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Deutsch 40-Matthaus 011(Schl2000)

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1

Matthaus 11,1

Und es geschah, als Jesus die Befehle an seine zwölf Jünger vollendet hatte, zog er von dort weg, um in ihren Städten zu lehren und zu verkündigen.

--- es -------- --- Jesus --- ------- an ----- ------ Jünger --------- ------ zog -- --- dort ---- -- in ----- -------- zu ------ --- zu -------------

--- -- geschah, --- ----- --- ------- an ----- ------ ------- --------- hatte, --- -- --- ---- weg, -- -- ----- -------- zu ------ --- -- -------------

Matthaus 11,1


2

Matthaus 11,2

Als aber Johannes im Gefängnis von den Werken des Christus hörte, sandte er zwei seiner Jünger

--- aber -------- -- Gefängnis --- --- Werken --- -------- hörte, ------ -- zwei ------ -------

--- ---- Johannes -- ---------- --- --- Werken --- -------- ------- ------ er ---- ------ -------

Matthaus 11,2


3

Matthaus 11,3

und ließ ihm sagen: Bist du derjenige, der kommen soll, oder sollen wir auf einen anderen warten?

--- ließ --- ------ Bist -- ---------- der ------ ----- oder ------ --- auf ----- ------- warten?

--- ----- ihm ------ ---- -- ---------- der ------ ----- ---- ------ wir --- ----- ------- -------

Matthaus 11,3


4

Matthaus 11,4

Und Jesus antwortete und sprach zu ihnen: Geht hin und berichtet dem Johannes, was ihr hört und seht:

--- Jesus ---------- --- sprach -- ------ Geht --- --- berichtet --- --------- was --- ----- und -----

--- ----- antwortete --- ------ -- ------ Geht --- --- --------- --- Johannes, --- --- ----- --- seht:

Matthaus 11,4


5

Matthaus 11,5

Blinde werden sehend und Lahme gehen, Aussätzige werden rein und Taube hören, Tote werden auferweckt, und Armen wird das Evangelium verkündigt.

------ werden ------ --- Lahme ------ ----------- werden ---- --- Taube ------- ---- werden ----------- --- Armen ---- --- Evangelium ------------

------ ------ sehend --- ----- ------ ----------- werden ---- --- ----- ------- Tote ------ ----------- --- ----- wird --- ---------- ------------

Matthaus 11,5


6

Matthaus 11,6

Und glückselig ist, wer nicht Anstoß nimmt an mir!

--- glückselig ---- --- nicht ------- ----- an ----

--- ----------- ist, --- ----- ------- ----- an ----

Matthaus 11,6


7

Matthaus 11,7

Als aber diese unterwegs waren, fing Jesus an, zu der Volksmenge über Johannes zu reden: Was seid ihr in die Wüste hinausgegangen zu sehen? Ein Rohr, das vom Wind bewegt wird?

--- aber ----- --------- waren, ---- ----- an, -- --- Volksmenge ----- -------- zu ------ --- seid --- -- die ------ -------------- zu ------ --- Rohr, --- --- Wind ------ -----

--- ---- diese --------- ------ ---- ----- an, -- --- ---------- ----- Johannes -- ------ --- ---- ihr -- --- ------ -------------- zu ------ --- ----- --- vom ---- ------ -----

Matthaus 11,7


8

Matthaus 11,8

Oder was seid ihr hinausgegangen zu sehen? Einen Menschen, mit weichen Kleidern bekleidet? Siehe, die, welche weiche Kleider tragen, sind in den Häusern der Könige!

---- was ---- --- hinausgegangen -- ------ Einen --------- --- weichen -------- ---------- Siehe, ---- ------ weiche ------- ------- sind -- --- Häusern --- --------

---- --- seid --- -------------- -- ------ Einen --------- --- ------- -------- bekleidet? ------ ---- ------ ------ Kleider ------- ---- -- --- Häusern --- --------

Matthaus 11,8


9

Matthaus 11,9

Oder was seid ihr hinausgegangen zu sehen? Einen Propheten? Ja, ich sage euch: einen, der mehr ist als ein Prophet!

---- was ---- --- hinausgegangen -- ------ Einen ---------- --- ich ---- ----- einen, --- ---- ist --- --- Prophet!

---- --- seid --- -------------- -- ------ Einen ---------- --- --- ---- euch: ------ --- ---- --- als --- --------

Matthaus 11,9


10

Matthaus 11,10

Denn dieser ist's, von dem geschrieben steht: »Siehe, ich sende meinen Boten vor deinem Angesicht her, der deinen Weg vor dir bereiten soll«.

---- dieser ------ --- dem ----------- ------ »Siehe, --- ----- meinen ----- --- deinem --------- ---- der ------ --- vor --- -------- soll«.

---- ------ ist's, --- --- ----------- ------ »Siehe, --- ----- ------ ----- vor ------ --------- ---- --- deinen --- --- --- -------- soll«.

