Deutsch 45-Romer 015(Schl2000)
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1 | Romer 15,1 | Wir aber, die Starken, haben die Pflicht, die Gebrechen der Schwachen zu tragen und nicht Gefallen an uns selbst zu haben. | --- aber, --- -------- haben --- -------- die --------- --- Schwachen -- ------ und ----- -------- an --- ------ zu ------ | --- ----- die -------- ----- --- -------- die --------- --- --------- -- tragen --- ----- -------- -- uns ------ -- ------ | Romer 15,1 |
2 | Romer 15,2 | Denn jeder von uns soll seinem Nächsten gefallen zum Guten, zur Erbauung. | ---- jeder --- --- soll ------ --------- gefallen --- ------ zur --------- | ---- ----- von --- ---- ------ --------- gefallen --- ------ --- --------- | Romer 15,2 |
3 | Romer 15,3 | Denn auch Christus hatte nicht an sich selbst Gefallen, sondern wie geschrieben steht: »Die Schmähungen derer, die dich schmähen, sind auf mich gefallen«. | ---- auch -------- ----- nicht -- ---- selbst --------- ------- wie ----------- ------ »Die ------------ ------ die ---- ---------- sind --- ---- gefallen«. | ---- ---- Christus ----- ----- -- ---- selbst --------- ------- --- ----------- steht: ----- ------------ ------ --- dich ---------- ---- --- ---- gefallen«. | Romer 15,3 |
4 | Romer 15,4 | Denn alles, was zuvor geschrieben worden ist, wurde zu unserer Belehrung zuvor geschrieben, damit wir durch das Ausharren und den Trost der Schriften Hoffnung fassen. | ---- alles, --- ----- geschrieben ------ ---- wurde -- ------- Belehrung ----- ------------ damit --- ----- das --------- --- den ----- --- Schriften -------- ------- | ---- ------ was ----- ----------- ------ ---- wurde -- ------- --------- ----- geschrieben, ----- --- ----- --- Ausharren --- --- ----- --- Schriften -------- ------- | Romer 15,4 |
5 | Romer 15,5 | Der Gott des Ausharrens und des Trostes aber gebe euch, untereinander eines Sinnes zu sein, Christus Jesus gemäß, | --- Gott --- ---------- und --- ------- aber ---- ----- untereinander ----- ------ zu ----- -------- Jesus -------- | --- ---- des ---------- --- --- ------- aber ---- ----- ------------- ----- Sinnes -- ----- -------- ----- gemäß, | Romer 15,5 |
6 | Romer 15,6 | damit ihr einmütig, mit einem Mund den Gott und Vater unseres Herrn Jesus Christus lobt. | ----- ihr ---------- --- einem ---- --- Gott --- ----- unseres ----- ----- Christus ----- | ----- --- einmütig, --- ----- ---- --- Gott --- ----- ------- ----- Jesus -------- ----- | Romer 15,6 |
7 | Romer 15,7 | Darum nehmt einander an, gleichwie auch Christus uns angenommen hat, zur Ehre Gottes! | ----- nehmt -------- --- gleichwie ---- -------- uns ---------- ---- zur ---- ------- | ----- ----- einander --- --------- ---- -------- uns ---------- ---- --- ---- Gottes! | Romer 15,7 |
8 | Romer 15,8 | Ich sage aber, dass Jesus Christus ein Diener der Beschneidung geworden ist um der Wahrhaftigkeit Gottes willen, um die Verheißungen an die Väter zu bestätigen, | --- sage ----- ---- Jesus -------- --- Diener --- ------------ geworden --- -- der -------------- ------ willen, -- --- Verheißungen -- --- Väter -- ------------ | --- ---- aber, ---- ----- -------- --- Diener --- ------------ -------- --- um --- -------------- ------ ------- um --- ------------- -- --- Väter -- ------------ | Romer 15,8 |
