Deutsch 41-Markus 012(Schl2000)
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1 | Markus 12,1 | Und er fing an, in Gleichnissen zu ihnen zu reden: Ein Mensch pflanzte einen Weinberg und zog einen Zaun darum und grub eine Kelter und baute einen Wachtturm und verpachtete ihn an Weingärtner und reiste außer Landes. | --- er ---- --- in ------------ -- ihnen -- ------ Ein ------ -------- einen -------- --- zog ----- ---- darum --- ---- eine ------ --- baute ----- --------- und ----------- --- an ------------ --- reiste ------ ------- | --- -- fing --- -- ------------ -- ihnen -- ------ --- ------ pflanzte ----- -------- --- --- einen ---- ----- --- ---- eine ------ --- ----- ----- Wachtturm --- ----------- --- -- Weingärtner --- ------ ------ ------- | Markus 12,1 |
2 | Markus 12,2 | Und er sandte zur bestimmten Zeit einen Knecht zu den Weingärtnern, damit er von den Weingärtnern [seinen Anteil] von der Frucht des Weinberges empfange. | --- er ------ --- bestimmten ---- ----- Knecht -- --- Weingärtnern, ----- -- von --- ------------- [seinen ------- --- der ------ --- Weinberges --------- | --- -- sandte --- ---------- ---- ----- Knecht -- --- -------------- ----- er --- --- ------------- ------- Anteil] --- --- ------ --- Weinberges --------- | Markus 12,2 |
3 | Markus 12,3 | Die aber ergriffen ihn, schlugen ihn und schickten ihn mit leeren Händen fort. | --- aber --------- ---- schlugen --- --- schickten --- --- leeren ------- ----- | --- ---- ergriffen ---- -------- --- --- schickten --- --- ------ ------- fort. | Markus 12,3 |
4 | Markus 12,4 | Und wiederum sandte er einen anderen Knecht zu ihnen; und den steinigten sie, schlugen ihn auf den Kopf und schickten ihn entehrt fort. | --- wiederum ------ -- einen ------- ------ zu ------ --- den ---------- ---- schlugen --- --- den ---- --- schickten --- ------- fort. | --- -------- sandte -- ----- ------- ------ zu ------ --- --- ---------- sie, -------- --- --- --- Kopf --- --------- --- ------- fort. | Markus 12,4 |
5 | Markus 12,5 | Und er sandte wiederum einen anderen, den töteten sie; und noch viele andere; die einen schlugen sie, die anderen töteten sie. | --- er ------ -------- einen -------- --- töteten ---- --- noch ----- ------- die ----- -------- sie, --- ------- töteten ---- | --- -- sandte -------- ----- -------- --- töteten ---- --- ---- ----- andere; --- ----- -------- ---- die ------- -------- ---- | Markus 12,5 |
6 | Markus 12,6 | Nun hatte er noch einen einzigen Sohn, seinen geliebten; den sandte er zuletzt auch zu ihnen und sprach: Sie werden sich vor meinem Sohn scheuen! | --- hatte -- ---- einen -------- ----- seinen ---------- --- sandte -- ------- auch -- ----- und ------- --- werden ---- --- meinem ---- -------- | --- ----- er ---- ----- -------- ----- seinen ---------- --- ------ -- zuletzt ---- -- ----- --- sprach: --- ------ ---- --- meinem ---- -------- | Markus 12,6 |
7 | Markus 12,7 | Jene Weingärtner aber sprachen untereinander: Das ist der Erbe! Kommt, lasst uns ihn töten, so wird das Erbgut uns gehören! | ---- Weingärtner ---- -------- untereinander: --- --- der ----- ------ lasst --- --- töten, -- ---- das ------ --- gehören! | ---- ------------ aber -------- -------------- --- --- der ----- ------ ----- --- ihn ------- -- ---- --- Erbgut --- --------- | Markus 12,7 |