Matthaus 11,10


11

Matthaus 11,11

Wahrlich, ich sage euch: Unter denen, die von Frauen geboren sind, ist kein Größerer aufgetreten als Johannes der Täufer; doch der Kleinste im Reich der Himmel ist größer als er.

--------- ich ---- ----- Unter ------ --- von ------ ------- sind, --- ---- Größerer ----------- --- Johannes --- -------- doch --- -------- im ----- --- Himmel --- -------- als ---

--------- --- sage ----- ----- ------ --- von ------ ------- ----- --- kein ---------- ----------- --- -------- der -------- ---- --- -------- im ----- --- ------ --- größer --- ---

Matthaus 11,11


12

Matthaus 11,12

Aber von den Tagen Johannes des Täufers an bis jetzt leidet das Reich der Himmel Gewalt, und die, welche Gewalt anwenden, reißen es an sich.

---- von --- ----- Johannes --- -------- an --- ----- leidet --- ----- der ------ ------- und ---- ------ Gewalt --------- ------- es -- -----

---- --- den ----- -------- --- -------- an --- ----- ------ --- Reich --- ------ ------- --- die, ------ ------ --------- ------- es -- -----

Matthaus 11,12


13

Matthaus 11,13

Denn alle Propheten und das Gesetz haben geweissagt bis hin zu Johannes.

---- alle --------- --- das ------ ----- geweissagt --- --- zu ---------

---- ---- Propheten --- --- ------ ----- geweissagt --- --- -- ---------

Matthaus 11,13


14

Matthaus 11,14

Und wenn ihr es annehmen wollt: Er ist der Elia, der kommen soll.

--- wenn --- -- annehmen ------ -- ist --- ----- der ------ -----

--- ---- ihr -- -------- ------ -- ist --- ----- --- ------ soll.

Matthaus 11,14


15

Matthaus 11,15

Wer Ohren hat zu hören, der höre!

--- Ohren --- -- hören, --- ------

--- ----- hat -- ------- --- ------

Matthaus 11,15


16

Matthaus 11,16

Wem soll ich aber dieses Geschlecht vergleichen? Es ist Kindern gleich, die an den Marktplätzen sitzen und ihren Freunden zurufen

--- soll --- ---- dieses ---------- ------------ Es --- ------- gleich, --- -- den ------------- ------ und ----- -------- zurufen

--- ---- ich ---- ------ ---------- ------------ Es --- ------- ------- --- an --- ------------- ------ --- ihren -------- -------

Matthaus 11,16


17

Matthaus 11,17

und sprechen: Wir haben euch aufgespielt, und ihr habt nicht getanzt; wir haben euch Klagelieder gesungen, und ihr habt nicht geweint!

--- sprechen: --- ----- euch ------------ --- ihr ---- ----- getanzt; --- ----- euch ----------- --------- und --- ---- nicht --------

--- --------- Wir ----- ---- ------------ --- ihr ---- ----- -------- --- haben ---- ----------- --------- --- ihr ---- ----- --------

Matthaus 11,17


18

Matthaus 11,18

Denn Johannes ist gekommen, der aß nicht und trank nicht; da sagen sie: Er hat einen Dämon!

---- Johannes --- --------- der --- ----- und ----- ------ da ----- ---- Er --- ----- Dämon!

---- -------- ist --------- --- --- ----- und ----- ------ -- ----- sie: -- --- ----- -------

Matthaus 11,18


19

Matthaus 11,19

Der Sohn des Menschen ist gekommen, der isst und trinkt; da sagen sie: Wie ist der Mensch ein Fresser und Weinsäufer, ein Freund der Zöllner und Sünder! Und doch ist die Weisheit gerechtfertigt worden von ihren Kindern.

--- Sohn --- -------- ist --------- --- isst --- ------- da ----- ---- Wie --- --- Mensch --- ------- und ------------ --- Freund --- -------- und -------- --- doch --- --- Weisheit -------------- ------ von ----- --------

--- ---- des -------- --- --------- --- isst --- ------- -- ----- sie: --- --- --- ------ ein ------- --- ------------ --- Freund --- -------- --- -------- Und ---- --- --- -------- gerechtfertigt ------ --- ----- --------

Matthaus 11,19


20

Matthaus 11,20

Da fing er an, die Städte zu schelten, in denen die meisten seiner Wundertaten geschehen waren, weil sie nicht Buße getan hatten:

-- fing -- --- die ------- -- schelten, -- ----- die ------- ------ Wundertaten --------- ------ weil --- ----- Buße ----- -------

-- ---- er --- --- ------- -- schelten, -- ----- --- ------- seiner ----------- --------- ------ ---- sie ----- ----- ----- -------

Matthaus 11,20


21

Matthaus 11,21

Wehe dir, Chorazin! Wehe dir, Bethsaida! Denn wenn in Tyrus und Zidon die Wundertaten geschehen wären, die bei euch geschehen sind, so hätten sie längst in Sack und Asche Buße getan.

