- ----- --------- | Obadja 1,21 |
22 | Jona 1,1 | Und das Wort des HERRN erging an Jona, den Sohn Amittais, folgendermaßen: | --- das ---- --- HERRN ------ -- Jona, --- ---- Amittais, ---------------- | --- --- Wort --- ----- ------ -- Jona, --- ---- --------- ---------------- | Jona 1,1 |
23 | Jona 1,2 | Mache dich auf, geh nach Ninive, in die große Stadt, und verkündige gegen sie; denn ihre Bosheit ist vor mein Angesicht heraufgekommen! | ----- dich ---- --- nach ------- -- die ------ ------ und ----------- ----- sie; ---- ---- Bosheit --- --- mein --------- --------------- | ----- ---- auf, --- ---- ------- -- die ------ ------ --- ----------- gegen ---- ---- ---- ------- ist --- ---- --------- --------------- | Jona 1,2 |
24 | Jona 1,3 | Da machte sich Jona auf, um von dem Angesicht des HERRN weg nach Tarsis zu fliehen; und er ging nach Japho hinab und fand dort ein Schiff, das nach Tarsis fuhr. Da bezahlte er sein Fahrgeld und stieg ein, um mit ihnen nach Tarsis zu fahren, weg von dem Angesicht des HERRN. | -- machte ---- ---- auf, -- --- dem --------- --- HERRN --- ---- Tarsis -- -------- und -- ---- nach ----- ----- und ---- ---- ein ------- --- nach ------ ----- Da -------- -- sein -------- --- stieg ---- -- mit ----- ---- Tarsis -- ------- weg --- --- Angesicht --- ------ | -- ------ sich ---- ---- -- --- dem --------- --- ----- --- nach ------ -- -------- --- er ---- ---- ----- ----- und ---- ---- --- ------- das ---- ------ ----- -- bezahlte -- ---- -------- --- stieg ---- -- --- ----- nach ------ -- ------- --- von --- --------- --- ------ | Jona 1,3 |
25 | Jona 1,4 | Aber der HERR schleuderte einen starken Wind auf das Meer, so dass ein großer Sturm auf dem Meer entstand und das Schiff zu zerbrechen drohte. | ---- der ---- ----------- einen ------- ---- auf --- ----- so ---- --- großer ----- --- dem ---- -------- und --- ------ zu ---------- ------- | ---- --- HERR ----------- ----- ------- ---- auf --- ----- -- ---- ein ------- ----- --- --- Meer -------- --- --- ------ zu ---------- ------- | Jona 1,4 |
26 | Jona 1,5 | Da fürchteten sich die Schiffsleute und schrien, jeder zu seinem Gott; und sie warfen die Geräte, die im Schiff waren, ins Meer, um es dadurch zu erleichtern. Jona aber war in den untersten Schiffsraum hinabgestiegen, hatte sich niedergelegt und war fest eingeschlafen. | -- fürchteten ---- --- Schiffsleute --- -------- jeder -- ------ Gott; --- --- warfen --- -------- die -- ------ waren, --- ----- um -- ------- zu ------------ ---- aber --- -- den --------- ----------- hinabgestiegen, ----- ---- niedergelegt --- --- fest -------------- | -- ----------- sich --- ------------ --- -------- jeder -- ------ ----- --- sie ------ --- -------- --- im ------ ------ --- ----- um -- ------- -- ------------ Jona ---- --- -- --- untersten ----------- --------------- ----- ---- niedergelegt --- --- ---- -------------- | Jona 1,5 |
27 | Jona 1,6 | Da trat der Schiffskapitän zu ihm und sprach: Was ist mit dir, dass du so schläfst? Steh auf, rufe deinen Gott an! Vielleicht wird dieser Gott an uns gedenken, dass wir nicht untergehen! | -- trat --- --------------- zu --- --- sprach: --- --- mit ---- ---- du -- ---------- Steh ---- ---- deinen ---- --- Vielleicht ---- ------ Gott -- --- gedenken, ---- --- nicht ----------- | -- ---- der --------------- -- --- --- sprach: --- --- --- ---- dass -- -- ---------- ---- auf, ---- ------ ---- --- Vielleicht ---- ------ ---- -- uns --------- ---- --- ----- untergehen! | Jona 1,6 |
28 | Jona 1,7 | Und sie sprachen einer zum anderen: Kommt, wir wollen Lose werfen, damit wir erfahren, um wessen willen uns dieses Unglück getroffen hat! Und sie warfen Lose, und das Los fiel auf Jona. | --- sie -------- ----- zum -------- ------ wir ------ ---- werfen, ----- --- erfahren, -- ------ willen --- ------ Unglück --------- ---- Und --- ------ Lose, --- --- Los ---- --- Jona. | --- --- sprachen ----- --- -------- ------ wir ------ ---- ------- ----- wir --------- -- ------ ------ uns ------ -------- --------- ---- Und --- ------ ----- --- das --- ---- --- ----- | Jona 1,7 |