8 | Markus 12,8 | Und sie ergriffen ihn, töteten ihn und warfen ihn zum Weinberg hinaus. | --- sie --------- ---- töteten --- --- warfen --- --- Weinberg ------- | --- --- ergriffen ---- -------- --- --- warfen --- --- -------- ------- | Markus 12,8 |
9 | Markus 12,9 | Was wird nun der Herr des Weinbergs tun? Er wird kommen und die Weingärtner umbringen und den Weinberg anderen geben! | --- wird --- --- Herr --- --------- tun? -- ---- kommen --- --- Weingärtner --------- --- den -------- ------- geben! | --- ---- nun --- ---- --- --------- tun? -- ---- ------ --- die ------------ --------- --- --- Weinberg ------- ------ | Markus 12,9 |
10 | Markus 12,10 | Habt ihr nicht auch dieses Schriftwort gelesen: »Der Stein, den die Bauleute verworfen haben, der ist zum Eckstein geworden. | ---- ihr ----- ---- dieses ----------- -------- »Der ------ --- die -------- --------- haben, --- --- zum -------- --------- | ---- --- nicht ---- ------ ----------- -------- »Der ------ --- --- -------- verworfen ------ --- --- --- Eckstein --------- | Markus 12,10 |
11 | Markus 12,11 | Vom Herrn ist das geschehen, und es ist wunderbar in unseren Augen«? | --- Herrn --- --- geschehen, --- -- ist --------- -- unseren -------- | --- ----- ist --- ---------- --- -- ist --------- -- ------- -------- | Markus 12,11 |
12 | Markus 12,12 | Da suchten sie ihn zu ergreifen, aber sie fürchteten das Volk; denn sie erkannten, dass er das Gleichnis gegen sie gesagt hatte. Und sie ließen ab von ihm und gingen davon. | -- suchten --- --- zu ---------- ---- sie ----------- --- Volk; ---- --- erkannten, ---- -- das --------- ----- sie ------ ------ Und --- ------- ab --- --- und ------ ------ | -- ------- sie --- -- ---------- ---- sie ----------- --- ----- ---- sie ---------- ---- -- --- Gleichnis ----- --- ------ ------ Und --- ------- -- --- ihm --- ------ ------ | Markus 12,12 |
13 | Markus 12,13 | Und sie sandten etliche von den Pharisäern und Herodianern zu ihm, um ihn in der Rede zu fangen. | --- sie ------- ------- von --- ----------- und ----------- -- ihm, -- --- in --- ---- zu ------- | --- --- sandten ------- --- --- ----------- und ----------- -- ---- -- ihn -- --- ---- -- fangen. | Markus 12,13 |
14 | Markus 12,14 | Diese kamen nun und sprachen zu ihm: Meister, wir wissen, dass du wahrhaftig bist und auf niemand Rücksicht nimmst; denn du siehst die Person der Menschen nicht an, sondern lehrst den Weg Gottes der Wahrheit gemäß. Ist es erlaubt, dem Kaiser die Steuer zu geben, oder nicht? Sollen wir sie geben oder nicht geben? | ----- kamen --- --- sprachen -- ---- Meister, --- ------- dass -- ---------- bist --- --- niemand ---------- ------- denn -- ------ die ------ --- Menschen ----- --- sondern ------ --- Weg ------ --- Wahrheit -------- --- es -------- --- Kaiser --- ------ zu ------ ---- nicht? ------ --- sie ----- ---- nicht ------ | ----- ----- nun --- -------- -- ---- Meister, --- ------- ---- -- wahrhaftig ---- --- --- ------- Rücksicht ------- ---- -- ------ die ------ --- -------- ----- an, ------- ------ --- --- Gottes --- -------- -------- --- es -------- --- ------ --- Steuer -- ------ ---- ------ Sollen --- --- ----- ---- nicht ------ | Markus 12,14 |
15 | Markus 12,15 | Da er aber ihre Heuchelei erkannte, sprach er zu ihnen: Weshalb versucht ihr mich? Bringt mir einen Denar, damit ich ihn ansehe! | -- er ---- ---- Heuchelei --------- ------ er -- ------ Weshalb -------- --- mich? ------ --- einen ------ ----- ich --- ------- | -- -- aber ---- --------- --------- ------ er -- ------ ------- -------- ihr ----- ------ --- ----- Denar, ----- --- --- ------- | Markus 12,15 |