---- dir, --------- ---- dir, ---------- ---- wenn -- ----- und ----- --- Wundertaten --------- ------- die --- ---- geschehen ----- -- hätten --- ------- in ---- --- Asche ----- ------

---- ---- Chorazin! ---- ---- ---------- ---- wenn -- ----- --- ----- die ----------- --------- ------- --- bei ---- --------- ----- -- hätten --- ------- -- ---- und ----- ----- ------

Matthaus 11,21


22

Matthaus 11,22

Doch ich sage euch: Es wird Tyrus und Zidon erträglicher gehen am Tag des Gerichts als euch!

---- ich ---- ----- Es ---- ----- und ----- ------------- gehen -- --- des -------- --- euch!

---- --- sage ----- -- ---- ----- und ----- ------------- ----- -- Tag --- -------- --- -----

Matthaus 11,22


23

Matthaus 11,23

Und du, Kapernaum, die du bis zum Himmel erhöht worden bist, du wirst bis zum Totenreich hinabgeworfen werden! Denn wenn in Sodom die Wundertaten geschehen wären, die bei dir geschehen sind, es würde noch heutzutage stehen.

--- du, ---------- --- du --- --- Himmel ------- ------ bist, -- ----- bis --- ---------- hinabgeworfen ------- ---- wenn -- ----- die ----------- --------- wären, --- --- dir --------- ----- es ------ ---- heutzutage -------

--- --- Kapernaum, --- -- --- --- Himmel ------- ------ ----- -- wirst --- --- ---------- ------------- werden! ---- ---- -- ----- die ----------- --------- ------- --- bei --- --------- ----- -- würde ---- ---------- -------

Matthaus 11,23


24

Matthaus 11,24

Doch ich sage euch: Es wird dem Land Sodom erträglicher gehen am Tag des Gerichts als dir!

---- ich ---- ----- Es ---- --- Land ----- ------------- gehen -- --- des -------- --- dir!

---- --- sage ----- -- ---- --- Land ----- ------------- ----- -- Tag --- -------- --- ----

Matthaus 11,24


25

Matthaus 11,25

Zu jener Zeit begann Jesus und sprach: Ich preise dich, Vater, Herr des Himmels und der Erde, dass du dies vor den Weisen und Klugen verborgen und es den Unmündigen geoffenbart hast!

-- jener ---- ------ Jesus --- ------- Ich ------ ----- Vater, ---- --- Himmels --- --- Erde, ---- -- dies --- --- Weisen --- ------ verborgen --- -- den ----------- ----------- hast!

-- ----- Zeit ------ ----- --- ------- Ich ------ ----- ------ ---- des ------- --- --- ----- dass -- ---- --- --- Weisen --- ------ --------- --- es --- ----------- ----------- -----

Matthaus 11,25


26

Matthaus 11,26

Ja, Vater, denn so ist es wohlgefällig gewesen vor dir.

--- Vater, ---- -- ist -- ------------- gewesen --- ----

--- ------ denn -- --- -- ------------- gewesen --- ----

Matthaus 11,26


27

Matthaus 11,27

Alles ist mir von meinem Vater übergeben worden, und niemand erkennt den Sohn als nur der Vater; und niemand erkennt den Vater als nur der Sohn und der, welchem der Sohn es offenbaren will.

----- ist --- --- meinem ----- ---------- worden, --- ------- erkennt --- ---- als --- --- Vater; --- ------- erkennt --- ----- als --- --- Sohn --- ---- welchem --- ---- es ---------- -----

----- --- mir --- ------ ----- ---------- worden, --- ------- ------- --- Sohn --- --- --- ------ und ------- ------- --- ----- als --- --- ---- --- der, ------- --- ---- -- offenbaren -----

Matthaus 11,27


28

Matthaus 11,28

Kommt her zu mir alle, die ihr mühselig und beladen seid, so will ich euch erquicken!

----- her -- --- alle, --- --- mühselig --- ------- seid, -- ---- ich ---- ----------

----- --- zu --- ----- --- --- mühselig --- ------- ----- -- will --- ---- ----------

Matthaus 11,28


29

Matthaus 11,29

Nehmt auf euch mein Joch und lernt von mir, denn ich bin sanftmütig und von Herzen demütig; so werdet ihr Ruhe finden für eure Seelen!

----- auf ---- ---- Joch --- ----- von ---- ---- ich --- ----------- und --- ------ demütig; -- ------ ihr ---- ------ für ---- -------

----- --- euch ---- ---- --- ----- von ---- ---- --- --- sanftmütig --- --- ------ --------- so ------ --- ---- ------ für ---- -------

Matthaus 11,29


30

Matthaus 11,30

Denn mein Joch ist sanft und meine Last ist leicht.

---- mein ---- --- sanft --- ----- Last --- -------

---- ---- Joch --- ----- --- ----- Last --- -------

Matthaus 11,30