9 | Romer 15,9 | dass aber die Heiden Gott loben sollen um der Barmherzigkeit willen, wie geschrieben steht: »Darum will ich dich preisen unter den Heiden und deinem Namen lobsingen!« | ---- aber --- ------ Gott ----- ------ um --- -------------- willen, --- ----------- steht: ------- ---- ich ---- ------- unter --- ------ und ------ ----- lobsingen!« | ---- ---- die ------ ---- ----- ------ um --- -------------- ------- --- geschrieben ------ ------- ---- --- dich ------- ----- --- ------ und ------ ----- ------------ | Romer 15,9 |
10 | Romer 15,10 | Und wiederum heißt es: »Freut euch, ihr Heiden, mit seinem Volk!« | --- wiederum ------ --- »Freut ----- --- Heiden, --- ------ Volk!« | --- -------- heißt --- ------- ----- --- Heiden, --- ------ ------- | Romer 15,10 |
11 | Romer 15,11 | Und wiederum: »Lobt den Herrn, alle Heiden, und preist ihn, alle Völker!« | --- wiederum: ------ --- Herrn, ---- ------- und ------ ---- alle ---------- | --- --------- »Lobt --- ------ ---- ------- und ------ ---- ---- ---------- | Romer 15,11 |
12 | Romer 15,12 | Und wiederum spricht Jesaja: »Es wird kommen die Wurzel Isais und der, welcher aufsteht, um über die Heiden zu herrschen; auf ihn werden die Heiden hoffen«. | --- wiederum ------- ------- »Es ---- ------ die ------ ----- und ---- ------- aufsteht, -- ----- die ------ -- herrschen; --- --- werden --- ------ hoffen«. | --- -------- spricht ------- ---- ---- ------ die ------ ----- --- ---- welcher --------- -- ----- --- Heiden -- ---------- --- --- werden --- ------ --------- | Romer 15,12 |
13 | Romer 15,13 | Der Gott der Hoffnung aber erfülle euch mit aller Freude und mit Frieden im Glauben, dass ihr überströmt in der Hoffnung durch die Kraft des Heiligen Geistes! | --- Gott --- -------- aber -------- ---- mit ----- ------ und --- ------- im -------- ---- ihr ------------ -- der -------- ----- die ----- --- Heiligen -------- | --- ---- der -------- ---- -------- ---- mit ----- ------ --- --- Frieden -- -------- ---- --- überströmt -- --- -------- ----- die ----- --- -------- -------- | Romer 15,13 |
14 | Romer 15,14 | Ich selbst habe aber, meine Brüder, die feste öœberzeugung von euch, dass auch ihr selbst voll Gütigkeit seid, erfüllt mit aller Erkenntnis und fähig, einander zu ermahnen. | --- selbst ---- ----- meine -------- --- feste -------------- --- euch, ---- ---- ihr ------ ---- Gütigkeit ----- -------- mit ----- ---------- und ------- -------- zu --------- | --- ------ habe ----- ----- -------- --- feste -------------- --- ----- ---- auch --- ------ ---- ---------- seid, -------- --- ----- ---------- und ------- -------- -- --------- | Romer 15,14 |
15 | Romer 15,15 | Das machte mir aber zum Teil umso mehr Mut, euch zu schreiben, Brüder, um euch wieder zu erinnern, aufgrund der Gnade, die mir von Gott gegeben ist, | --- machte --- ---- zum ---- ---- mehr ---- ---- zu ---------- -------- um ---- ------ zu --------- -------- der ------ --- mir --- ---- gegeben ---- | --- ------ mir ---- --- ---- ---- mehr ---- ---- -- ---------- Brüder, -- ---- ------ -- erinnern, -------- --- ------ --- mir --- ---- ------- ---- | Romer 15,15 |
16 | Romer 15,16 | dass ich ein Diener Jesu Christi für die Heiden sein soll, der priesterlich dient am Evangelium Gottes, damit das Opfer der Heiden wohlannehmbar werde, geheiligt durch den Heiligen Geist. | ---- ich --- ------ Jesu ------- ---- die ------ ---- soll, --- ------------ dient -- ---------- Gottes, ----- --- Opfer --- ------ wohlannehmbar ------ --------- durch --- -------- Geist. | ---- --- ein ------ ---- ------- ---- die ------ ---- ----- --- priesterlich ----- -- ---------- ------- damit --- ----- --- ------ wohlannehmbar ------ --------- ----- --- Heiligen ------ | Romer 15,16 |