16 | Markus 12,16 | Da brachten sie einen. Und er sprach zu ihnen: Wessen ist dieses Bild und die Aufschrift? Sie aber sprachen zu ihm: Des Kaisers! | -- brachten --- ------ Und -- ------ zu ------ ------ ist ------ ---- und --- ----------- Sie ---- -------- zu ---- --- Kaisers! | -- -------- sie ------ --- -- ------ zu ------ ------ --- ------ Bild --- --- ----------- --- aber -------- -- ---- --- Kaisers! | Markus 12,16 |
17 | Markus 12,17 | Und Jesus antwortete und sprach zu ihnen: Gebt dem Kaiser, was des Kaisers ist, und Gott, was Gottes ist! Und sie verwunderten sich über ihn. | --- Jesus ---------- --- sprach -- ------ Gebt --- ------- was --- ------- ist, --- ----- was ------ ---- Und --- ------------ sich ----- ---- | --- ----- antwortete --- ------ -- ------ Gebt --- ------- --- --- Kaisers ---- --- ----- --- Gottes ---- --- --- ------------ sich ----- ---- | Markus 12,17 |
18 | Markus 12,18 | Und es kamen Sadduzäer zu ihm, die sagen, es gebe keine Auferstehung; und sie fragten ihn und sprachen: | --- es ----- ---------- zu ---- --- sagen, -- ---- keine ------------- --- sie ------- --- und --------- | --- -- kamen ---------- -- ---- --- sagen, -- ---- ----- ------------- und --- ------- --- --- sprachen: | Markus 12,18 |
19 | Markus 12,19 | Meister, Mose hat uns geschrieben: Wenn jemandes Bruder stirbt und eine Frau hinterlässt, aber keine Kinder, so soll sein Bruder dessen Frau nehmen und seinem Bruder Nachkommen erwecken. | -------- Mose --- --- geschrieben: ---- -------- Bruder ------ --- eine ---- ------------- aber ----- ------- so ---- ---- Bruder ------ ---- nehmen --- ------ Bruder ---------- --------- | -------- ---- hat --- ------------ ---- -------- Bruder ------ --- ---- ---- hinterlässt, ---- ----- ------- -- soll ---- ------ ------ ---- nehmen --- ------ ------ ---------- erwecken. | Markus 12,19 |
20 | Markus 12,20 | Nun waren da sieben Brüder. Und der erste nahm eine Frau, und er starb und hinterließ keine Nachkommen. | --- waren -- ------ Brüder. --- --- erste ---- ---- Frau, --- -- starb --- ----------- keine ----------- | --- ----- da ------ -------- --- --- erste ---- ---- ----- --- er ----- --- ----------- ----- Nachkommen. | Markus 12,20 |
21 | Markus 12,21 | Da nahm sie der zweite, und er starb, und auch er hinterließ keine Nachkommen; und der dritte ebenso. | -- nahm --- --- zweite, --- -- starb, --- ---- er ----------- ----- Nachkommen; --- --- dritte ------- | -- ---- sie --- ------- --- -- starb, --- ---- -- ----------- keine ----------- --- --- ------ ebenso. | Markus 12,21 |
22 | Markus 12,22 | Und es nahmen sie alle sieben und hinterließen keine Nachkommen. Als letzte von allen starb auch die Frau. | --- es ------ --- alle ------ --- hinterließen ----- ----------- Als ------ --- allen ----- ---- die ----- | --- -- nahmen --- ---- ------ --- hinterließen ----- ----------- --- ------ von ----- ----- ---- --- Frau. | Markus 12,22 |
23 | Markus 12,23 | In der Auferstehung nun, wenn sie auferstehen, wessen Frau wird sie sein? Denn alle sieben haben sie zur Frau gehabt. | -- der ------------ ---- wenn --- ------------ wessen ---- ---- sie ----- ---- alle ------ ----- sie --- ---- gehabt. | -- --- Auferstehung ---- ---- --- ------------ wessen ---- ---- --- ----- Denn ---- ------ ----- --- zur ---- ------- | Markus 12,23 |