29 | Jona 1,8 | Da sprachen sie zu ihm: Sage uns doch, um wessen willen uns dieses Unglück getroffen hat! Was ist dein Gewerbe, und wo kommst du her? Was ist dein Land, und von welchem Volk bist du? | -- sprachen --- -- ihm: ---- --- doch, -- ------ willen --- ------ Unglück --------- ---- Was --- ---- Gewerbe, --- -- kommst -- ---- Was --- ---- Land, --- --- welchem ---- ---- du? | -- -------- sie -- ---- ---- --- doch, -- ------ ------ --- dieses -------- --------- ---- --- ist ---- -------- --- -- kommst -- ---- --- --- dein ----- --- --- ------- Volk ---- --- | Jona 1,8 |
30 | Jona 1,9 | Er sprach: Ich bin ein Hebräer; und ich fürchte den HERRN, den Gott des Himmels, der das Meer und das Trockene gemacht hat. | -- sprach: --- --- ein --------- --- ich -------- --- HERRN, --- ---- des -------- --- das ---- --- das -------- ------- hat. | -- ------- Ich --- --- --------- --- ich -------- --- ------ --- Gott --- -------- --- --- Meer --- --- -------- ------- hat. | Jona 1,9 |
31 | Jona 1,10 | Da gerieten die Männer in große Furcht und sprachen: Was hast du da getan? Denn die Männer wussten, dass er vor dem Angesicht des HERRN floh; denn er hatte es ihnen erzählt. | -- gerieten --- ------- in ------ ------ und --------- --- hast -- -- getan? ---- --- Männer -------- ---- er --- --- Angesicht --- ----- floh; ---- -- hatte -- ----- erzählt. | -- -------- die ------- -- ------ ------ und --------- --- ---- -- da ------ ---- --- ------- wussten, ---- -- --- --- Angesicht --- ----- ----- ---- er ----- -- ----- --------- | Jona 1,10 |
32 | Jona 1,11 | Und sie fragten ihn: Was sollen wir mit dir machen, damit das Meer uns in Ruhe lässt? Denn das Meer tobte immer schlimmer. | --- sie ------- ---- Was ------ --- mit --- ------- damit --- ---- uns -- ---- lässt? ---- --- Meer ----- ----- schlimmer. | --- --- fragten ---- --- ------ --- mit --- ------- ----- --- Meer --- -- ---- ------- Denn --- ---- ----- ----- schlimmer. | Jona 1,11 |
33 | Jona 1,12 | Er sprach zu ihnen: Nehmt mich und werft mich ins Meer, so wird das Meer euch in Ruhe lassen! Denn ich weiß wohl, dass dieser große Sturm um meinetwillen über euch gekommen ist. | -- sprach -- ------ Nehmt ---- --- werft ---- --- Meer, -- ---- das ---- ---- in ---- ------- Denn --- ----- wohl, ---- ------ große ----- -- meinetwillen ----- ---- gekommen ---- | -- ------ zu ------ ----- ---- --- werft ---- --- ----- -- wird --- ---- ---- -- Ruhe ------- ---- --- ----- wohl, ---- ------ ------ ----- um ------------ ----- ---- -------- ist. | Jona 1,12 |
34 | Jona 1,13 | Da ruderten die Leute mit aller Kraft, um das Ufer wieder zu erreichen; aber sie konnten es nicht; denn das Meer tobte immer schlimmer gegen sie. | -- ruderten --- ----- mit ----- ------ um --- ---- wieder -- ---------- aber --- ------- es ------ ---- das ---- ----- immer --------- ----- sie. | -- -------- die ----- --- ----- ------ um --- ---- ------ -- erreichen; ---- --- ------- -- nicht; ---- --- ---- ----- immer --------- ----- ---- | Jona 1,13 |
35 | Jona 1,14 | Da schrien sie zu dem HERRN und sprachen: »Ach, HERR! lass uns doch nicht um der Seele dieses Mannes willen untergehen, rechne uns aber auch nicht unschuldiges Blut an; denn du, HERR, hast getan, was dir wohlgefiel!« | -- schrien --- -- dem ----- --- sprachen: ------ ----- lass --- ---- nicht -- --- Seele ------ ------ willen ----------- ------ uns ---- ---- nicht ------------ ---- an; ---- --- HERR, ---- ------ was --- ------------- | -- ------- sie -- --- ----- --- sprachen: ------ ----- ---- --- doch ----- -- --- ----- dieses ------ ------ ----------- ------ uns ---- ---- ----- ------------ Blut --- ---- --- ----- hast ------ --- --- ------------- | Jona 1,14 |
36 | Jona 1,15 | Darauf nahmen sie Jona und warfen ihn ins Meer; und das Meer hörte auf mit seinem Wüten. | ------ nahmen --- ---- und ------ --- ins ----- --- das ---- ------ auf --- ------ Wüten. | ------ ------ sie ---- --- ------ --- ins ----- --- --- ---- hörte --- --- ------ ------- | Jona 1,15 |
37 | Jona 1,16 | Da bekamen die Männer große Ehrfurcht vor dem HERRN und brachten dem HERRN ein Schlachtopfer dar und taten Gelübde. | -- bekamen --- ------- große --------- --- dem ----- --- brachten --- ----- ein ------------- --- und ----- --------- | -- ------- die ------- ------ --------- --- dem ----- --- -------- --- HERRN --- ------------- --- --- taten --------- | Jona 1,16 |