17 | Romer 15,17 | Ich habe also Grund zum Rühmen in Christus Jesus, vor Gott. | --- habe ---- ----- zum ------- -- Christus ------ --- Gott. | --- ---- also ----- --- ------- -- Christus ------ --- ----- | Romer 15,17 |
18 | Romer 15,18 | Denn ich würde nicht wagen, von irgendetwas zu reden, das nicht Christus durch mich gewirkt hat, um die Heiden zum Gehorsam zu bringen durch Wort und Werk, | ---- ich ------ ----- wagen, --- ----------- zu ------ --- nicht -------- ----- mich ------- ---- um --- ------ zum -------- -- bringen ----- ---- und ----- | ---- --- würde ----- ------ --- ----------- zu ------ --- ----- -------- durch ---- ------- ---- -- die ------ --- -------- -- bringen ----- ---- --- ----- | Romer 15,18 |
19 | Romer 15,19 | in der Kraft von Zeichen und Wundern, in der Kraft des Geistes Gottes, so dass ich von Jerusalem an und ringsumher bis nach Illyrien das Evangelium von Christus völlig verkündigt habe. | -- der ----- --- Zeichen --- -------- in --- ----- des ------- ------- so ---- --- von --------- -- und ---------- --- nach -------- --- Evangelium --- -------- völlig ----------- ----- | -- --- Kraft --- ------- --- -------- in --- ----- --- ------- Gottes, -- ---- --- --- Jerusalem -- --- ---------- --- nach -------- --- ---------- --- Christus ------- ----------- ----- | Romer 15,19 |
20 | Romer 15,20 | Dabei mache ich es mir zur Ehre, das Evangelium nicht dort zu verkündigen, wo der Name des Christus schon bekannt ist, damit ich nicht auf den Grund eines anderen baue, | ----- mache --- -- mir --- ----- das ---------- ----- dort -- ------------- wo --- ---- des -------- ----- bekannt ---- ----- ich ----- --- den ----- ----- anderen ----- | ----- ----- ich -- --- --- ----- das ---------- ----- ---- -- verkündigen, -- --- ---- --- Christus ----- ------- ---- ----- ich ----- --- --- ----- eines ------- ----- | Romer 15,20 |
21 | Romer 15,21 | sondern, wie geschrieben steht: »Die, denen nicht von ihm verkündigt worden ist, sollen es sehen, und die, welche es nicht gehört haben, sollen es verstehen«. | -------- wie ----------- ------ »Die, ----- ----- von --- ----------- worden ---- ------ es ------ --- die, ------ -- nicht ------- ------ sollen -- ------------ | -------- --- geschrieben ------ ------ ----- ----- von --- ----------- ------ ---- sollen -- ------ --- ---- welche -- ----- ------- ------ sollen -- ------------ | Romer 15,21 |
22 | Romer 15,22 | Darum bin ich auch oftmals verhindert worden, zu euch zu kommen. | ----- bin --- ---- oftmals ---------- ------- zu ---- -- kommen. | ----- --- ich ---- ------- ---------- ------- zu ---- -- ------- | Romer 15,22 |
23 | Romer 15,23 | Da ich jetzt aber in diesen Gegenden keinen Raum mehr habe, wohl aber seit vielen Jahren ein Verlangen hege, zu euch zu kommen, | -- ich ----- ---- in ------ -------- keinen ---- ---- habe, ---- ---- seit ------ ------ ein --------- ----- zu ---- -- kommen, | -- --- jetzt ---- -- ------ -------- keinen ---- ---- ----- ---- aber ---- ------ ------ --- Verlangen ----- -- ---- -- kommen, | Romer 15,23 |
24 | Romer 15,24 | so will ich auf der Reise nach Spanien zu euch kommen; denn ich hoffe, euch auf der Durchreise zu sehen und von euch dorthin geleitet zu werden, wenn ich mich zuvor ein wenig an euch erquickt habe. | -- will --- --- der ----- ---- Spanien -- ---- kommen; ---- --- hoffe, ---- --- der ---------- -- sehen --- --- euch ------- -------- zu ------- ---- ich ---- ----- ein ----- -- euch -------- ----- | -- ---- ich --- --- ----- ---- Spanien -- ---- ------- ---- ich ------ ---- --- --- Durchreise -- ----- --- --- euch ------- -------- -- ------- wenn --- ---- ----- --- wenig -- ---- -------- ----- | Romer 15,24 |