24 | Markus 12,24 | Da antwortete Jesus und sprach zu ihnen: Irrt ihr nicht darum, weil ihr weder die Schriften kennt noch die Kraft Gottes? | -- antwortete ----- --- sprach -- ------ Irrt --- ----- darum, ---- --- weder --- --------- kennt ---- --- Kraft ------- | -- ---------- Jesus --- ------ -- ------ Irrt --- ----- ------ ---- ihr ----- --- --------- ----- noch --- ----- ------- | Markus 12,24 |
25 | Markus 12,25 | Denn wenn sie aus den Toten auferstehen, so heiraten sie nicht noch werden sie verheiratet, sondern sie sind wie die Engel, die im Himmel sind. | ---- wenn --- --- den ----- ------------ so -------- --- nicht ---- ------ sie ------------ ------- sie ---- --- die ------ --- im ------ ----- | ---- ---- sie --- --- ----- ------------ so -------- --- ----- ---- werden --- ------------ ------- --- sind --- --- ------ --- im ------ ----- | Markus 12,25 |
26 | Markus 12,26 | Was aber die Toten anbelangt, dass sie auferstehen: Habt ihr nicht gelesen im Buch Moses, bei [der Stelle von] dem Busch, wie Gott zu ihm sprach: »Ich bin der Gott Abrahams und der Gott Isaaks und der Gott Jakobs«? | --- aber --- ----- anbelangt, ---- --- auferstehen: ---- --- nicht ------- -- Buch ------ --- [der ------ ---- dem ------ --- Gott -- --- sprach: ----- --- der ---- -------- und --- ---- Isaaks --- --- Gott --------- | --- ---- die ----- ---------- ---- --- auferstehen: ---- --- ----- ------- im ---- ------ --- ---- Stelle ---- --- ------ --- Gott -- --- ------- ----- bin --- ---- -------- --- der ---- ------ --- --- Gott --------- | Markus 12,26 |
27 | Markus 12,27 | Er ist nicht der Gott der Toten, sondern der Gott der Lebendigen. Darum irrt ihr sehr. | -- ist ----- --- Gott --- ------ sondern --- ---- der ----------- ----- irrt --- ----- | -- --- nicht --- ---- --- ------ sondern --- ---- --- ----------- Darum ---- --- ----- | Markus 12,27 |
28 | Markus 12,28 | Da trat einer der Schriftgelehrten herzu, der ihrem Wortwechsel zugehört hatte, und weil er sah, dass er ihnen gut geantwortet hatte, fragte er ihn: Welches ist das erste Gebot unter allen? | -- trat ----- --- Schriftgelehrten ------ --- ihrem ----------- --------- hatte, --- ---- er ---- ---- er ----- --- geantwortet ------ ------ er ---- ------- ist --- ----- Gebot ----- ------ | -- ---- einer --- ---------------- ------ --- ihrem ----------- --------- ------ --- weil -- ---- ---- -- ihnen --- ----------- ------ ------ er ---- ------- --- --- erste ----- ----- ------ | Markus 12,28 |
29 | Markus 12,29 | Jesus aber antwortete ihm: Das erste Gebot unter allen ist: »Höre, Israel, der Herr, unser Gott, ist Herr allein; | ----- aber ---------- ---- Das ----- ----- unter ----- ---- »Höre, ------- --- Herr, ----- ----- ist ---- ------- | ----- ---- antwortete ---- --- ----- ----- unter ----- ---- -------- ------- der ----- ----- ----- --- Herr ------- | Markus 12,29 |
30 | Markus 12,30 | und du sollst den Herrn, deinen Gott, lieben mit deinem ganzen Herzen und mit deiner ganzen Seele und mit deinem ganzen Denken und mit deiner ganzen Kraft!« Dies ist das erste Gebot. | --- du ------ --- Herrn, ------ ----- lieben --- ------ ganzen ------ --- mit ------ ------ Seele --- --- deinem ------ ------ und --- ------ ganzen -------- ---- ist --- ----- Gebot. | --- -- sollst --- ------ ------ ----- lieben --- ------ ------ ------ und --- ------ ------ ----- und --- ------ ------ ------ und --- ------ ------ -------- Dies --- --- ----- ------ | Markus 12,30 |
31 | Markus 12,31 | Und das zweite ist [ihm] vergleichbar, nämlich dies: »Du sollst deinen Nächsten lieben wie dich selbst!« Größer als diese ist kein anderes Gebot. | --- das ------ --- [ihm] ------------- -------- dies: ---- ------ deinen --------- ------ wie ---- --------- Größer --- ----- ist ---- ------- Gebot. | --- --- zweite --- ----- ------------- -------- dies: ---- ------ ------ --------- lieben --- ---- --------- -------- als ----- --- ---- ------- Gebot. | Markus 12,31 |
32 | Markus 12,32 | Und der Schriftgelehrte sprach zu ihm: Recht so, Meister! Es ist in Wahrheit so, wie du sagst, dass es nur einen Gott gibt und keinen anderen außer ihm; | --- der --------------- ------ zu ---- ----- so, -------- -- ist -- -------- so, --- -- sagst, ---- -- nur ----- ---- gibt --- ------ anderen ------ ---- | --- --- Schriftgelehrte ------ -- ---- ----- so, -------- -- --- -- Wahrheit --- --- -- ------ dass -- --- ----- ---- gibt --- ------ ------- ------ ihm; | Markus 12,32 |
33 | Markus 12,33 | und ihn zu lieben mit ganzem Herzen und mit ganzem Verständnis und mit ganzer Seele und mit aller Kraft und den Nächsten zu lieben wie sich selbst, das ist mehr als alle Brandopfer und Schlachtopfer! | --- ihn -- ------ mit ------ ------ und --- ------ Verständnis --- --- ganzer ----- --- mit ----- ----- und --- --------- zu ------ --- sich ------- --- ist ---- --- alle ---------- --- Schlachtopfer! | --- --- zu ------ --- ------ ------ und --- ------ ------------ --- mit ------ ----- --- --- aller ----- --- --- --------- zu ------ --- ---- ------- das --- ---- --- ---- Brandopfer --- -------------- | Markus 12,33 |
34 | Markus 12,34 | Und da Jesus sah, dass er verständig geantwortet hatte, sprach er zu ihm: Du bist nicht fern vom Reich Gottes! Und es getraute sich niemand mehr, ihn weiter zu fragen. | --- da ----- ---- dass -- ----------- geantwortet ------ ------ er -- ---- Du ---- ----- fern --- ----- Gottes! --- -- getraute ---- ------- mehr, --- ------ zu ------- | --- -- Jesus ---- ---- -- ----------- geantwortet ------ ------ -- -- ihm: -- ---- ----- ---- vom ----- ------- --- -- getraute ---- ------- ----- --- weiter -- ------- | Markus 12,34 |
35 | Markus 12,35 | Und Jesus begann und sprach, während er im Tempel lehrte: Wie können die Schriftgelehrten sagen, dass der Christus Davids Sohn ist? | --- Jesus ------ --- sprach, -------- -- im ------ ------- Wie ------- --- Schriftgelehrten ------ ---- der -------- ------ Sohn ---- | --- ----- begann --- ------- -------- -- im ------ ------- --- ------- die ---------------- ------ ---- --- Christus ------ ---- ---- | Markus 12,35 |
36 | Markus 12,36 | David selbst sprach doch im Heiligen Geist: »Der Herr sprach zu meinem Herrn: Setze dich zu meiner Rechten, bis ich deine Feinde hinlege als Schemel für deine Füße!« | ----- selbst ------ ---- im -------- ------ »Der ---- ------ zu ------ ------ Setze ---- -- meiner -------- --- ich ----- ------ hinlege --- ------- für ----- --------- | ----- ------ sprach ---- -- -------- ------ »Der ---- ------ -- ------ Herrn: ----- ---- -- ------ Rechten, --- --- ----- ------ hinlege --- ------- ---- ----- Füße!« | Markus 12,36 |