25 | Romer 15,25 | Jetzt aber reise ich nach Jerusalem, im Dienst für die Heiligen. | ----- aber ----- --- nach ---------- -- Dienst ---- --- Heiligen. | ----- ---- reise --- ---- ---------- -- Dienst ---- --- --------- | Romer 15,25 |
26 | Romer 15,26 | Es hat nämlich Mazedonien und Achaja gefallen, eine Sammlung für die Armen unter den Heiligen in Jerusalem zu veranstalten; | -- hat -------- ---------- und ------ --------- eine -------- ---- die ----- ----- den -------- -- Jerusalem -- ------------- | -- --- nämlich ---------- --- ------ --------- eine -------- ---- --- ----- unter --- -------- -- --------- zu ------------- | Romer 15,26 |
27 | Romer 15,27 | es hat ihnen gefallen, und sie sind es ihnen auch schuldig; denn wenn die Heiden an ihren geistlichen Gütern Anteil erhalten haben, so sind sie auch verpflichtet, jenen in den leiblichen zu dienen. | -- hat ----- --------- und --- ---- es ----- ---- schuldig; ---- ---- die ------ -- ihren ----------- ------- Anteil -------- ------ so ---- --- auch ------------- ----- in --- ---------- zu ------- | -- --- ihnen --------- --- --- ---- es ----- ---- --------- ---- wenn --- ------ -- ----- geistlichen ------- ------ -------- ------ so ---- --- ---- ------------- jenen -- --- ---------- -- dienen. | Romer 15,27 |
28 | Romer 15,28 | Sobald ich nun das ausgerichtet und ihnen diese Frucht gesichert habe, will ich über euch weiterreisen nach Spanien. | ------ ich --- --- ausgerichtet --- ----- diese ------ --------- habe, ---- --- über ---- ------------ nach -------- | ------ --- nun --- ------------ --- ----- diese ------ --------- ----- ---- ich ----- ---- ------------ ---- Spanien. | Romer 15,28 |
29 | Romer 15,29 | Ich weiß aber, dass, wenn ich zu euch komme, ich mit der Segensfülle des Evangeliums von Christus kommen werde. | --- weiß ----- ----- wenn --- -- euch ------ --- mit --- ------------ des ----------- --- Christus ------ ------ | --- ----- aber, ----- ---- --- -- euch ------ --- --- --- Segensfülle --- ----------- --- -------- kommen ------ | Romer 15,29 |
30 | Romer 15,30 | Ich ermahne euch aber, ihr Brüder, um unseres Herrn Jesus Christus und der Liebe des Geistes willen, dass ihr mit mir zusammen kämpft in den Gebeten für mich zu Gott, | --- ermahne ---- ----- ihr -------- -- unseres ----- ----- Christus --- --- Liebe --- ------- willen, ---- --- mit --- -------- kämpft -- --- Gebeten ---- ---- zu ----- | --- ------- euch ----- --- -------- -- unseres ----- ----- -------- --- der ----- --- ------- ------- dass --- --- --- -------- kämpft -- --- ------- ---- mich -- ----- | Romer 15,30 |
31 | Romer 15,31 | dass ich bewahrt werde vor den Ungläubigen in Judäa und dass mein Dienst für Jerusalem den Heiligen angenehm sei, | ---- ich ------- ----- vor --- ------------ in ------ --- dass ---- ------ für --------- --- Heiligen -------- ---- | ---- --- bewahrt ----- --- --- ------------ in ------ --- ---- ---- Dienst ---- --------- --- -------- angenehm ---- | Romer 15,31 |
32 | Romer 15,32 | damit ich mit Freuden zu euch komme durch Gottes Willen und mich zusammen mit euch erquicke. | ----- ich --- ------- zu ---- ----- durch ------ ------ und ---- -------- mit ---- --------- | ----- --- mit ------- -- ---- ----- durch ------ ------ --- ---- zusammen --- ---- --------- | Romer 15,32 |
33 | Romer 15,33 | Der Gott des Friedens sei mit euch allen! Amen. | --- Gott --- -------- sei --- ---- allen! ----- | --- ---- des -------- --- --- ---- allen! ----- | Romer 15,33 |