37 | Markus 12,37 | David selbst nennt ihn also Herr; wie kann er dann sein Sohn sein? Und die große Volksmenge hörte ihm mit Freude zu. | ----- selbst ----- --- also ----- --- kann -- ---- sein ---- ----- Und --- ------ Volksmenge ------ --- mit ------ --- | ----- ------ nennt --- ---- ----- --- kann -- ---- ---- ---- sein? --- --- ------ ---------- hörte --- --- ------ --- | Markus 12,37 |
38 | Markus 12,38 | Und er sagte ihnen in seiner Lehre: Hütet euch vor den Schriftgelehrten, welche gern im Talar einhergehen und auf den Märkten sich grüßen lassen | --- er ----- ----- in ------ ------ Hütet ---- --- den ----------------- ------ gern -- ----- einhergehen --- --- den -------- ---- grüßen ------ | --- -- sagte ----- -- ------ ------ Hütet ---- --- --- ----------------- welche ---- -- ----- ----------- und --- --- -------- ---- grüßen ------ | Markus 12,38 |
39 | Markus 12,39 | und die ersten Sitze in den Synagogen und die obersten Plätze bei den Mahlzeiten einnehmen wollen, | --- die ------ ----- in --- --------- und --- -------- Plätze --- --- Mahlzeiten --------- ------- | --- --- ersten ----- -- --- --------- und --- -------- ------- --- den ---------- --------- ------- | Markus 12,39 |
40 | Markus 12,40 | welche die Häuser der Witwen fressen und zum Schein lange Gebete sprechen. Diese werden ein umso schwereres Gericht empfangen! | ------ die ------- --- Witwen ------- --- zum ------ ----- Gebete --------- ----- werden --- ---- schwereres ------- ---------- | ------ --- Häuser --- ------ ------- --- zum ------ ----- ------ --------- Diese ------ --- ---- ---------- Gericht ---------- | Markus 12,40 |
41 | Markus 12,41 | Und Jesus setzte sich dem Opferkasten gegenüber und schaute zu, wie die Leute Geld in den Opferkasten legten. Und viele Reiche legten viel ein. | --- Jesus ------ ---- dem ----------- ---------- und ------- --- wie --- ----- Geld -- --- Opferkasten ------- --- viele ------ ------ viel ---- | --- ----- setzte ---- --- ----------- ---------- und ------- --- --- --- Leute ---- -- --- ----------- legten. --- ----- ------ ------ viel ---- | Markus 12,41 |
42 | Markus 12,42 | Und es kam eine arme Witwe, die legte zwei Scherflein ein, das ist ein Groschen. | --- es --- ---- arme ------ --- legte ---- ---------- ein, --- --- ein --------- | --- -- kam ---- ---- ------ --- legte ---- ---------- ---- --- ist --- --------- | Markus 12,42 |
43 | Markus 12,43 | Da rief er seine Jünger zu sich und sprach zu ihnen: Wahrlich, ich sage euch: Diese arme Witwe hat mehr in den Opferkasten gelegt als alle, die eingelegt haben. | -- rief -- ----- Jünger -- ---- und ------ -- ihnen: --------- --- sage ----- ----- arme ----- --- mehr -- --- Opferkasten ------ --- alle, --- --------- haben. | -- ---- er ----- ------- -- ---- und ------ -- ------ --------- ich ---- ----- ----- ---- Witwe --- ---- -- --- Opferkasten ------ --- ----- --- eingelegt ------ | Markus 12,43 |
44 | Markus 12,44 | Denn alle haben von ihrem öœberfluss eingelegt; diese aber hat von ihrer Armut alles eingelegt, was sie hatte, ihren ganzen Lebensunterhalt. | ---- alle ----- --- ihrem ------------ ---------- diese ---- --- von ----- ----- alles ---------- --- sie ------ ----- ganzen ---------------- | ---- ---- haben --- ----- ------------ ---------- diese ---- --- --- ----- Armut ----- ---------- --- --- hatte, ----- ------ ---------------- | Markus 12,44 |